नहीं, बेंगलुरु के किसानों ने यह सुपरमार्केट नहीं खोला है
बूम ने पाया कि यह एक स्टार्ट-अप की तस्वीरें हैं जो बेंगलुरु में 2019 में शुरू किया गया था |
बेंगलुरु स्थित एक कृषि स्टार्ट-अप 'Humus' की चार तस्वीरें सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल हैं कि किसानों ने खुद का सुपरमार्किट बनाया है जहाँ ख़रीददार सीधे किसानों से अनाज खरीद सकते हैं |
वर्तमान में चल रहे किसान आंदोलन के पृष्ठभूमि में यह तस्वीरें वायरल हो रही हैं | तस्वीरों में सब्जियों और फ़लों के ठेले दिख रहे हैं जिन्हें लेने के लिए लोग कतार में खड़े हैं | इनमें से एक तस्वीर पर 'Humus' लिखा देखा जा सकता है |
वायरल तस्वीरों के साथ हिंदी में एक दावा वायरल है जिसमें लिखा है: "बैंगलोर #किसानों द्वारा खोला गया खुद का #सुपर_मार्केट।.ये है #बदलाव की सार्थक शुरुआत। पूंजीपतियों को सही जवाब.."
ऐसे कुछ पोस्ट्स नीचे देखें | इनके आर्काइव्ड वर्शन यहां और यहां देखें |
क्या ये बिहार के नालंदा में बने 'ग्लास ब्रिज' की तस्वीर है?
फ़ैक्ट चेक
बूम ने हर तस्वीर के साथ जब रिवर्स इमेज खोज की तो हमें 'व्हाट्स हॉट' पर 11 दिसंबर को प्रकाशित एक लेख मिला जिसमें वायरल हो रही तस्वीरों में से कुछ तस्वीरें थीं |
इस लेख में बताया गया था कि तस्वीरें बेंगलुरु स्थित एक वेंचर की हैं जिसका नाम 'Humus' है | हमें वेब2 नाम का एक और ब्लॉग मिला जिसमें इस वेंचर और मालिकों का नाम था | इस ब्लॉग के मुताबिक़ 'Humus' को 2019 में मंजुनाथ टी.एन और शिल्पा गोपालैयह ने स्थापित किया था |
बेंगलुरु स्थित इस फर्म की आधिकारिक वेबसाइट पर बताया गया है कि कंपनी भारतीय सप्लाई में बिचौलियों कि समस्या का समाधान करने का उद्देश्य रखती है | नीचे ह्यूमस वेबसाइट की तस्वीर है |
बूम ने मंजुनाथ टी.एन से संपर्क किया जिन्होंने वायरल दावों को ख़ारिज़ किया और कहा, "यह किसानों द्वारा खोला कोई सुपरमार्केट नहीं बल्क़ि 2019 में मेरे और मेरी पत्नी द्वारा शुरू किया गया एक स्टार्ट-अप है |"
उन्होंने बूम को आगे बताया कि वे सामग्री सीधे किसानों से खरीदते हैं | उन्होंने बेंगलुरु के ग्रामीण इलाकों में केंद्र बनाए हैं जहाँ से सीधे सामग्री जे.पी नगर स्थित हमारे स्टोर पर आती है | फिलहाल उनका एक ही स्टोर है |