महिलाओं के अंतर्वस्त्र पहने पुरुषों की तस्वीरों के साथ गलत सांप्रदायिक दावा वायरल
बूम ने पाया कि यह साल 2017 की तस्वीरें हैं, जब तुर्की सेना ने सीरियाई शरणार्थियों के साथ बदसुलूकी की थी और उन्हें अंतर्वस्त्र पहनाए थे.
सोशल मीडिया पर महिलाओं के अंतर्वस्त्र पहने कुछ पुरुषों की तस्वीरें वायरल हैं. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि यह सीरियाई सेना द्वारा पकड़े गए आईएस आतंकवादी हैं, जो महिलाओं के अंतर्वस्त्र पहनकर लड़ रहे थे. वे जन्नत में मिलने वाली हूरों को पहनाने के लिए यह कपड़े पहन कर आए थे. वहीं कुछ यूजर्स का दावा है कि ये यूपी पुलिस द्वारा पकड़े गए चार आतंकी हैं.
बूम ने पाया कि वायरल दावा गलत है. यह उत्तर प्रदेश की नहीं बल्कि तुर्की की साल 2017 की घटना है, जहां तुर्की की सेना ने सीमा पार कर रहे सीरियाई शरणार्थियों के साथ यह अपमानजनक व्यवहार किया था.
इसकी दो तस्वीरें वायरल हैं, दोनों में कुछ पुरुष महिलाओं के अंडरगारमेंट्स पहने नजर आ रहे हैं.
एक्स पर दक्षिणपंथी यूजर जितेंद्र प्रताप सिंह ने तस्वीर को पोस्ट करते हुए लिखा, '...सीरिया की सेना ने कई आईएस आंतकियों को पकड़ा जो महिलाओं के अंतर्वस्त्र पहनकर लड़ रहे थे.. पूछताछ में उन्होंने खुलासा किया कि मौलवी ने कहा था कि तुम ऊपर जन्नत में जा रहे हो .. वहां अल्लाह तुम्हें 72 कुंवारी हूरें देगा .. तुम उनके लिए अंतर्वस्त्र साथ लेकर जाओ ताकि तुम उन्हें अपने हाथों से पहना सको...'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
एक्स पर एक अन्य यूजर ने इसे शेयर करते हुए मजाकिया लहजे में लिखा, 'सुनने में आ रहा है कि यूपी पुलिस ने फेक न्यूज फैलाते चार आतंकवादियों को पकड़ा है. जांच करने पर उनकी पहचान इनके रूप में हुई- जाकिर अली त्यागी, वसीम अकरम त्यागी, वाजिद खान और जुबैर पसमांदा.
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक
दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वायरल तस्वीरों में से एक को रिवर्स इमेज सर्च किया. इसके जरिए हमें साल 2017 की कई मीडिया रिपोर्ट्स में ये तस्वीरें मिलीं. रिपोर्ट्स में बताया गया कि तुर्की सेना ने सीरियाई शरणार्थियों के साथ मारपीट की और इस तरह का अपमानजनक व्यवहार किया.
4 अगस्त 2017 की Tribun Batam की इंडोनेशियन भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की सैनिकों ने सीमा पार कर रहे सीरियाई प्रवासियों के साथ मारपीट की और उन्हें महिलाओं के अंतर्वस्त्र पहनने के लिए मजबूर किया. घटना का वीडियो उन्हीं सैनिकों में से किसी ने रिकॉर्ड किया था. इसके वायरल होने के बाद तुर्की के दक्षिणी प्रांत हाटे की एक आदालत ने घटना में शामिल सभी सैनिकों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया.
सीरियाई पत्रकार अहमद अलखतीब के वीडियो पोस्ट करने के बाद यह मामला प्रकाश में आया, हालांकि उन्होंने बाद में पोस्ट हटा दिया था. इसलिए हम स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि करने में असमर्थ थे कि ये तस्वीरें कब ली गईं थीं.
तब डेली मेल ने भी इसपर रिपोर्ट की थी. हम उस रिपोर्ट का आर्काइव ढूंढने में सक्षम थे. 3 अगस्त 2017 की इस रिपोर्ट में तुर्की की सरकारी समाचार एजेंसी अनादोलु के हवाले से बताया गया कि दक्षिणी तुर्की प्रांत हाटे की एक अदालत ने घटना में शामिल तीन सैनिकों को हिरासत में लेने का फैसला सुनाया.
रिपोर्ट में तुर्की सेना का भी एक बयान शामिल है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 'संबंधित कर्मियों को हिरासत में ले लिया गया है और उनके खिलाफ सभी प्रशासनिक और न्यायिक प्रक्रियाएं तुरंत शुरू कर दी गई हैं. इसके अलावा, जो सीरियाई लोग अवैध रूप से सीमा पार करने की कोशिश कर रहे थे उन्हें चिकित्सा जांच के बाद वापस भेज दिया गया.'
इसके अतिरिक्त और भी कई अंतराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में संबंधित खबर देखी जा सकती है, इन रिपोर्ट्स में वायरल तस्वीरें मौजूद हैं. यहां, यहां देखें.
इससे स्पष्ट है कि तुर्की में सीरियाई शरणार्थियों को जबरन पहनाई गई अंतर्वस्त्र की तस्वीरों के साथ भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स गलत दावा कर रहे हैं कि ये आईएस आतंकवादी हैं और जन्नत में हूरों को देने के लिए उन्होंने यह कपड़े पहने हैं.