नहीं, जंतर मंतर पर चल रहा पहलवानों का धरना ख़त्म नहीं हुआ है
बूम ने सोमवार को जंतर मंतर पर चल रहे धरने को ज़ाकर देखा तो पाया कि भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर चल रहा पहलवानों का धरना ज़ारी है.
सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों का एक कोलाज इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि दिल्ली के जंतर मंतर पर महिला पहलवानों के साथ हुए यौन शोषण के ख़िलाफ़ चल रहा धरना समाप्त हो गया है.
हालांकि बूम ने सोमवार को जंतर मंतर पर चल रहे धरने को ज़ाकर देखा तो पाया कि वायरल दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. शाम 5 बजे तक पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र और उत्तरप्रदेश समेत कई अन्य राज्यों से आए लोग पहलवानों के इस धरने को अपना समर्थन दे रहे थे और भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे थे.
समर्थन दे रहे लोगों में महिलाएं, बुजुर्ग, किसान संगठनों और राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी शामिल थे. इस दौरान धरना दे रहे पहलवानों ने हमारे साथ बातचीत में वायरल दोनों तस्वीरों की सच्चाई भी बताई और साथ ही जोर देकर यह कहा कि “जब तक हमें न्याय नहीं मिल जाता है, तब तक हम अपना धरना ख़त्म नहीं करेंगे”.
इस साल की शुरुआत में पहलवान विनेश फ़ोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया ने रेसलिंग फ़ेडरेशन और इंडिया के अध्यक्ष व भाजपा सांसद बृज भूषण शरण सिंह के ऊपर महिला पहलवानों के साथ यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए थे. जिसके बाद 18 जनवरी को पहलवानों ने जंतर मंतर पर प्रदर्शन शुरू कर दिया था. हालांकि तब केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के आश्वासन के बाद प्रदर्शनकारी पहलवानों ने अपना धरना वापस ले लिया था. बृज भूषण शरण सिंह के ऊपर लगे आरोपों की जांच के लिए एक समिति बनाई गई थी. जांच समिति को चार हफ़्तों में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन रिपोर्ट अब तक सार्वजनिक नहीं हो पाई है.
बीते 21 अप्रैल को पहलवानों ने दिल्ली के कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ यौन शोषण की शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की लेकिन पुलिस ने शिकायत नहीं दर्ज की. जिसके बाद पहलवानों ने जंतर मंतर पर फ़िर से प्रदर्शन करना शुरू कर दिया. हालांकि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जाने के बाद दिल्ली पुलिस ने बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ पॉक्सो जैसे गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया. पहलवानों के इस प्रदर्शन को कई किसान संगठनों, खाप पंचायतों और राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिल रहा है. प्रदर्शनकारी पहलवानों की तरफ़ से बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए 21 मई तक का अल्टीमेटम दिया गया है.
वायरल कोलाज में दो तस्वीरें शामिल हैं. एक तस्वीर में पहलवान बजरंग पूनिया, संगीता फ़ोगाट और विनेश फ़ोगाट कपड़े और बैग लेकर कहीं जाते दिख रहे हैं. वही दूसरी तस्वीर में जंतर मंतर प्रदर्शन स्थल पर कुछ लोग खड़े दिखाई दे रहे हैं.
भाजपा नेता कृष्ण गहलोत ने वायरल कोलाज को अपने वेरिफ़ाईड ट्विटर हैंडल से शेयर करते कैप्शन में लिखा है, “चंद घन्टों में जंतर-मंतर #अनाथ हो गया। क्या सोचा था, यह क्या हो गया?”.
वहीं फ़ेसबुक भी यह कोलाज इसी कैप्शन के साथ वायरल है. वायरल कोलाज से जुड़े अन्य फ़ेसबुक पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम वायरल दावे की पड़ताल के लिए जंतर मंतर पर चल रहे प्रदर्शन में गया. भारी पुलिस बल की मौजूदगी के बीच जंतर मंतर पर मौजूद चेकपोस्ट को पार कर जब हम 8 मई को क़रीब 4 बजे शाम में जंतर मंतर पहुंचे तो हमने वहां काफ़ी भीड़ देखी. कई लोग वहां नीचे बैठकर वक्ताओं द्वारा दिए जा रहे भाषणों को सुन रहे थे. भाषण दे रहे लोग मुख्यतः बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग कर रहे थे. इस दौरान पहलवान विनेश फ़ोगाट, साक्षी मलिक और बजरंग पूनिया भी भीड़ के बीच ही बैठकर भाषणों को सुन रहे थे.
समर्थन देने आए कई लोग पहलवानों के साथ फ़ोटो खिंचवाने के लिए भी काफ़ी उत्सुक नज़र आ रहे थे. हालांकि पहलवान भी किसी को निराश नहीं कर रहे थे और वे फ़ोटो का आग्रह करने वाले लोगों के साथ आसानी से फ़ोटो खिंचवा ले रहे थे.
