योगी आदित्यनाथ के काफ़िले को रोकते प्रदर्शनकारियों का वीडियो 2017 से है
बूम ने पाया कि वायरल हो रहे दावे फ़र्ज़ी हैं क्योंकि हाल ही में ऐसी कोई घटना नहीं हुई है |
वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के काफ़िले को रोकते लखनऊ यूनिवर्सिटी के छात्र प्रदर्शनकारियों का वीडियो हाल की घटना बताते हुए फ़ेसबुक पर शेयर किया जा रहा है |
बूम ने पाया कि वायरल हो रहा यह वीडियो दरअसल लखनऊ में 7 जून 2017 के एक प्रदर्शन का है जब लखनऊ यूनिवर्सिटी से नाखुश छात्र और छात्राओं ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का काफ़िला रोकने की कोशिश की थी | रिपोर्ट्स की माने तो ग्यारह बच्चों को तुरंत ज्यूडिशियल कस्टडी में ले लिया गया था | इसमें दो लड़कियां थीं |
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फ़ेसबुक पर हज़ारो की संख्या में एक वीडियो शेयर किया जा रहा है | इस वीडियो में देखा जा सकता है कि गाड़ियों का एक काफ़िला निकल रहा है और कुछ ही देर में छात्र छात्राओं की एक भीड़ काफ़िले को रोकती है | योगी आदित्यनाथ के सुरक्षा कर्मी और पुलिसकर्मी भीड़ को काबू करने में लग जाते हैं | गाड़ियों के लिए रास्ता साफ़ करने के पुलिस के इस प्रयास में प्रदर्शनकारी 'योगी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी, नहीं चलेगी' और 'योगी मुर्दाबाद' के नारे लगाते सुने जा सकते हैं |
इस वीडियो के साथ वायरल कैप्शन में लिखा है 'कल लखनऊ में योगी जी के काफिले को रोकते... बेरोजगार अपने ताकत का एहसास करा दिये योगी जी रोजगार दो वरना रोड पर चलना मुश्किल हो जायेगा ।'
(यह वीडियो 11 सितम्बर को शेयर किया था)
यहाँ और यहाँ आर्काइव्ड वर्शन देखें | यही वीडियो क्लिप ट्विटर पर भी इन्हीं फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल है |
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने एक कीफ़्रेम के साथ रिवर्स इमेज सर्च किया और यूट्यूब पर 2017 में अपलोड हुआ यह वीडियो पाया | यह यूट्यूब पर न्यूज़24 लाइव नामक चैनल पर अपलोड किया गया था |
इसके बाद हमनें 'lucknow yogi adityanath convoy stopped' कीवर्ड्स सर्च किया और हमें न्यूज़लांड्री द्वारा एक रिपोर्ट मिली जिसमें यही वायरल वीडियो इस्तेमाल किया गया था |
इस रिपोर्ट के मुताबिक़: "7 जून [2017] को लखनऊ यूनिवर्सिटी के 25 छात्र-छात्राओं ने विश्वविद्यालय के बाहर प्रदर्शन किया | इसमें से ज्यादातर समाजवादी छात्र सभा के कार्यकर्ता थे जो समाजवादी पार्टी की शाखा है | छात्रों ने काले झंडे लहराए, नारेबाज़ी की और रोड पर लेटकर मुख्यमंत्री के काफ़िले को रोकने की कोशिश की जब मुख्यमंत्री और गवर्नर राम नाइक शिवाजी के सम्मान में आयोजित हिंडावी स्वराज दिवस में शामिल होने जा रहे थे |"
"हमनें प्रदर्शन यूनिवर्सिटी दाखिले में अनियमित्ताओं और वास्तविक सेक्षित जरूरतों के लिए पैसे नहीं देने के ख़िलाफ़ किया था | फिर भी वह लोग 'पब्लिक मनी' शैक्षिक रूप से गैर-जरूरी कार्यक्रमों पर खर्च करते हैं," पूजा शुक्ला, एक प्रदर्शनकारी ने न्यूज़लांड्री को बताया था |
इस मामले पर हमें इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट भी मिली जो 11 जून 2017 को प्रकाशित हुई थी | इस रिपोर्ट के मुताबिक़ गिरफ़्तार हुए प्रदर्शनकारियों में से अधिकतर को बेल नहीं मिल पाई थी | इस मामले के बारे में यहाँ और पढ़ें |