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आईएमएफ ने घटाया वैश्विक विकास अनुमान, भारत की मंदी का दिया हवाला

आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि कम वैश्विक अनुमानों में भारत का बड़ा योगदान है

By - Archis Chowdhury |
Published -  22 Jan 2020 6:46 PM IST
  • आईएमएफ ने घटाया वैश्विक विकास अनुमान, भारत की मंदी का दिया हवाला

    जैसे ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने सोमवार को वैश्विक आर्थिक पूर्वानुमान को घटाया, दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में बोलते हुए मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने कहा कि इसमें बड़ा योगदान भारत की सुस्ती का है।

    गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र और कमजोर ग्रामीण मांग के संकट के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए भारत का विकास अनुमान 4.8% तक घटा था। वैश्विक विकास अनुमान 1.9% तक आया, जो पिछले अनुमान से 0.1% कम था।

    In this update to the #WEO, we project global growth to increase modestly from 2.9% in 2019 to 3.3% in 2020 and 3.4% in 2021. Check out the latest projections. https://t.co/WBs8djIaIZ pic.twitter.com/YgJlXS2afe

    — IMF (@IMFNews) January 20, 2020

    धीमी गति

    गुवाहाटी, असम - 23 सितम्बर, 2019: भारतीय श्रमिक प्याज को एक थोक बाज़ार में ढोते हुए| महाराष्ट्र और कर्नाटक में बाढ़ के चलते प्याज उत्पादन पर फर्क पड़ा है जिससे प्याज की कीमतें आसमान छू रही हैं| (श्रोत: शटरस्टॉक)

    भारत के लिए नए संशोधित अनुमान चालू वित्त वर्ष के लिए 4.8% हैं, जो वित्त वर्ष 2010-21 के लिए 5.8% तक और वित्त वर्ष 21-22 के लिए 6.5% तक बढ़ने की उम्मीद है। यह इन 3 वित्तीय वर्षों के पिछले विकास अनुमानों के लिए क्रमशः 1.3%, 1.2% और 0.9% की कटौती को चिह्नित करता है।

    यह भी पढ़ें: 63 भारतीयों के पास हैं 2018 के केंद्रीय बजट से ज्यादा रकम - ऑक्सफैम

    वित्त वर्ष 19-20 के लिए, एसबीआई समूह और विश्व बैंक ने पहले भारत के विकास का अनुमान क्रमशः 4.6% और 5% आंका था।

    संशोधित वैश्विक अनुमान 2019 के लिए 2.9%, 2020 के लिए 3.3% और 2021 के लिए 3.4% हैं। इन वित्तीय वर्षों के लिए पिछले अनुमानों से इन अनुमानों को 0.1%, 0.1% और 0.2% से घटा दिया गया है|

    आईएमएफ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि "डाउनवर्ड रिविजन मुख्य रूप से कुछ उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक गतिविधियों के लिए नकरात्मकता को दर्शाता है, विशेष रूप से भारत, जिसकी वजह से अगले दो वर्षों में विकास की संभावनाओं के पुनर्मूल्यांकन करना पड़ा।" रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि "यह पुनर्मूल्यांकन बढ़ती सामाजिक अशांति के प्रभाव को भी दर्शाता है।"

    इंडिया टुडे से बात करते हुए, भारतीय मूल की, गीता गोपीनाथ, जो वर्तमान में आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री हैं, ने दावा किया कि वैश्विक विकास अनुमानों की गिरावट में भारत का योगदान 80% से अधिक था।

    विश्व आर्थिक मंच की 50 वीं वार्षिक बैठक में इंडिया टुडे के समाचार निदेशक राहुल कंवल के साथ बात करते हुए गोपीनाथ ने कहा, "हमारे अनुमानों की तुलना में भारत के पहले दो तिमाहियों कमजोर थे। एक क्षेत्र जहां हम सबसे अधिक तनाव देख रहे हैं वह है वित्तीय क्षेत्र - गैर-बैंक वित्तीय निगम। हमने क्रेडिट ग्रोथ में तेज गिरावट और कमजोर कारोबारी धारणा को देखा है। यह सब संशोधन का कारण हैं|"

    #IndiaTodayAtDavos20
    What's important for India's growth? IMF Chief Economist @GitaGopinath tells us as she speaks #exclusively to @rahulkanwal#Newstrack LIVE https://t.co/4fqxBVUizL pic.twitter.com/KmTEc2k9qs

    — India Today (@IndiaToday) January 20, 2020

    केवल भारत की ही स्थिति खराब नहीं है। वैश्विक अर्थव्यवस्था को नीचे खींचने के लिए आईएमएफ ने "कम प्रदर्शन और तनावपूर्ण बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं" के एक समूह की ओर भी इशारा किया, जिसमें "ब्राजील, भारत, मैक्सिको, रूस और तुर्की" शामिल हैं।

    असमानता में वृद्धि

    दुनिया भर में असमानता पर ऑक्सफैम की चौंकाने वाली रिपोर्ट के दो दिन बाद आईएमएफ का संशोधित अनुमान सामने आया है। रिपोर्ट में दावा किया गया कि 2018 में, 63 भारतीय अरबपतियों के पास उस वर्ष के लिए संयुक्त बजट ( 24,42,200 करोड़ रुपये) से अधिक संपत्ति थी। इसके अलावा, टॉप 1% भारतीयों के पास, निचले 70% की तुलना में चार गुना ज्यादा संपत्ति थी।

    India Not Growing, Yet Inequality Is: @OxfamIndia CEO @AmitabhBehar Tells @NDTV's @VishnuNDTV in #Davos where he released @Oxfam's inequality report. https://t.co/nj7gzt36Fp #Davos20 @wef

    — Oxfam India (@OxfamIndia) January 21, 2020

    ऑक्सफैम रिपोर्ट ने बार-बार कहा कि दुनिया भर में मौजूदा आर्थिक प्रथाएं अत्यधिक लैंगिकवादी थीं, जिसने उभरती और विकसित दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए आर्थिक क्षमता को कम कर दिया।

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    IMFWorld BankEconomyOxfamIndiaGlobal estimates
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