बंगाल में 2019 की ट्रिपल मर्डर की घटना झूठे सांप्रदायिक दावे से वायरल
बूम ने पाया कि करीब छह साल पुरानी ट्रिपल मर्डर केस की घटना को मुर्शिदाबाद हिंसा से जोड़कर शेयर किया जा रहा है. 2019 में हुए इस मर्डर केस में सांप्रदायिक एंगल नहीं था.



पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद हिंसा के बीच 2019 में हुए ट्रिपल मर्डर केस के पीड़ितों की एक तस्वीर सांप्रदायिक रंग देकर शेयर की जा रही है. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि मुर्शिदाबाद में रोहिंग्या मुसलमानों ने एक हिंदू परिवार की हत्या कर दी.
बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि यह घटना अक्टूबर 2019 की है. इसका हालिया मुर्शिदाबाद हिंसा से कोई संबंध नहीं है. इसके अलावा इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था.
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुए ट्रिपल मर्डर केस के मामले में सीआईडी ने आरोपी उत्पल बेहरा को गिरफ्तार किया था, जो कि हिंदू समुदाय से था.
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शन के दौरान वहां 11 अप्रैल को हिंसा भड़क उठी थी. इस हिंसा में तीन की मौत हो गई और कई घायल हुए. इसी बीच वहां से बड़े पैमाने पर पलायन की खबरें भी सामने आ रही हैं.
फिलहाल जिले में बीएनएसएस की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू है और हिंसा प्रभावित इलाके में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर निशाना साधा है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है.
वायरल तस्वीर एक परिवार की है, जिसमें एक बच्चा भी मौजूद है. फेसबुक एक यूजर ने तस्वीर के साथ ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए लिखा, 'प. बंगाल के मुर्शिदाबाद में एक 35 वर्षीय गोपाल पाल (बंधु प्रकाश पाल ), उसकी 30 वर्ष की गर्भवती पत्नी और 8 वर्ष के बेटे- सभी को नृशंसतापूर्ण काटकर कत्ल कर दिया गया.'
यूजर ने आगे लिखा, 'उनका गुनाह सिर्फ यह था कि वो हिंदू थे और मोमता बानो के प. बंगाल में एक मुस्लिम बहुल इलाके के पास में ही रहते थे. अगला नाम कौन होगा?'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फेसबुक पर कई यूजर ने घटना का ब्यौरा देते हुए इस तस्वीर को शेयर किया है और हत्या के आरोपियों की पहचान रोहिंग्या मुसलमानों के तौर पर की है.
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक: घटना 2019 की है
संबंधित कीवर्ड और रिवर्स इमेज सर्च की मदद से हमें घटना से जुड़ी कई न्यूज रिपोर्ट मिलीं. बंगाल के मुर्शिदाबाद के जियागंज में 8 अक्टूबर 2019 को स्कूल शिक्षक बंधु प्रकाश पाल (35) की उनके घर में आठ महीने की गर्भवती पत्नी ब्यूटी पाल (30) और छह साल के बेटे के साथ निर्मम हत्या कर दी गई थी.
दैनिक जागरण की 15 अक्टूबर 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, घटनास्थल पर मिले कागजात की मदद से मुख्य आरोपी उत्पल बेहरा को गिरफ्तार कर लिया गया. पेशे से राजमिस्त्री उत्पल ने शिक्षक परिवार की हत्या करने का जुर्म कबूल किया था.
अमर उजाला की रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से बताया गया कि आरोपी उत्पल बेहरा ने बंधु प्रकाश पाल से दो पॉलिसी खरीदी थी लेकिन उसे केवल पहली पॉलिसी की रसीद मिली थी. पिछले कुछ हफ्तों से बंधु प्रकाश और उत्पल के बीच इस मामले को लेकर झगड़ा चल रहा था. पाल ने उसका अपमान भी किया था, जिसके बाद बेहरा ने उसे जान से मारने का फैसला किया.
घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था
बूम ने इस केस को राजनीतिक और सांप्रदायिक हत्या बताने से संबंधित दो रिपोर्ट की थीं. सोशल मीडिया यूजर का कहना था कि बंधु प्रकाश पाल की हत्या में राजनीतिक एंगल है, क्योंकि वह आरएसएस से जुड़े थे.
बूम ने तब बंगाल के आरएसएस के प्रचार प्रमुख बिप्लब रॉय से संपर्क किया था. उन्होंने बूम को बताया था कि बंधु प्रकाश हाल ही में आरएसएस में शामिल हुए थे हालांकि यह मानना मुश्किल है कि संघ में शामिल होने की वजह से उनकी हत्या कर दी गई.
मुर्शिदाबाद के तत्कालीन एसपी और पश्चिम बंगाल भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी घटना में राजनीतिक एंगल का खंडन किया था. दिलीप घोष ने बूम से कहा था कि यह असंभव है कि कुछ बैठकों में भाग लेने वाले किसी कार्यकर्ता की हत्या कर दी जाए.
टाइम्स नाउ की खबर के मुताबिक, गिरफ्तारी के बाद उत्पल बेहरा ने स्वीकार किया था कि बंधु प्रकाश और उसके बीच 48,000 रुपए की बीमा पॉलिसी को लेकर विवाद था. बेहरा के अनुसार, समझौता हुआ था कि पॉलिसी के मैच्योर होने पर बंधु उसे 48,000 का भुगतान करेगा लेकिन उत्पल के बार-बार कहने के बावजूद उसने पैसे देने से इनकार कर दिया. इससे नाराज उत्पल ने 8 अक्टूबर को उसकी सपरिवार हत्या कर दी.
हमें इस संबंध में पश्चिम बंगाल पुलिस के आधिकारिक एक्स हैंडल पर किए गए कुछ पोस्ट भी मिले. एक पोस्ट में बताया गया कि प्रारंभिक जांच में मामला आपसी रंजिश का ही सामने आया था.
25 अगस्त 2023 को इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, उत्पल बेहरा को ट्रिपल मर्डर का दोषी पाया गया और बरहामपुर की एक फास्ट-ट्रैक अदालत ने उसे मौत की सजा सुनाई.