आतंकी के BJP से कनेक्शन की पुरानी खबर पहलगाम हमले से जोड़कर वायरल
बूम ने अपनी जांच में पाया कि जम्मू कश्मीर में बीजेपी से जुड़े आतंकी के पकड़े जाने संबंधी जनसत्ता की खबर जुलाई 2022 की है.



पहलगाम में आतंकी हमले की घटना के बाद सोशल मीडिया पर हिंदी न्यूज वेबसाइट जनसत्ता की एक खबर का स्क्रीनशॉट वायरल है जिसके साथ दावा किया गया है कि जिस आतंकी को पुलिस ने जम्मू कश्मीर में पकड़ा वह बीजेपी आईटी सेल का पूर्व प्रमुख था.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल न्यूज कटिंग 3 जुलाई 2022 को कश्मीर के रियासी जिले में दो आतंकवादियों की गिरफ्तारी से संबंधित खबर की है. इसका पहलगाम आतंकी हमले की घटना के बाद की कार्रवाई से कोई संबंध नहीं है.
फेसबुक यूजर ने इस खबर को शेयर करते हुए लिखा है, 'जिस आतंकी को पुलिस ने जम्मू में दबोचा वो निकला बीजेपी आईटी सेल का पूर्व प्रमुख.'
एक्स यूजर ने भी इस खबर को पहलगाम घटना से जोड़कर शेयर किया है.
फैक्ट चेक
वायरल न्यूज कटिंग की हेडलाइन को गूगल पर सर्च करने पर हमें 3 जुलाई 2022 को प्रकाशित जनसत्ता की रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट की हेडलाइन और वायरल स्क्रीनशॉट में हेडलाइन मिलती हैं.
जनसत्ता की रिपोर्ट के अनुसार, 3 जुलाई 2022 को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े 2 आतंकवादी पकड़े गए थे. ये आतंकवादी छिपकर गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे. स्थानीय ग्रामीणों ने इन्हें पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया.
इन आतंकियों में से एक की पहचान तालिब हुसैन शाह के रूप में हुई थी. इसे बीजेपी ने 9 मई 2022 को लेटरहेड पर बयान जारी करके जम्मू इलाके का अल्पसंख्यक मोर्चे का आईटी और सोशल मीडिया सेल का प्रमुख बनाया था.
इन आतंकवादियों के पास से दो ऐके-47 राइफल, ग्रेनेड, भारी मात्रा में गोलियां और अन्य घातक हथियार बरामद हुए थे.
एनआईए को सौंपी गई पहलगाम हमले की जांच
वहीं पहलगाम हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की संबंधित धाराओं में केस दर्ज करते हुए कार्रवाई शुरू की थी. पुलिस ने इस मामले में 3 आतंकियों के स्केच जारी किए हैं जिनकी पहचान आदिल हुसैन ठोकर, हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा भाई के रूप में की है. इन तीनों को लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़ा बताया गया है. इन आतंकियों की सूचना देने वाले के लिए प्रत्येक आतंकी पर 20-20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की गई है.
फिलहाल इस मामले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी गई है. गृह मंत्रालय के आदेश के बाद केंद्रीय आतंकवाद रोधी एजेंसी ने इस मामले में 26 अप्रैल को एक नई एफआईआर दर्ज की है.