RSS पर अरुणाचल में दंगे भड़काने का आरोप लगाते ट्रंप का वीडियो डीपफेक है
बूम को ऐसी कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली, जिसमें बताया गया हो कि ट्रंप ने आरएसएस को लेकर ऐसा कोई बयान दिया है. इसके अलावा हमने यह भी पाया कि मूल वीडियो साल 2017 का है.



सोशल मीडिया पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एक वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो में ट्रंप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर अरुणाचल प्रदेश में दंगे भड़काने और तानी जनजातियों के बीच मतभेद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते नजर आ रहे हैं.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि यह वीडियो डीपफेक है. इसमें वह तमाम विसंगतियां पाई गईं जो अमूमन एआई जनित डीपफेक कंटेंट में होती हैं. इसके अलावा, एआई डिटेक्शन टूल्स ने भी पुष्टि की कि वीडियो डीपफेक है.
दि न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ईसाई समुदाय के लोग अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम (APFRA) 1978 के खिलाफ आंदोलनरत हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि 6 मार्च 2025 को राजधानी ईटानगर में हजारों ईसाइयों ने इसे निरस्त करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया था.
दरअसल अरुणाचल प्रदेश धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1978 बलपूर्वक धर्म परिवर्तन को प्रतिबंधित करता है. हालांकि यह अधिनियम कभी लागू नहीं हुआ.
इस संबंध में अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू का भी बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार APFRA,1978 के नियम तैयार करने से पहले विभिन्न धार्मिक समूहों के सदस्यों की एक समिति बनाएगी और उनके विचार जानेगी.
अरुणाचल प्रदेश में तानी जनजाति की अधिकांश आबादी ने मुख्य रूप से ईसाई धर्म अपना लिया है. जबकि कुछ डोनी-पोलो समुदाय बौद्ध धर्म का पालन करते हैं. डोनी पोलो समुदाय के लोग सूर्य (डोनी) और चंद्रमा (पोलो) की पूजा करने के लिए जाने जाते हैं.
लगभग तीन मिनट के इस वीडियो में डोनाल्ड ट्रंप कथित तौर पर कहते दिख रहे हैं कि डोनी पोलो समुदाय के कुछ लोगों को ब्रेनवाश करने के लिए आरएसएस से पैसे मिले हैं ताकि स्थानीय डोनी-पोलो के अनुयायी उनके ईसाई तानी भाइयों के विरोध में जा सकें और उन्हें APFRA के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सके.
आगे ट्रंप यह भी कहते हैं कि डोनी पोलो समुदाय के लोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए अपनी पहचान और आस्था को आरएसएस को बेच रहे हैं, जो ईसाई तानी लोगों के बीच संघर्ष को बढ़ावा दे रहे हैं.
वह उन लोगों की पहचान करने का भी आग्रह करते हैं जिन्होंने तानी लोगों को विभाजित करने में आरएसएस की सहायता के लिए पैसे लिए. ट्रंप को डोनी पोलो धर्म के सच्चे अनुयायियों, जिन्होंने आरएसएस से पैसे नहीं लिए, से आह्वान करते हुए सुना जा सकता है कि वे एकजुट हों और राज्य से इन प्रभावों को हटा दें.
फेसबुक इस वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने बीजेपी पर निशाना साधा और लिखा, 'अब आरएसएस पर भी ट्रंप का हमला कर रहा है. ये तो बीजेपी वालों पर लगातार हमलावर होकर मोदी जी को चुनौती दे रहें है. डंका बजाने वाली ढोल में पोल हो गया है.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक: वायरल वीडियो फर्जी है
हमने सबसे पहले वीडियो में ट्रंप द्वारा दिए गए बयान से संबंधित कीवर्ड्स को गूगल किया पर हमें ऐसी कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली जो इस बात की पुष्टि करे कि ट्रंप ने अरुणाचल प्रदेश या आरएसएस को लेकर ऐसा कोई बयान दिया है.
इसके बाद हमने वीडियो को गौर से देखा तो पाया इसमें कई विसंगतियां हैं और ट्रंप के होठों के मूवमेंट उनकी बातों से मेल नहीं खा रहे. इसके अलावा, वीडियो में उनके भाषण के दौरान कई जंप कट लगाए गए हैं, लेकिन उनकी आवाज में कोई बदलाव नहीं दिख रहा.
नीचे वीडियो के इस वर्जन में ट्रंप के होठों के मूवमेंट करीब से देखे जा सकते हैं.
यहां से हिंट लेकर हमने वीडियो को विभिन्न हिस्सों में बांटा और उन्हें उन्हें AI डिटेक्शन टूल हाइव मॉडरेशन पर चेक किया. इस टूल के जरिए हमें वीडियो में AI की मदद से की गई हेरफेर का संकेत मिला.
पुष्टि के लिए हमने इसकी आवाज को चार हिस्सों में विभाजित किया और Resemble AI की मदद से उनका परीक्षण किया. Resemble AI, एआई जनित आवाजों का पता लगाने का एक टूल है.
इसके ऑडियो डिटेक्टर ने यह निष्कर्ष निकाला कि सभी चार हिस्से AI द्वारा जनरेट किए गए थे. परिणाम यहां, यहां, यहां और यहां देखें.
मूल वीडियो साल 2017 का है
वायरल वीडियो के कीफ्रेम और संबंधित कीवर्ड की मदद से हमें NBC News के यूट्यूब चैनल पर 12 मई 2017 का अपलोड किया गया एक वीडियो मिला. हमने पाया कि लेस्टर होल्ट से साथ किए गए इस इंटरव्यू के कुछ क्लिप को जोड़कर वायरल वीडियो को एडिट किया गया है.
मूल वीडियो में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप तत्कालीन FBI निदेशक जेम्स कोमी को बर्खास्त करने के फैसले को लेकर बातचीत कर रहे थे.