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फैक्ट चेक

रमजान में मुस्लिमों को भोजन उपलब्ध कराने वाला सर्कुलर कमलनाथ के कार्यकाल में जारी नहीं हुआ था

बूम ने पाया कि यह सर्कुलर 22 अप्रैल 2020 को जारी हुआ था, जबकि कमलनाथ ने 20 मार्च 2020 को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 23 मार्च को शिवराज सिंह ने इस पद की शपथ ली थी.

By - Jagriti Trisha |
Published -  30 April 2024 12:24 PM IST
  • रमजान में मुस्लिमों को भोजन उपलब्ध कराने वाला सर्कुलर कमलनाथ के कार्यकाल में जारी नहीं हुआ था

    सोशल मीडिया पर रायसेन जिला कलेक्टर ऑफिस का 22 अप्रैल 2020 का एक सर्कुलर वायरल है. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि कोविड-19 महामारी के दौरान 24 अप्रैल 2020 को कमलनाथ मध्य प्रदेश के सीएम थे. साथ ही उस वक्त उन्होंने पूरे प्रदेश के सभी क्वॉरंटीन सेंटर में इफ्तार के लिए सामग्री मुहैया कराने का आदेश दिया था.

    बूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है. यह सर्कुलर 22 अप्रैल 2020 को जारी हुआ था, जबकि कमलनाथ ने 20 मार्च 2020 को ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद 23 मार्च को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के शिवराज सिंह ने इस पद की शपथ ली थी. यानी जब यह सर्कुलर जारी हुआ तब प्रदेश में कांग्रेस की नहीं भाजपा की सरकार थी.

    गौरतलब है कि बीते 26 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग संपन्न हुई. इस दौरान 13 राज्यों की 88 सीटों पर मतदान हुआ. चुनाव की गहमागहमी के बीच सोशल मीडिया पर फर्जी और भ्रामक खबरें भी खूब शेयर की जा रही हैं. इस क्रम में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए यह सर्कुलर भी वायरल है.

    वायरल सर्कुलर रायसेन जिला कलेक्टर ऑफिस की तरफ से जारी किया गया है, इसपर तत्कालीन कलेक्टर उमाशंकर भार्गव का हस्ताक्षर भी देखा जा सकता है. इसमें लिखा है कि रमजान के मद्देनजर क्वारंटीन सेंटर में रह रहे मुस्लिमों को सरकार की तरफ से इफ्तार यानी दूध-फल आदि मुहैया कराया जाएगा.

    फेसबुक पर इस सर्कुलर को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, '4 अप्रैल 2020 कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. कोविड अपने चरम पर था. उस वक्त रमजान चल रहा था. कमलनाथ ने एक आर्डर जारी किया कि पूरे प्रदेश के सभी क्वारन्टीन सेंटर में जितने भी मुसलमान क्वारन्टीन है उन्हें सरकारी खजाने से दूध फल इफ्तार की पूरी किट दिया जाए. इसीलिए मैं कहता हूं कि जब कांग्रेस सत्ता में आएगी तब सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण की बात होगी. कितने हिंदू मंगलवार का व्रत रहते हैं लेकिन कमलनाथ सरकार ने उनके लिए कोई आदेश नहीं जारी किया.'


    पोस्ट का आर्काइव लिंक.

    एक्स पर भी भाजपा समर्थकों द्वारा यह सर्कुलर इसी कैप्शन के साथ शेयर किया गया है.


    पोस्ट का आर्काइव लिंक.

    यह भी पढ़ें -कमलनाथ का यह वायरल वीडियो एआई वॉइस क्लोन की मदद से एडिट किया गया है


    फैक्ट चेक

    हमने वायरल पोस्ट के कमेंट सेक्शन को देखा पाया कि वहां कुछ यूजर्स ने कमलनाथ के शासन में जारी सर्कुलर के दावे का खंडन करते हुए बताया था कि जब यह सर्कुलर जारी हुआ उससे पहले मार्च 2020 में ही शिवराज सिंह मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए थे. इससे हमें अंदेशा हुए कि वायरल दावा गलत है.



    इसकी सच्चाई जानने के लिए हम मध्य प्रदेश विधानसभा की आधिकारिक वेबसाइट पर पहुंचे. वहां हमें प्रदेश के मुख्यमंत्रियों की सूची मिली, जिसके मुताबिक कमलनाथ का कार्यकाल 20 मार्च 2020 तक था. उसके बाद भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च 2020 से मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी ली थी.


    मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद कमलनाथ को बहुमत साबित करना था. लेकिन उन्होंने बिना शक्ति परिक्षण का सामना किए, 20 मार्च 2020 को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

    फेसबुक पर इससे संबंधित कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें अप्रैल 2020 का एक पोस्ट मिला, पोस्ट में वायरल सर्कुलर को शेयर करते हुए यूजर ने शिवराज सिंह चौहान पर निशाना साधा था.


    पोस्ट का आर्काइव लिंक.

    इसके अलावा हमें 'संस्कृति बचाओ मंच' के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी के फेसबुक पेज पर भी एक पोस्ट मिला. इसमें 22 अप्रैल के वायरल सर्कुलर के साथ-साथ 23 अप्रैल का एक संशोधित सर्कुलर भी मिला. इस पोस्ट के अनुसार, 'संस्कृति बचाओ मंच' ने इस वायरल नोटिस का विरोध किया था, जिसके बाद रायसेन कलेक्टर ऑफिस की तरफ से नया संशोधित आदेश जारी किया गया. नए आदेश में बताया गया था कि रमजान में क्वारंटीन सेंटर में रह रहे मुसलमानों को कोई विशेष सामग्री नहीं दी जाएगी, बल्कि खानपान की व्यवस्था स्वास्थ्य विभाग का जो प्रोटोकॉल है उसी के हिसाब से होगा.


    पोस्ट का आर्काइव लिंक.

    मामले की पूरी जानकारी के लिए बूम ने रायसेन के तत्कालीन जिला कलेक्टर उमाशंकर भार्गव से संपर्क किया. उन्होंने बूम को बताया कि "असल में कोरोना के समय करीब 50 की संख्या में मुस्लिम समाज के लोग हमारे यहां क्वॉरंटीन सेंटर में आए थे. उनलोगों ने सेंटर में प्रोटोकॉल के हिसाब से मिल रहे खाने को लेने से इनकार कर दिया. उनकी मांग थी कि रमजान के मद्देनजर उन्हें खाने की चीजें उपलब्ध कराई जाएं. चूंकि उन्होंने कुछ भी खाने-पीने से मना कर दिया था तो हमें लगा कि कोई अनहोनी न हो जाए, इसलिए आना-फानन में हमने वह आदेश जारी कर दिया."

    उन्होंने आगे बताया, "हालांकि बाद में अधिकारियों और बाकी लोगों के समझाने पर वो प्रोटोकॉल के हिसाब से सामान्य खाना खाने को मान गए तो फिर हमने अगले ही दिन एक संशोधित आदेश जारी कर दिया था." भार्गव ने बूम से इसकी भी पुष्टि की कि उस समय राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान थे.

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    Loksabha election 2024Madhya PradeshKamalnathShivraj Singh ChauhanIndia covidFact Check
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    Claim :   2020 में कोविड के दौरान मध्य प्रदेश में कमलनाथ के कार्यकाल में आदेश जारी किया गया था कि रमजान के मद्देनजर क्वारन्टीन सेंटर में रह रहे मुसलमानों को सरकारी खजाने से इफ्तार के लिए दूध-फल मुहैया कराया जाएगा.
    Claimed By :  Facebook & X Users
    Fact Check :  False
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