क़तर के अमीर का भारतीय मुसलमानों को अरब मुद्दों में हस्तक्षेप न करने का वायरल दावा झूठा है
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा झूठा है. वीडियो मई 2017 का है जब अमीर दोहा फोरम में फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न के बारे में बोल रहे थे.
इज़रायल-हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद सोशल मीडिया पर इससे जोड़कर तमाम वीडियो और तस्वीरें तरह-तरह के दावों के साथ वायरल हो रहीं हैं. ऐसा ही एक वीडियो जिसमें क़तर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी को अरबी भाषा में बोलते हुए देखा जा सकता है.
वीडियो में दावा किया जा रहा है कि अल थानी भारतीय मुसलमानों को अरब मुद्दों में हस्तक्षेप न करने के लिए कह रहे हैं. दावे के अनुसार अल थानी कह रहे हैं कि यदि वे (भारतीय मुस्लिम) गाजा के लोगों के बारे में इतने चिंतित हैं, तो उन्हें अपनी उड़ानें बुक करके ग़ाजा जाकर लोगों को बचाना चाहिए.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा झूठा है. वीडियो मई 2017 का है जब अमीर दोहा फोरम में फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न के बारे में बोल रहे थे. वीडियो के कैप्शन का गलत अनुवाद किया गया है.
7 अक्टूबर 2023 को इज़रायल-हमास के बीच संघर्ष शुरू होने के बाद 2,750 से अधिक फ़िलिस्तीनी और 1,400 से अधिक इज़रायली लोग मारे गए हैं. 16 अक्टूबर 2013 को संयुक्त राष्ट्र ने बताया कि इसराइली सेना द्वारा ग़ाज़ा के उत्तरी इलाक़े को ख़ाली किए जाने का आदेश जारी किए जाने के बाद, वहाँ लगभग 11 लाख लोगों के सामने बेहद भीषण हालात पैदा हो गए हैं. इसी संदर्भ से जोड़कर ये दावा वायरल किया जा रहा है.
प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर कई वेरिफाइड दक्षिणपंथी यूज़र्स ने इस वीडियो को शेयर किया है. हमलोग नाम के एक यूज़र ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा,
"कतर के अमीर - "भारतीय मुसलमानों को अरब मुद्दों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए..... हमें परिवर्तित मुसलमानों से प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं है (अरब दुनिया पर गाजा के लिए बहुत कुछ नहीं करने का आरोप लगाते हुए)....यदि वे गाजा के लोगों के बारे में इतने चिंतित हैं, तो उन्हें अपनी उड़ानें बुक करनी चाहिए और गाजा के लोगों को बचाना चाहिए...भारत में कितने प्रतिशत कन्वर्टड मुस्लिम है??"
फे़सबुक पर कई यूज़र्स ने इसी दावे के साथ ये वीडियो शेयर किया है.
अन्य पोस्ट के लिए यहां, यहां और यहांं देखें.
हमें यह वीडियो फ़ैक्ट चेक करने के अनुरोध के साथ इसी दावे से टिपलाइन पर भी प्राप्त हुई.
फै़क्ट चेक
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा झूठा है. वीडियो मई 2017 का है जब अमीर दोहा फोरम में फिलिस्तीनियों के उत्पीड़न के बारे में बोल रहे थे. वीडियो के कैप्शन का गलत अनुवाद किया गया है.
बूम ने दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले दावे से सम्बंधित मीडिया रिपोर्ट्स सर्च की. हमें अल थानी की भारतीय मुस्लिमों को अरब मुद्दों में हस्तक्षेप न करने की बात करने वाले दावे से जुड़ी कोई भी मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली.
ग़ौरतलब है कि, इज़रायल और हमास में जारी जंग के बीच 57 मुस्लिम देशों के संगठन ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन यानी ओआईसी ने 18 अक्टूबर को जेद्दा में एक आपातकालीन बैठक बुलाई है.
गूगल पर वीडियो के कीफ़्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें 14 मई, 2017 को अल जज़ीरा मुबाशेर चैनल पर अपलोड की गई एक वीडियो क्लिप मिली. वीडियो का अरबी से हिंदी में अनुवादित शीर्षक है "क़तर के अमीर: फ़िलिस्तीनी मुद्दा अपनी ज़मीन से उजड़े और अपनी मातृभूमि से विस्थापित लोगों का मुद्दा है"
अल जज़ीरा के इस वीडियो में 0:27 सेकण्ड से वायरल वीडियो वाले हिस्सा को देखा जा सकता है.
यहां नीचे वायरल वीडियो और 2017 के अल जज़ीरा मुबाशेर वीडियो के बीच तुलना की गई है.
वीडियो के विवरण में लिखा है कि "विकास, स्थिरता और शरणार्थी मुद्दे" विषय के तहत क़तर की राजधानी में आयोजित 17वें दोहा फोरम के दौरान क़तर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी का भाषण"
इसी क्लू का उपयोग करके हमने यूट्यूब पर सर्च किया. हमें दोहा फोरम के यूट्यूब चैनल पर 14 मई 2017 को अपलोड किया गया Doha Forum 2017 Opening Sessions के शीर्षक वाला एक वीडियो मिला.
वीडियो में दोहा फोरम के उद्घाटन सत्र का पूरा संस्करण दिखाया गया, जो नीति निर्माताओं के साथ वैश्विक महत्व के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आयोजित एक वैश्विक मंच है. 17वां दोहा फोरम 2017 में 14 और 15 मई को हुआ, जिसमें अमीर ने अपना शरूआती भाषण दिया था. वीडियो में 5 मिनट 31 सेकण्ड से यही वायरल वीडियो वाला हिस्सा देखा जा सकता है. वीडियों में अल थानी हिंदी अंग्रजी के अलावा किसी अन्य भाषा में कहते दिखाई दे रहे हैं.
बूम ने इससे पहले भी इस वायरल वीडियो का फै़क्ट चेक किया था, जब इस वीडियो को इस झूठे दावे के साथ वायरल किया जा रहा था कि क़तर ने धमकी दी कि अगर इज़राइल ने गाजा पर हमला जारी रखा तो वह दुनिया को अपनी गैस आपूर्ति बंद कर देगा. (यहां पढ़ें)
तब हमने लंदन बेस्ड स्वतंत्र पत्रकार अब्दुल्ला अल-खल से संपर्क किया था. उन्होंने हमें बताया था कि वायरल वीडियो में अल थानी अरबी में कह रहे हैं कि "फ़िलिस्तीनी मुद्दा उन लोगों का मुद्दा है जो अपनी भूमि से निष्कासित किए गए हैं और अपने ही देश से विस्थापित हुए हैं." वायरल वीडियो में भारतीय मुसलमानों या इज़रायल-हमास के बीच जारी संघर्ष में उनकी भागीदारी की कोई बात नहीं की गई है.