अयोध्या के राम मंदिर के विरोध में नारा लगाती महिलाओं का वायरल वीडियो पुराना है
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो नवंबर 2019 का है, जब राम मंदिर पर फैसले के बाद हैदराबाद के सैदाबाद में मुस्लिम महिलाएं इसके विरोध में उतरी थीं.
सोशल मीडिया पर राम मंदिर के खिलाफ नारे लगाती कुछ मुस्लिम महिलाओं का एक वीडियो अभी का बताकर वायरल है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा भ्रामक है. वायरल वीडियो नवंबर 2019 का है, जब तेलंगाना स्थित सैदाबाद में उजाले शाह ईदगाह के परिसर में मुस्लिम महिलाओं ने राम मंदिर पर फैसले का विरोध करते हुए नारे लगाए थे.
गौरतलब है कि इसी साल जनवरी में राम मंदिर का उद्घाटन हुआ. इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत देश की कई बड़ी हस्तियां मौजूद रहीं. अपने निर्माण के समय से राम मंदिर सोशल मीडिया यूजर्स के बीच काफी चर्चित रहा है और इंटरनेट पर इससे संबंधित तमाम भ्रामक तथा गलत खबरें भी खूब साझा की गईं. अब इसी कड़ी में यह चार साल पुराना वीडियो हमारे सामने है.
लगभग दो मिनट के इस वायरल वीडियो में कुछ मुस्लिम महिलाएं एक परिसर में 'बाबरी मस्जिद लेकर रहेंगे', 'राम मंदिर तोड़ेंगे' और अल्लाह-हू-अकबर' जैसे नारे लगाती दिख रही हैं. वीडियो में कुछ तख्तियां भी हैं जिसपर 'We deny court's decision' (हम कोर्ट के फैसले का बहिष्कार करते हैं) लिखा है. आगे वीडियो में पुलिस की नाकेबंदी भी देखी जा सकती है. यह वीडियो इंटरनेट पर हाल के दिनों में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए शेयर किया जा रहा है. बता दें कि पिछले साल तेलंगाना में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई है.
फेसबुक पर एक यूजर ने इसे शेयर करते हुए लिखा, 'ले के रहेंगे, ले के रहेंगे, बाबरी मस्जिद लेकिन के रहेंगे.. तोड़ेंगे तोड़ेंगे, राम मंदिर तोड़ेंगे, लाठी गोली खायेंगे, नारा ए तकबीर.. राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान हैदराबाद में ऑलरेडी खुल चुकी है... ये है असली भाईचारा का मुजाहिरा.'
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म एक्स पर एक दक्षिणपंथी वेरिफाइड यूजर ने वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा, 'तोड़ेंगे-तोड़ेंगे राम मंदिर तोड़ेंगे. ऐसे कट्टरपंथी ही कांग्रेस कों वोट देकर सरकार बनवाते हैं, इसीलिए कांग्रेस का कोई बड़ा नेता अयोध्या नहीं गया. तेलंगाना की तरह जहां भी ऐसे अलगाववादी लोग हैं वहां कांग्रेस आज भी मजबूत है.'
फैक्ट चेक
हमने वायरल वीडियो को गौर से देखा तो पाया कि उसपर '21 News' लिखा हुआ था. वायरल वीडियो की सच्चाई जाने के लिए हमने यूट्यूब पर इस चैनल की तलाश की. इसके जरिए हमें हैदराबाद आधारित '21 न्यूज चैनल' नाम के यूट्यूब चैनल पर 14 नवंबर 2019 का अपलोड किया गया मूल वीडियो मिला.
लगभग 10 मिनट के इस वीडियो में वायरल वीडियो वाला हिस्सा भी देखा जा सकता है. इस वीडियो रिपोर्ट के मुताबिक, यह तेलंगाना के हैदराबाद स्थित सैदाबाद की घटना है, जहां राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले बाद महिलाएं विरोध में उतरी थीं
वीडियो में प्रदर्शनकारियों के बयान भी शामिल हैं, जिसमें वह 9 नवंबर (2019) को आए विवादित जमीन पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को नाइंसाफी बता रहे हैं.
वीडियो के डिस्क्रिप्शन में बताया गया कि वहदत-ए-इस्लामी फाउंडेशन के अध्यक्ष मौलाना नसीरुद्दीन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने मुसलमानों की भावनाओं के खिलाफ यह फैसला सुनाया है. पुलिस नाकाबंदी के बीच मुस्लिम महिलाओं की कमान में सैदाबाद थाने के उजाले शाह ईदगाह में विशेष नमाज अदा की गई.
आगे हमने घटना के बारे में और जानकारी के लिए वीडियो से संबंधित कुछ कीवर्ड्स सर्च किए. इसके जरिए हमें यूट्यूब पर 'सियासत टीवी' नाम के हैदराबाद बेस्ड उर्दू न्यूज चैनल पर भी एक वीडियो मिला, जिसमें घटना की विस्तृत रिपोर्टिंग की गई थी. इसमें वायरल वीडियो से मिलते-जुलते विजुअल्स देखे जा सकते हैं.
14 नवंबर 2019 के इस रिपोर्ट के अनुसार, हैदराबाद के सैदाबाद में जुम्मे के मौके पर महिलाओं ने नमाज अदा की और पुलिस की नाकेबंदी के बीच राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर अपना विरोध दर्ज कराया.
इस दौरान हमें फेसबुक पर भी 14 नवंबर 2019 का इससे संबंधित एक पोस्ट मिला. इसमें बताया गया कि यह 14 नवंबर 2019 की हैदराबाद के उजाले शाह ईदगाह ग्राउंड की घटना है. जहां 100 से अधिक मुस्लिम महिलाएं राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रार्थना सभा आयोजित करने के लिए इकट्ठा हुईं. उन्होंने वहां राम मंदिर तोड़ने के नारे लगाए. इस पोस्ट में घटना के लिए शाबिस्ता और हुमा नाम की दो महिलाओं को जिम्मेदार बताया गया.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में भी पुलिस के हवाले से बताया गया कि हुमा नाम की महिला के नेतृत्व में लगभग 110 मुस्लिम महिलाएं उजाले शाह ईदगाह मैदान में गैरकानूनी तरीके से इकट्ठा हुईं और नमाज अदा की. लगभग 20 मिनट तक नमाज पूरी होने के बाद उन्होंने उत्तेजक नारे लगाए और सुप्रीम कोर्ट के फैसले की भी आलोचना की. इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आईपीसी की धारा 124A (देशद्रोह) इत्यादि के तहत उनपर मुकदमा दर्ज किया गया.