RSS के आजादी की लड़ाई में भाग न लेने के दावे से वायरल पत्र फर्जी
बूम ने जांच में पाया कि RSS के आजादी की लड़ाई में भाग न लेने के दावे से ब्रिटिश गृह विभाग के हवाले से वायरल पत्र फर्जी है.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा 1925-1947 के बीच किसी भी ब्रिटिश सरकार विरोधी आंदोलन में भाग न लेने का दावा करने वाला एक पत्र ब्रिटेन के गृह विभाग के हवाले से वायरल है. पत्र में लिखा है, "RSS ने 1925 से 1947 तक किसी भी ब्रिटिश विरोधी आंदोलन में भाग नहीं लिया." पत्र पर ब्रिटिश गृह विभाग के दावे के साथ एक मोहर लगी है, पत्र पर लॉर्ड माउंटबेटन के हस्ताक्षर भी अंकित हैं.
बूम ने जांच में पाया कि वायरल पत्र फर्जी है, इसमें गृह विभाग के गलत नाम, गलत हस्ताक्षर, ऐतिहासिक तथ्यों की अनदेखी समेत कई विसंगतियां हैं.
क्या है वायरल दावा :
फेसबुक यूजर ने पत्र को शेयर करते हुए लिखा है, 'यह सबूत उन संघियों के मुंह पर तमाचा है जो कहते हैं कि उन्होंने भी आजादी की लड़ाई में भाग लिया था... यह देखिए ब्रिटिश सरकार का प्रमाण पत्र, जिसमें स्पष्ट लिखा है कि आरएसएस ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चल रहे आंदोलन में कभी भाग नहीं लिया.' आर्काइव लिंक
एक्स पर भी यह पत्र इसी दावे के साथ वायरल है. आर्काइव लिंक
पड़ताल में क्या मिला :
विभाग का गलत नाम:
पत्र में विभाग का नाम "ब्रिटिश गृह विभाग" है, जबकि यूनाइटेड किंगडम का ऐसा कोई विभाग नहीं है. यूनाइटेड किंगडम का होम ऑफिस 1782 में स्थापित हुआ था.
प्रतीक चिन्ह और आदर्श वाक्य भी गलत :
वायरल पत्र में यूनाइटेड किंगडम का शाही राजचिन्ह शेर और घोड़ा दिखाया गया है, जबकि यूनाइटेड किंगडम के आधिकारिक शाही राजचिन्ह में शेर और गेंडा हैं. इसके अलावा, शाही राजचिन्ह में अंकित आदर्श वाक्य "Dieu et mon droit" (फ्रेंच भाषा में) है, लेकिन पत्र में इसे "Dieu Droit" लिखा गया है, जोकि गलत है. यूनाइटेड किंगडम के होम ऑफिस का अपना खुद का विशिष्ट चिन्ह है.
राष्ट्रीय अभिलेखागार में कोई रिकॉर्ड नहीं :
हमें अपनी जांच में यूनाइटेड किंगडम के राष्ट्रीय अभिलेखागार में इस तरह के किसी पत्र का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला. हमें 1978 में ब्रिटेन के गृह कार्यालय द्वारा आरएसएस के लिए लिखे गए ऐसे किसी भी पत्र के बारे में कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली, जैसा कि वायरल पत्र के साथ दावा किया जा रहा है. हमने पत्र की प्रामाणिकता के बारे में राष्ट्रीय अभिलेखागार प्रेस कार्यालय में भी संपर्क किया, उन्होंने हमारे प्रश्न का उत्तर न देते हुए हमें अभिलेखागार में खुद से पत्र और उससे संबंधित जानकारी जुटाने का निर्देश दिया.
1978 के माउंटबेटन के पत्र की नकल :
वायरल पत्र के टेम्पलेट में "Romsey Telephone" और वर्ष "1978" भी लिखा है, जो बैकग्राउंड में शैडो इफेक्ट में काफी धुंधला दिखाई दे रहा है. सर्च करने पर हमें अपनी जांच में टाइप किया हुआ एक पत्र मिला, यह पत्र 1 नवंबर 1978 को लॉर्ड माउंटबेटन द्वारा हस्ताक्षरित है और एक सैन्य अड्डे की यात्रा से संबंधित है. वायरल पत्र इसी पत्र की नकल करके बनाए जाने की प्रबल संभावना है.
गलत हस्ताक्षर:
पत्र में लॉर्ड लुई माउंटबेटन के हस्ताक्षर हैं, लेकिन माउंटबेटन यूके के गृह विभाग से संबंधित नहीं थे. वे सेनाकर्मी थे और भारत के अंतिम वायसराय थे. उनका नाम गृह विभाग के पत्राचार और संचार से जोड़ा जाना ऐतिहासिक रूप से गलत है.


