क्या यूट्यूबर मनीष कश्यप को तमिलनाडु की अदालत से मिली क्लीन चिट? फ़ैक्ट चेक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. मदुरै कोर्ट ने सोमवार को पुलिस रिमांड ख़त्म होने के बाद मनीष कश्यप को पांच अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों पर हिंसा की भ्रामक ख़बर फ़ैलाने के आरोप में गिरफ़्तार किए गए यूट्यूबर मनीष कश्यप को लेकर सोशल मीडिया पर एक दावा काफ़ी वायरल हो रहा है. वायरल दावे में कहा जा रहा है कि “तमिलनाडु की मदुरै कोर्ट ने मनीष कश्यप को क्लीन चिट दे दी है और वह जल्द ही रिहा होंगे”.
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. मदुरै कोर्ट ने बीते बृहस्पतिवार को यूट्यूबर मनीष कश्यप को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा था. सोमवार को रिमांड ख़त्म होने के बाद कोर्ट ने 5 अप्रैल तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
नेहा सिंह राठौड़ नाम की एक वेरिफ़ाईड ट्विटर यूज़र ने वायरल दावे को यूट्यूबर मनीष कश्यप के एक वीडियो के साथ शेयर किया है. वीडियो में एक भोजपुरी टाइटल ट्रैक भी मौजूद है. ट्वीट में मौजूद कैप्शन में लिखा गया है, “मदुरै कोर्ट ने नहीं मानी Manish Kasyap की कोई गलती,पुलिस को लगाई फटकार, विरोधियों और बिहार सरकार को करारा झटका जल्दी रिहा होंगे मनीष कश्यप”.
वहीं अनुज कुमार वाजपेयी नाम के वेरिफ़ाईड ट्विटर हैंडल ने भी इसी तरह के कैप्शन के साथ वायरल दावे को शेयर किया है.
इसके अलावा यह दावा फ़ेसबुक पर भी काफ़ी वायरल है. वायरल दावे को कुछ फ़ेसबुक पेज से भी शेयर किया गया है, जिसे लाखों लोग फॉलो करते हैं.
करीब 4 लाख से ज्यादा फॉलोअर्स वाले क्रिएटर बबुआ ने पेज ने भी यह दावा शेयर किया है. इस पेज ने बाकायदा वीडियो के सहारे वायरल दावा शेयर किया है. वीडियो में मौजूद व्यक्ति यह कहता हुआ दिख रहा है कि “मदुरै कोर्ट ने बिहार सरकार और उनके समर्थकों को करार तमाचा लगाते हुए कहा है कि मनीष कश्यप के खिलाफ़ कोई सबूत नहीं मिला है”.
फ़ेसबुक पर वायरल दावे से जुड़े अन्य पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए संबंधित कीवर्ड की मदद से गूगल सर्च किया तो हमें कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिली. 31 मार्च को इंडियन एक्सप्रेस की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार बीते बृहस्पतिवार को मदुरै कोर्ट ने फ़ेक वीडियो के मामले में यूट्यूबर मनीष कश्यप को तीन दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया था.
रिपोर्ट में समाचार एजेंसी एएनआई के द्वारा किया गया एक ट्वीट भी मौजूद था, जिसमें मनीष कश्यप को तीन दिन के पुलिस कस्टडी में भेजे जाने की ख़बर दी गई थी.
न्यूज़ रिपोर्ट के अनुसार, बीते 18 मार्च को यूट्यूबर मनीष कश्यप ने बिहार पुलिस के सामने आत्मसमर्पण किया था. जिसके बाद बिहार पुलिस की आर्थिक ईकाई ने मनीष कश्यप को गिरफ़्तार कर लिया था. गिरफ़्तार किए जाने के बाद मनीष कश्यप को तमिलनाडु पुलिस ट्रांजिट रिमांड पर बिहार से तमिलनाडु ले आई थी. दरअसल बिहार मजदूरों पर हमले के फ़र्ज़ी वीडियो ज़ारी करने के आरोप में मनीष कश्यप के ख़िलाफ़ मदुरै में भी शिकायत दर्ज की गई थी.
जांच में मिली द हिंदू की रिपोर्ट में भी यही जानकारी दी गई थी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि तमिलनाडु पुलिस ने मदुरै कोर्ट से मनीष कश्यप से पूछताछ के लिए सात दिन की कस्टडी की मांग की थी. इसका मनीष कश्यप के वकील ने विरोध किया था. जिसके बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट वी दीलाबानु ने तीन दिन की पुलिस कस्टडी मंजूर की थी और तीन अप्रैल को दोबारा से मनीष कश्यप को कोर्ट में हाजिर करने के लिए कहा था.
इस दौरान हमने मनीष कश्यप के वकील निरंजन एस कुमार से भी संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि "कोर्ट ने इस मामले में इस तरह की कोई भी टिप्पणी नहीं की है. पहले कोर्ट ने तीन दिन की पुलिस रिमांड की मंजूरी थी और 3 अप्रैल को दोबारा से मनीष कश्यप को हाजिर करने के लिए कहा था. सोमवार को कोर्ट ने 5 अप्रैल तक के लिए मनीष कश्यप को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. 5 अप्रैल को मनीष कश्यप को फ़िर से कोर्ट में पेश किया जाएगा".
बूम ने जब तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों पर हमले की अफ़वाह उड़ी थी, तब इससे जुड़े कई वीडियो और फ़ोटो के फ़ैक्ट चेक किए थे, जिसे आप यहां पढ़ सकते हैं.