पाकिस्तान की हब पावर कंपनी ने भारत में नहीं दिया चुनावी चंदा, गलत दावा वायरल
पाकिस्तान की हब पावर कंपनी ने दावे का खंडन करते हुए कहा कि उसने भारत में कोई चुनावी बॉन्ड नहीं खरीदा है.
चुनाव आयोग की तरफ से इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डाटा गुरुवार 14 मार्च को सार्वजनिक कर दिया गया. इसे लेकर दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की एक कंपनी (HUB power Company) ने भी राजनीतिक दलों को चुनावी चंदा दिया है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा गलत है. हमसे बातचीत में पाकिस्तान की कंपनी द हब पावर लिमिटेड ने दावे को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने भारत में कोई चुनावी चंदा नहीं खरीदा और न ही यहां उनकी कोई सहायक कंपनी है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड का डेटा उपलब्ध कराया गया. गुरुवार शाम को आयोग ने इस डाटा से जुड़ी दो अलग-अलग लिस्ट अपलोड की. इसमें एक लिस्ट में उन कंपनियों का ब्योरा है जिन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे थे. दूसरी लिस्ट में उन पार्टियों के नाम है जिन्हें चुनावी चंदा दिया गया था.
इस लिस्ट के अनुसार, सबसे बड़ा चुनावी चंदा फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेस ने दिया है. कंपनी ने 21 अक्टूबर 2020 से जनवरी 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. वहीं इसके बाद मेघा इंजीनियरिंग नाम की कंपनी ने 966 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं.
राजनीतिक दलों की बात करें तो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सबसे अधिक 6566 करोड़ रुपये (54.77 फीसदी) का चुनावी चंदा प्राप्त हुआ है. इसके बाद दूसरे नंबर पर कांग्रेस को 1,123 करोड़ (9.37 फीसदी) डोनेशन मिला है.
इसी लिस्ट को लेकर दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान की कंपनी ने भी भारत के राजनीतिक दलों को चुनावी चंदा दिया.
एक्स पर एक वेरिफाइड यूजर @Jeetuburdak ने लिस्ट का स्क्रीनशॉट लगाते हुए लिखा, 'पाकिस्तान स्थित कंपनी, हब पावर कंपनी ने पुलवामा हमले के कुछ सप्ताह बाद चुनावी बांड दान किया! जब पूरा देश 40 वीर जवानों की मौत का शोक मना रहा था, तब कोई पाकिस्तान से मिलने वाली फंडिंग का मजा ले रहा था. '
चौंकाने वाला खुलासा 🚨
— Jeetu Burdak (@Jeetuburdak) March 14, 2024
पाकिस्तान स्थित कंपनी, हब पावर कंपनी ने पुलवामा हमले के कुछ सप्ताह बाद चुनावी बांड दान किया!
जब पूरा देश 40 वीर जवानों की मौत का शोक मना रहा था, तब कोई पाकिस्तान से मिलने वाली फंडिंग का मजा ले रहा था.#ElectoralBondsCase pic.twitter.com/1dDYWkL4Rn
लगभग इसी कैप्शन के साथ एक फेसबुक यूजर ने भी पोस्ट शेयर किया.
वहीं कुछ यूजर्स बीजेपी और कांग्रेस पर इस कंपनी से चंदा लेने का आरोप लगा रहे हैं.
फैक्ट चेक
इलेक्टोरल बॉन्ड की डिटेल से हमें यह पता चला कि हब पावर कंपनी (HUB Power Company) ने 18 अप्रैल 2019 को 95 लाख रुपये का राजनीतिक चंदा दिया. गौरतलब है कि उस वक्त देश में लोकसभा चुनाव हो रहे थे.
वायरल दावे की जांच के लिए हमने पाकिस्तान स्थित हब पावर कंपनी लिमिटेड की वेबसाइट खंगाली. यहां हमें दोनों कंपनियों के नाम में अंतर दिखाई दिया. पाकिस्तान स्थित कंपनी का पूरा नाम 'द हब पावर कंपनी लिमिटेड' है. जबकि इलेक्टोरल बॉन्ड में कंपनी का नाम 'हब पावर कंपनी' दिया गया है.
इसी क्रम में हमने पाकिस्तान स्थित कंपनी से संपर्क किया. बूम से बातचीत में कंपनी के चीफ ऑफ स्टाफ और बिजनस परफॉर्मेंस हेड सरोश सलीम ने वायरल दावों का खंडन किया. दोनों कंपनियों के नाम के बीच अंतर बताते हुए सलीम कहते हैं, 'यह भारत में स्थित इसी नाम की कोई और कंपनी हो सकती है. हमें यह भी पता नहीं था कि ऐसी कोई कंपनी अस्तित्व में है. हमारा उनसे कोई संबंध नहीं है. हमने वर्तमान में या अतीत में कभी भी भारत को कोई भुगतान नहीं किया है.'
बता दें कि एक विदेशी कंपनी भारत में अपनी सहायक कंपनियों के जरिए ही चुनावी बॉन्ड खरीद सकती है. सलीम ने यह भी स्पष्ट किया कि द हब पावर कंपनी लिमिटेड की भारत में कोई सहायक कंपनी नहीं है.
हमने क्या पाया?
इसके बाद हमने हब पावर कंपनी को गूगल पर सर्च किया. हमें इंडियामार्ट (Indiamart) की लिस्टिंग में कंपनी के जीएसटी नंबर 07BWNPM0985J1ZX के साथ डिटेल मिली.
यहां से मदद लेकर हमने जीएसटी पोर्टल पर चेक किया. यहां पता चला कि रवि मेहरा नाम के शख्स पर कंपनी रजिस्टर्ड है जिसका एड्रेस S/F, 2/40, गीता कॉलोनी, पूर्वी दिल्ली है. हालांकि इंडियामार्ट में मालिक का नाम मनीष कुमार दिया था. वहां दिए गए नंबरों पर हमने संपर्क की कोशिश की लेकिन अब वे नंबर एक्टिव नहीं हैं.
जीएसटी पोर्टल पर दी गई डिटेल से पता चला कि कंपनी का GSTIN स्टेटस 12 नवंबर 2018 से कैंसल है. जबकि रजिस्ट्रेशन की तारीख भी यही लिखी है. इसके अलावा इस कंपनी से जुड़ी हमें और जानकारी नहीं मिल सकी.
वायरल पोस्ट में यह भी दावा किया जा रहा है कि कांग्रेस या बीजेपी ने इस फर्म से चुनावी चंदा लिया है. बूम ने इस दावे को भी भ्रामक पाया. दरअसल एसबीआई की ओर से जारी डाटा में इसकी कोई जानकारी नहीं है कि किस दानकर्ता ने किस राजनीतिक दल को कितना चंदा दिया.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने शुक्रवार (15 मार्च) को एसबीआई को इलेक्टोरल बॉन्ड का यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर जारी करने का आदेश दिया है. इस मामले पर सोमवार 18 मार्च को अगली सुनवाई होगी.
बूम की फैक्ट चेकर हेजल गांधी से मिले इनपुट के साथ