हलाल मार्क होने के कारण वाडीलाल आइसक्रीम में बीफ फ्लेवर का झूठा दावा वायरल
बूम को वाडीलाल के क्वॉलिटी मैनेजर ने बताया कि कंपनी 100 फीसदी वेजिटेरियन प्रोडक्ट बेचती है. हलाल मार्क वाले प्रोडक्ट कुछ विशिष्ट देशों को एक्सपोर्ट किए जाते हैं.
सोशल मीडिया पर हलाल मार्क के साथ वाडीलाल आइसक्रीम की पैकेजिंग वाली एक तस्वीर वायरल है. इसे लेकर यूजर सांप्रदायिक दावा कर रहे हैं कि वाडीलाल कंपनी अपनी आइसक्रीम में गौ-मांस के फ्लेवर का उपयोग करती है, इसीलिए उसकी पैकेजिंग में हलाल सर्टिफिकेट वाला मार्क प्रिंटेड है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि दावा गलत है. बूम को आइसक्रीम कंपनी के क्वॉलिटी मैनेजर ने बताया कि कंपनी के प्रोडक्ट 100 फीसदी वेजिटेरियन हैं और हलाल मार्क वाले प्रोडक्ट सिर्फ कुछ विशिष्ट देशों में निर्यात किए जाते हैं. वाडीलाल भारत में बेचने वाले अपने उत्पादों पर हलाल मार्क का प्रयोग नहीं करता है.
दरअसल कुछ इस्लामिक देशों के उद्योग मानकों के अनुसार, वहां के उत्पाद में हलाल मार्क होना अनिवार्य है. हलाल मार्क इस्लामी खान-पान के नियमों 'हलाल' की प्रमाणिकता को सुनिश्चित करने के लिए प्रदर्शित किया जाता है.
एक एक्स यूजर ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, 'वाडीलाल आइसक्रीम का ब्रांड आइसक्रीम में गोमांस के फ्लेवर का उपयोग करता है और इसी कारण वाडीलाल ने हलाल सर्टिफिकेट कार्टन पर छाप लिया है तो आज से कोई हिंदू वाडीलाल का आइस्क्रीम न खाए सभी हिंदू भाई इसका बड़े पैमाने पर बायकाट करें.'
फेसबुक (आर्काइव पोस्ट) पर भी इसी दावे से यह तस्वीर वायरल है.
दावे की सत्यता की जांच के लिए बूम की टिपलाइन (+917700906588) पर भी हमें यह फोटो प्राप्त हुई.
फैक्ट चेक
बूम ने फैक्ट चेक के लिए वायरल दावे की पड़ताल की. हमें सोशल मीडिया पर अप्रैल-मई 2024 के ऐसे कई पोस्ट (आर्काइव लिंक) मिले, जिसमें दावा किया गया कि "वाडीलाल 'हलाल' सर्टिफाइड आइसक्रीम को बढ़ावा दे रहा है."
इसके बाद हमें इस तरह के वायरल दावे पर वाडीलाल (Vadilal Enterprises Ltd) के लिंक्डइन अकाउंट पर एक महीने पहले का एक स्पष्टिकरण मिला.
पोस्ट के साथ एक तस्वीर में वेजिटेरियन मार्क को हाइलाइट करते हुए बताया गया, "हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि भारत में हलाल सर्टिफिकेट वाले वाडीलाल आइसक्रीम पैक बेचे जाने की हालिया अफवाहें झूठी हैं. वाडीलाल में हम गर्व के साथ 100% शाकाहारी आइसक्रीम और अन्य खाद्य उत्पाद पेश करते हैं. हलाल सर्टिफिकेट वाले उत्पाद निर्यात बाजारों के लिए बनाए गए हैं, उद्योग मानकों के अनुसार, ऐसे प्रमाणीकरण की आवश्यकता होती है."
पोस्ट में लिखा गया कि "वाडीलाल लंबे समय से भारत में एक विश्वसनीय नाम रहा है, जो 100 प्रतिशत शाकाहारी और स्वादिष्ट उत्पाद बनाता है. हम अपनी इस परंपरा के प्रति ईमानदार हैं."
आइस्क्रीम की पैकेजिंग वाली वायरल फोटो में हलाल मार्क के संबंध में और अधिक स्पष्टिकरण के लिए हमने वाडीलाल से संपर्क किया. कंपनी के क्वॉलिटी मैनेजर अर्पित पारेख ने बूम को बताया, "यह पैकेंजिंग भारत के लिए नहीं है और न ही भारत में उपलब्ध है. हलाल सर्टिफिकेशन मार्क कुछ विशिष्ट देशों में निर्यात करने के लिए एक प्रक्रियात्मक आवश्यकता है. वाडीलाल के सभी उत्पाद 100 फीसदी शाकाहारी हैं और हम 100 फीसदी शाकाहारी कंपनी हैं."
हलाल सर्टिफिकेट का क्या मतलब है?
दरअसल, कई इस्लामी देशों जैसे- ईरान, सऊदी अरब और मध्य पूूर्व के कई देशों में केवल हलाल प्रमाणित पदार्थों की ही अनुमति है. इसलिए भारत में कई कंपनियां अपने एक्सपोर्ट किए जाने वाले उत्पादों पर हलाल सर्टिफिकेट वाला मार्क लगाती हैं. यह सर्टिफिकेट प्रमाणित करता है कि कोई वस्तु इस्लामी नियमों और कानूनों के मुताबिक बनाई गई है.
'हलाल' एक अरबी शब्द है जिसका मतलब है अनुमति योग्य. यह 'हराम' शब्द के विपरीत है जिसका अर्थ है- निषिद्ध. किसी भी हलाल सर्टिफाइड प्रोडक्ट का मतलब है कि वह इस्लामी नियमों के मुताबिक स्वीकृत हो. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, कोई भी शाकाहारी भोजन को आम तौर पर स्वीकार्य या हलाल माना जाएगा जब तक कि उसमें अल्कोहल का इस्तेमाल न किया गया हो.
रिपोर्ट के अनुसार, हलाल सर्टिफिकेट उपभोक्ता को केवल यह बताते हैं कि कोई प्रोडक्ट हलाल माने जाने के नियमों को पूरा करता है या नहीं. वे प्रोडक्ट में मांस की मौजूदगी को नहीं बताते.
भारत में हलाल सर्टिफिकेट के लिए कोई राष्ट्रीय संस्था नहीं है. यह सर्टिफिकेट अधिकृत निजी संस्थाओं द्वारा जारी किया जाता है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के विदेश व्यापार महानिदेशालय ने भारत से मांस उत्पादों के निर्यात के लिए हलाल सर्टिफिकेट प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए अप्रैल 2023 में दिशानिर्देश जारी किए थे.
भारत में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) खाद्य पदार्थों की पैकेजिंग में शाकाहारी और मांसाहारी पदार्थों को दर्शाने के लिए क्रमशः हरे और लाल रंग का मार्क लगाने के लिए निर्देशित करता है.
बूम ने जुलाई 2023 में हलाल सर्टिफिकेट पर एक एक्सप्लेनर स्टोरी की थी जब एक यात्री भारतीय रेलवे के एक कर्मचारी द्वारा 'हलाल-सर्टिफाइड चाय' दिए जाने पर नाराज हो गया था.