राजस्थान में ग्रामीणों पर पुलिस लाठीचार्ज का वीडियो सिंगरौली के दावे से वायरल
बूम ने पाया कि यह वीडियो राजस्थान के नागौर जिले में एक सीमेंट फैक्ट्री के विरोध में प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों पर की गई पुलिस लाठीचार्ज का है.



सोशल मीडिया पर लोगों पर पुलिस लाठीचार्ज किए जाने का एक वीडियो वायरल है. यूजर्स इस वीडियो को बीजेपी शासित मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले की एक घटना का बताकर शेयर कर रहे हैं.
बूम ने पाया कि यह वीडियो राजस्थान के नागौर जिले का है. नागौर जिले के सरासनी गांव में 8 जनवरी 2025 को जेएसडब्ल्यू सीमेंट कंपनी द्वारा जमीन अधिग्रहण के उचित मुआवजे की मांग को लेकर धरना कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था.
गौरतलब है कि 14 फरवरी 2025 को मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में अमिलिया घाटी के पास कोयला लदे एक ट्रक ने बाइक सवार दो युवकों को टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई. इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने अडानी ग्रुप की पांच बसों और तीन ट्रकों में आग लगा दी थी. घटना के इसी संदर्भ में राजस्थान के वीडियो को सिंगरौली के गलत दावे से शेयर किया गया.
सोशल मीडिया पर कई यूजर सहित मध्यप्रदेश यूथ कांग्रेस ने अपने फेसबुक पेज पर इस वीडियो को शेयर किया. पोस्ट के कैप्शन में लिखा गया, ‘अडानी को खुश करने के लिए सिंगरौली के किसानों की दुश्मन बनी मोहन सरकार. अडानी की कंपनी के लिए किसानों से जमीनें छीन ली गई, ना उन्हें सही विस्थापन मिला ना अपनी जमीन का सही दाम.'
पोस्ट में आगे लिखा गया, 'नौकरी का वादा भी पूरा नहीं किया और हक मांगने पर लाठियां बरसा दी गई. आकाओं को खुश करने में अन्नदाताओं पर मोहन सरकार की पुलिस का यह अत्याचार कायराना है’.
इंस्टाग्राम (आर्काइव लिंक) पर भी इसी दावे से यह वीडियो वायरल है. यूट्यूब पर एक यूजर ने इस वीडियो को सिंगरौली में अडानी की कंपनी का ग्रामीणों पर अत्याचार बताते हुए शेयर किया.
फैक्ट चेक
बूम ने दावे की पड़ताल के लिए वायरल वीडियो के कुछ कीफ्रेम को गूगल लेंस से सर्च किया. हमें सोशल मीडिया पर यूजर्स द्वारा शेयर किए कुछ पोस्ट मिले. इन पोस्ट में वीडियो को राजस्थान के नागौर में किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज किए जाने का बताया गया.
इसी से संकेत लेकर संबंधित कीवर्ड से सर्च करने पर हमें इस घटना की कई मीडिया रिपोर्ट मिलीं.
नवभारत टाइम्स की 9 जनवरी 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, नागौर जिले के सरासनी गांव में ग्रामीण पिछले 134 दिनों से जेएसडब्ल्यू सीमेंट कंपनी द्वारा जमीन अधिग्रहण और उचित मुआवजे की मांग को लेकर धरना कर रहे थे. बुधवार सुबह (8 जनवरी) कंपनी के प्रतिनिधि खनन कार्य के लिए स्थल पर पहुंचे तो ग्रामीणों ने उनका विरोध किया. इसी दौरान ग्रामीणों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. स्थिति बिगड़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज भी किया.
द प्रिंट में न्यूज एजेंसी भाषा के हवाले से बताया गया कि ग्रामीण अधिग्रहित भूमि के मुआवजे की राशि बढ़ाने और अन्य किसानों की जमीन भी अधिग्रहित करने की मांग कर रहे थे. बाद में ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर से मुलाकात की और धरना समाप्त करने का निर्णय लिया.
टीवी9 भारतवर्ष की रिपोर्ट में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुमित कुमार के हवाले से बताया गया कि अधिग्रहित की गई जमीन पर विरोध प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों ने पुलिस पर पथराव कर दिया था. इसी के जवाब में पुलिस ने ग्रामीणों को वहां से हटाने के लिए हल्का बल का प्रयोग किया था.
इस मामले पर राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष और नागौर से लोकसभा सांसद हनुमान बेनीवाल ने जिला पुलिस अधीक्षक पर किसानों का धरना हटाने और कंपनी का कार्य शुरू कराने के लिए कंपनी से 1 करोड़ रुपए की धनराशि लेने का आरोप लगाया था.
हनुमान बेनीवाल ने अपने एक्स अकाउंट पर 8 जनवरी 2025 को इस घटना का वीडियो भी शेयर किया था. उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा, “किसान विरोधी भाजपा सरकार में बैठे कुछ दलाल प्रवृति के नेताओं की सह तथा JSW सीमेंट कंपनी से सांठ-गांठ करके आज जिला पुलिस अधीक्षक नागौर ने किसानों का धरना उठाने के लिए बर्बरतापूर्वक लाठियां चलवाई जिससे कई किसान व महिलाएं घायल हो गई.”
वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, जेएसडब्ल्यू सीमेंट JSW समूह का एक प्रमुख अंग है, जो सज्जन जिंदल के नेतृत्व में संचालित होता है.