थोड़े देर तक प्रदर्शन और वहां दिए जा रहे भाषणों को सुनने के बाद हमने सबसे पहले राष्ट्रीय स्तर के रेसलर व प्रोटेस्ट में वालंटियर की भूमिका निभाने वाले मंदीप क्रांतिकारी से संपर्क किया. हमने उन्हें वह ट्वीट दिखाया, जिसमें वायरल दावे के साथ दो तस्वीरें शेयर की गई थी.
तस्वीर देखने के तुरंत बाद मंदीप ने कहा कि “दूसरी तस्वीर में नारंगी रंग की टीशर्ट में मैं ही मौजूद हूं”. साथ ही इस दौरान उन्होंने हमें दोनों तस्वीरों की सच्चाई बताई.
मंदीप क्रांतिकारी ने बूम को बताया कि “हमारी सुबह 5:30-6:00 बजे हो जाती है. पहली फ़ोटो सुबह उठकर जाने के दौरान की है और यह तस्वीर 28 अप्रैल की है. कुछ विरोधी लोग यह दावा कर रहे हैं कि लोग आंदोलन से चले गए हैं लेकिन आज सुबह भी कई जत्थे आए थे और अभी भी लोग बैठे हुए हैं. दूसरी फ़ोटो जिसमें मैं मौजूद हूं, वह पीछे से लिया गया है. उस दौरान मैं यहां चल रहे काम को देख रहा हूं”.
मंदीप से बात करने के बाद जब हम प्रदर्शन स्थल पर पहलवानों के ठहरने के लिए बने टेंट में गए तो हमें वहां साक्षी मलिक और उनके पति एवं रेसलर सत्यव्रत कादियान मिले. हमने उन्हें इस धरने को लेकर बीजेपी नेता कृष्ण गहलोत द्वारा किया गया वह ट्वीट दिखाया. ट्वीट देखने के बाद आश्चर्य व्यक्त हुए उन्होंने वायरल दावे का खंडन किया.
सत्यव्रत कादियान ने बूम के साथ बातचीत में कहा, “पहली फोटो सुबह की है जब हम अपने चादर और बिस्तर मोड़कर अपनी गाड़ी में रखने जा रहे थे. हमारा धरना लगातार चालू है. दूसरी फ़ोटो बैक साइड से ली गई है. हमारे टीम के सदस्य भीड़ को नियंत्रित करने में लगे हुए हैं. हमारा धरना लगातार चालू है. जबतक देश की बेटियों को न्याय नहीं मिल जाता है हमारा धरना चालू रहेगा”.
इस दौरान हमने यह नोटिस किया कि जिस जगह शाम पांच बजे तक भाषण हो रहे थे वहीं पर धरना दे रहे पहलवानों के लिए रात में सोने के लिए बिस्तर भी लगाए जा रहे थे.
हमने इस दौरान बजरंग पूनिया और संगीता फ़ोगाट से भी वायरल दावे को लेकर सवाल किया. बजरंग ने वायरल दावे और फ़ोटो को देख कर कहा कि “यह फ़ोटो 28 अप्रैल की है और इसके साथ झूठ फैलाया जा रहा है. जबतक न्याय नहीं मिल जाता तब तक लड़ाई जारी रहेगी”.
आगे बजरंग ने कहा कि “कुछ लोग इस धरने के बारे में लोगों तक ग़लत जानकारी पहुंचा रहे हैं कि वे लोग चले गए हैं, होटलों में सोते हैं. यह सब फ़ेक है”. उनके साथ मौजूद संगीता ने तुरंत बाद सवाल उठाते हुए कहा कि “जो लड़कियां है वो कपड़े कहां चेंज करेंगी, रोड पर नहीं कर सकती हैं. यहां के वाशरूम में पानी भी नहीं है, वे कहां फ्रेश होंगी?”.
हमारी अभी तक की जांच में दोनों तस्वीरों और वायरल दावे की सच्चाई पता लग चुकी थी. इस दौरान हमने बजरंग पूनिया, संगीता फ़ोगाट और विनेश फ़ोगाट वाली तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च भी किया तो हमें यह तस्वीर 29 अप्रैल को हिंदुस्तान टाइम्स की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में मिली.
तस्वीर के साथ मौजूद रिपोर्ट में इसका क्रेडिट समाचार एजेंसी पीटीआई को दिया गया था. कैप्शन में दी गई जानकारी के अनुसार, यह तस्वीर 28 अप्रैल के सुबह की है जब बजरंग पूनिया, संगीता फ़ोगाट और विनेश फ़ोगाट जंतर मंतर पर चल रहे प्रदर्शन में रात बिताने के बाद सुबह उठकर कहीं जा रहे थे.
नहीं, शाहीन बाग़ का विरोध करने वाली बबीता फ़ोगाट पहलवानों के धरने में शामिल नहीं हैं