मनमोहन सिंह के 'संसाधनों पर पहले हक' वाली बात को पीएम मोदी ने भ्रामक तरीके से पेश किया
मनमोहन सिंह के भाषण और पूरे ड्राफ्ट पेपर को पढ़ने से यह साफ हो जाता है कि वह केवल मुस्लिम समुदाय का ही जिक्र नहीं, बल्कि एससी/एसटी, ओबीसी, महिलाओं और बच्चों का भी जिक्र कर रहे थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में अपने एक भाषण के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा दिसंबर 2006 में दिए गए भाषण के एक बयान को भ्रामक तरीके से कोट किया. उन्होंने यह दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि भारत के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है.
पीएम मोदी ने यह दावा राजस्थान में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस पार्टी के घोषणापत्र की आलोचना की और इसके साथ-साथ कई सांप्रदायिक टिप्पणियां भी कीं.
असल में 21 अप्रैल 2024 को प्रधानमंत्री मोदी राजस्थान के बांसवाड़ा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करने पहुंचे थे. यहां भाषण के दौरान पीएम मोदी ने मनमोहन सिंह की पुरानी टिप्पणियों से कांग्रेस के 2024 के लोकसभा घोषणापत्र को जोड़ते हुए यह गलत दावा किया कि अगर विपक्षी दल सत्ता में आया तो देश की संपत्ति को उनमें बांटेगा "जिनके ज्यादा बच्चे हैं" या जो "घुसपैठिए" हैं.
यह पहली बार नहीं है जब प्रधानमंत्री ने यह दावा किया है. इससे पहले अक्टूबर 2023 में छत्तीसगढ़ की एक चुनावी रैली में भी उन्होंने कांग्रेस के जाति जनगणना की मांग पर कटाक्ष करते हुए यही बयान दिया था. 2006 में भी जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी उन्होंने मनमोहन सिंह के इसी अधूरे बयान को गलत तरीके से कोट करते हुए इसकी सार्वजनिक रूप से निंदा की थी.
बूम ने पाया कि पूर्व प्रधानमंत्री के भाषण को मूल संदर्भ से इतर पेश किया जा रहा है. इसके अलावा, हमने पाया कि उस समय मनमोहन सिंह की टिप्पणी को मीडिया आउटलेट्स ने भी गलत तरीके से पेश किया था. मनमोहन सिंह का पूरा भाषण और 11वीं पंचवर्षीय योजना का दृष्टिकोण दस्तावेज पढ़ने के बाद यह और साफ हो जाता है कि उन्हें गलत तरीके से कोट किया गया. यह दस्तावेज 2006 में दिए गए उनके भाषण का आधार था.
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में कहा, "पहले जब उनकी (कांग्रेस) सरकार थी तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है. इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी करके किसको बाटेंगे! जिनके ज्यादा बच्चे हैं उनको बाटेंगे. घुसपैठियों को बाटेंगे.. क्या आपकी मेहनत की कमाई का पैसा घुसपैठियों को दिया जाएगा? आपको मंजूर है ये? ये कांग्रेस का मेनिफेस्टो कह रहा है. वो माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे, उसकी जानकारी लेंगे..और फिर उस संपत्ति को बांट देंगे...वो उनको बाटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था- संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
भारतीय जनता पार्टी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर पीएम मोदी के पूरे भाषण का वीडियो मौजूद है. वीडियो में 28 मिनट 45 सेकंड पर बयान का यह हिस्सा सुना जा सकता है.
फैक्ट चेक
बूम ने पाया कि पीएम मोदी द्वारा किया गया यह दावा भ्रामक है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान को मूल संदर्भ से इतर पेश किया जा रहा है.
यह बयान मनमोहन सिंह के 9 दिसंबर 2006 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय विकास परिषद की 52वीं बैठक में दिए गए भाषण से लिया गया है. यह भाषण 11वीं पंचवर्षीय योजना के एप्रोच पेपर के बारे में था, जिसका शीर्षक 'तेज और अधिक समावेशी विकास की ओर' था.
Reddit पर लगभग दो साल पहले अपलोड किए गए मनमोहन सिंह के भाषण का 57 सेकंड का एक अंश देखा जा सकता है.
इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी हिस्सा लिया था, इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने तेज विकास दर की आवश्यकता को लेकर बात की. मनमोहन सिंह ने अपने इस भाषण में कहा, "लेकिन अकेले विकास पर्याप्त नहीं है अगर यह व्यापक रूप से लाभ का प्रवाह उत्पन्न नहीं करता है." पूरे भाषण के ट्रांसक्रिप्ट के लिए यहां देखें.
संसाधनों पर पहला हक किसका बता रहे थे मनमोहन सिंह?
ट्रांसक्रिप्ट पढ़ने से पता चलता है कि पूर्व प्रधानमंत्री के बयान को 2006 में भी मीडिया और भाजपा नेताओं ने मिसकोट किया था.
हम जिस बयान का फैक्ट चेक कर रहे हैं वह उनके भाषण के बाद वाले हिस्से में है, जहां उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि 11वीं पंचवर्षीय योजना में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी), अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं और बच्चों जैसे हाशिए पर पड़े समूहों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है.
