
क्या महिला आईएएस ने राजस्थानी वेशभूषा पहनकर लोकगीत पर नृत्य किया? फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि सोशल मीडिया पर हो रहा दावा गलत है.

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक वीडियो काफ़ी वायरल है. जिसे शेयर करते हुए यह दावा किया जा रहा है कि राजस्थान के गंगानगर की कलेक्टर होने के बावजूद आईएएस रुकमणी रियार ने राजस्थानी वेशभूषा पहनकर लोकगीत पर नृत्य किया.
वायरल हुआ वीडियो 2 मिनट 47 सेकेंड का है. इसमें एक महिला राजस्थानी वेशभूषा पहने लोकगीत 'तेरो भारी चटेलो रेशम को' पर नृत्य करती नजर है. नृत्य करते वक्त महिला के सर पर एक ग्लास और घड़ा भी रखा हुआ है, जिसे वो संतुलित करते हुए नजर आ रही हैं. पास में कई और महिलाएं भी मौजूद हैं.
इस वीडियो को शेयर करते हुए फ़ेसबुक यूज़र बंशी चौधरी ने लिखा 'साधारण इंसान हो या आईएएस सब को अपनी मांटी ओर अपना कल्चर अच्छा लगता है. वास्तविकता नहीं छोड़नी चाहिए. ये नृत्य ओर वेशभूषा समाज की सभी बेटियों के लिए उदाहरण है'.
वहीं दयाराम मीणा नाम के यूज़र ने भी वीडियो शेयर करते हुए लिखा 'इंसान साधारण हो या VIP सभी को अपनी मांटी, और अपना कल्चर अच्छा लगता है। ये नृत्य ओर वेशभूषा हर समाज की सभी बेटियों के लिए एक उदाहरण है। ये महिला जो नृत्य कर रही वो कोई साधारण महिला नहीं, ये राजस्थान के गंगानगर की जिला कलेक्टर हैं'.
वायरल पोस्ट यहां और यहां देखें
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल हो रहे वीडियो की पड़ताल के लिए सबसे पहले गंगानगर की कलेक्टर आईएएस रूकमणी रियार से जुड़ी न्यूज़ रिपोर्ट्स को खोजना शुरू किया. तो हमें इस दावे से जुड़ी कई रिपोर्ट्स मिली. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट्स के अनुसार वायरल हो रहे वीडियो में नृत्य कर रही महिला आईएएस रुक्मणि रियार नहीं हैं.
ख़ुद रुक्मणि रियार ने भी इसका खंडन किया है. उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में कहा कि इस वीडियो में मौजूद आ रही महिला वो नहीं हैं. साथ ही वीडियो में नज़र आ रही महिला और रुक्मणि रियार के चेहरे में भी कोई समानता नहीं है.
मूल रूप से चंडीगढ़ की रहने वाली रुक्मणि रियार ने साल 2011 की यूपीएससी परीक्षा में दूसरी रैंक हासिल की थी. रुक्मणि रियार के पति सिद्दार्थ सिहाग भी आईएएस अधिकारी हैं. दोनों राजस्थान कैडर के आईएएस हैं.
Claim : साधारण इंसान हो या आईएएस सब को अपनी मांटी ओर अपना कल्चर अच्छा लगता है। वास्तविकता नहीं छोड़नी चाहिए। ये नृत्य ओर वेशभूषा समाज की सभी बेटियों के लिए उदाहरण है।
Claimed By : Social Media Users
Fact Check : False
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