पूर्व प्रधानमंत्री ने इस क्रम में निम्न बातें कहीं:
“मेरा मानना है कि हमारी सामूहिक प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं. कृषि, सिंचाई और जल संसाधन, स्वास्थ्य, शिक्षा, ग्रामीण बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश और सामान्य बुनियादी ढांचे की आवश्यक सार्वजनिक निवेश आवश्यकताओं के साथ-साथ एससी/एसटी, अन्य पिछड़े वर्गों, अल्पसंख्यकों और महिलाओं और बच्चों के उत्थान के लिए कार्यक्रम. अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए घटक योजनाओं को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता होगी. हमें यह सुनिश्चित करने के लिए नई योजनाएं बनानी होंगी कि अल्पसंख्यकों, विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यकों को विकास के लाभों में समान रूप से साझा करने का अधिकार दिया जाए. संसाधनों पर उनका पहला अधिकार होना चाहिए. केंद्र के पास असंख्य अन्य जिम्मेदारियां हैं जिसकी मांगों को समग्र संसाधन उपलब्धता के भीतर फिट करना होगा. योजना आयोग निश्चित रूप से चल रहे कार्यक्रमों की गहन समीक्षा करेगा ताकि उन कार्यक्रमों को समाप्त किया जा सके जो अपने मूल औचित्य से बाहर हो चुके हैं, लेकिन हम इस तथ्य से बच नहीं सकते कि निकट भविष्य में केंद्र के संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा और राज्यों को जिम्मेदारी का एक बड़ा हिस्सा उठाना होगा." - मनमोहन सिंह, भारत के प्रधानमंत्री.
वाक्य में 'उनका' अधिकार- "संसाधनों पर पहला अधिकार उनका होना चाहिए" - केवल मुसलमानों या अल्पसंख्यकों को संदर्भित नहीं करता है, बल्कि इसमें एससी/एसटी, ओबीसी, महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं.
दृष्टिकोण दस्तावेज इसकी पुष्टि करता है
बूम को शिक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई 11वीं पंचवर्षीय योजना का एप्रोच पेपर भी मिला.
यह पेपर 14 जून 2006 का है, जो दिसंबर में मनमोहन सिंह द्वारा दिए गए भाषण से लगभग छह महीने पहले का है. दस्तावेज में 'अल्पसंख्यक' शब्द का इस्तेमाल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के साथ किया गया है.
ड्राफ्ट में अल्पसंख्यकों का सबसे विस्तृत संदर्भ शिक्षा के संबंध में है. 'उप शीर्षक 5.5 समानता लाना: अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक और अन्य लोग जो पीछे रह गए.' पेपर में कहा गया है कि शिक्षा सामाजिक सशक्तिकरण का सबसे प्रभावी साधन है.
ड्राफ्ट में आगे कहा गया है कि कुछ अल्पसंख्यक शिक्षा में राष्ट्रीय औसत से पीछे रह गए हैं. इस समस्या की जड़ की पहचान करना आवश्यक है ताकि 11वीं पंचवर्षीय योजना में उपचारात्मक कदम उठाए जा सके. इसमें सर्व शिक्षा अभियान में अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने और अल्पसंख्यक छात्रों को प्रोत्साहित करने के तरीकों की पहचान करने का भी प्रस्ताव दिया. एससी, एसटी और आदिवासियों के संदर्भ में इसी खंड में, ड्राफ्ट में मैला ढोने की प्रथा, बंधुआ मजदूरी को खत्म करने और राष्ट्रीय जनजातीय नीति को शीघ्र अपनाने का उल्लेख किया गया है. इसमें कहीं भी यह नहीं कहा गया है कि अल्पसंख्यकों या मुसलमानों का संसाधनों पर पहला दावा होगा. एप्रोच पेपर यहां पढ़ा जा सकता है.
प्रधानमंत्री कार्यालय का स्पष्टिकरण
भाषण के एक दिन बाद, 10 दिसंबर 2006 को, प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक स्पष्टिकरण भी जारी किया था, जिसमें कहा गया कि मनमोहन सिंह को एनडीटीवी, पीटीआई और टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे मीडिया समूहों ने संदर्भ से बाहर कोट किया है.
स्पष्टिकरण में भाषण के प्रासंगिक हिस्से को हाईलाइट किया गया और कहा गया, "उपरोक्त में यह देखा जा सकता है कि प्रधानमंत्री का "संसाधनों पर पहला दावा" का संदर्भ ऊपर सूचीबद्ध सभी "प्राथमिकता" क्षेत्रों को संदर्भित करता है, जिसमें एससी/एसटी, ओबीसी, महिलाएं और बच्चे और अल्पसंख्यक के उत्थान के लिए कार्यक्रम भी शामिल हैं."
जारी किए गए स्पष्टिकरण बयान में विवाद को 'प्रधानमंत्री ने जो कहा, उसकी जानबूझकर और शरारतपूर्ण गलत व्याख्या' कहा गया.
स्पष्टीकरण का लिंक.
इससे साफ है कि लोगों ने ठीक पूर्ववर्ती वाक्य के कारण 'उनका' की व्याख्या मुस्लिमों के रूप में की है, जिसमें "विशेष रूप से मुस्लिम अल्पसंख्यक" कहा गया है. भाषण और ड्राफ्ट पेपर को पूरा पढ़ने से यह स्पष्ट हो जाता है कि मनमोहन सिंह केवल मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं कर रहे थे, बल्कि एससी/एसटी, ओबीसी, महिलाओं और बच्चों के बारे में भी बोल रहे थे.