शंकराचार्य के वीडियो कॉल पर CM योगी को फटकार लगाने का दावा गलत है
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो गुजराती यूट्यूब चैनल 'जमावट' को दिए गए इंटरव्यू का हिस्सा है, जिसमें शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद महाकुंभ की अव्यवस्था के लिए सरकार पर सवाल उठा रहे थे.



महाकुंभ भगदड़ हादसे के बाद से अपने बयानों को लेकर ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती काफी चर्चा में हैं. शंकराचार्य ने महाकुंभ मेले की खराब व्यवस्था के लिए उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को जिम्मेदार ठहराया है और उनसे इस्तीफे की मांग की है.
इसी बीच सोशल मीडिया पर शंकराचार्य द्वारा वीडियो कॉल पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फटकार लगाने के दावे से एक वीडियो वायरल है. इस वीडियो में शंकराचार्य फोन पर कुंभ की व्यवस्था की आलोचना करते हुए फटकार लगाते दिख रहे हैं.
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है. असल में यह बयान 'जमावट' नाम के यूट्यूब चैनल को दिए गए एक इंटरव्यू का हिस्सा है.
वायरल वीडियो में शंकराचार्य कह रहे हैं, "...मैंने पूरी व्यवस्था की है, तो फिर तुम्हारी व्यवस्था कहां गई, फिर तो जैसा पिछला कुंभ था वैसा ही तुम्हारा कुंभ हो गया उससे विशेष कहां हुआ. तुम्हारा कुंभ तो विशेष होना चाहिए था न, तुम तो कह रहे थे मैंने पूरी व्यवस्था करी है. तुम तो कह रहे थे 40 करोड़ आने वाले हैं और मैंने 100 करोड़ की व्यवस्था की है, जब 100 करोड़ की व्यवस्था में 40 करोड़ आ रहे हैं तो व्यवस्था तुम्हारी बिगड़ क्यों जा रही है?"
इसके बाद वीडियो में एक कट आता है, इसके आगे वाले हिस्से में वह सनातन धर्म और संतों को लेकर बोलते दिख रहे हैं.
एक्स पर इस वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'वीडियो कॉल पर योगी आदित्यनाथ जी को शंकराचार्य जी ने लगाई फटकार.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक: वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है
हमने सबसे पहले शंकराचार्य और मुख्यमंत्री योगी के बीच वीडियो कॉल पर हुई बातचीत से संबंधित खबरों की तलाश की पर हमें कोई विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली.
वायरल वीडियो को देखने पर हमने पाया कि उसपर Exclusive Chauchak Media लिखा हुआ था. वीडियो के अंत में उसका लोगो भी था. इसकी सच्चाई जानने के लिए हम चौचक मीडिया नाम के इस यूट्यूब चैनल पर पहुंचे.
यहां हमें 5 फरवरी 2025 को शेयर किया गया यह वीडियो मिला. इसके डिस्क्रिप्शन में लिखा था, 'वीडियो कॉल पर डांट लगाते दिखे शंकराचार्य, योगी आदित्यनाथ को गलती का कराया अहसास.'
इसमें साफ तौर पर यह नहीं लिखा गया था कि वीडियो कॉल में सामने योगी आदित्यनाथ थे लेकिन इसका डिस्क्रिप्शन भ्रमित करने वाला था. वीडियो के कमेंट सेक्शन को स्कैन करने पर हमने पाया कि कई यूजर्स ने इसे न्यूज चैनल को दिए गए इंटरव्यू का हिस्सा बताया था.
संबंधित कीवर्ड्स के जरिए हमने हाल में शंकराचार्य द्वारा फोन पर दिए गए ऐसे इंटरव्यू की खोज की. इस प्रक्रिया में हमें 'जमावट' नाम के गुजराती न्यूज चैनल पर एक वीडियो मिला. इस वीडियो में शंकराचार्य फ्रंट कैमरे पर बोलते दिख रहे थे.
लगभग 13 मिनट के इस वीडियो को सुनने पर हमें बीच में वायरल वीडियो वाला वही बयान सुनाई दिया. इसमें एंकर शंकराचार्य से पूछती हैं कि लगभग हर कुंभ में इस तरह की भगदड़ की घटनाएं होती हैं, हर बार इस्तीफा नहीं मांगा जाता.
इसपर जवाब देने की प्रक्रिया में शंकराचार्य एंकर को फटकार लगाते हैं और व्यवस्थापक और अव्यवस्था की आलोचना करते हैं, जो कि वायरल वीडियो में दिखाया गया है. यह हिस्सा वीडियो के 6 मिनट 7 सेकंड के बाद देखा जा सकता है.
इंटरव्यू में आगे साढ़े छ मिनट के करीब एंकर शंकराचार्य से उन संतों के बारे में सवाल करती हैं, जो महाकुंभ में मरने वालों को मोक्ष मिलने की बात करते हैं. इसपर शंकराचार्य कहते हैं, "जो कोई संत होगा, कोई महंत होगा कोई आचार्य होगा कोई विद्वान होगा, वो अपनी बात कह सकता है लेकिन वो अपने मन से कुछ नहीं कह सकता है, ये हमारा सनातन धर्म है और सनातन धर्म में कोई भी बात आपको कहना है तो उसे शास्त्र प्रमाण के साथ कहना पड़ता है.."
शंकराचार्य का यह बयान वायरल वीडियो के बाद वाले हिस्से में सुना जा सकता है. हमने पाया कि एंकर के सवाल पूछने वाले हिस्से को वायरल वीडियो से काट दिया गया है, जिससे शंकराचार्य किससे बात कर रहे हैं यह पता नहीं चलता.
'जमावट' के लिए यह इंटरव्यू देवांशी जोशी ने लिया था, यूट्यूब पर जिसका प्रीमियर 3 फरवरी को हुआ था. पुष्टि के लिए हमने 'जमावट' से भी संपर्क किया. उनकी टीम ने बूम से बताया, "यह बातचीत हमारे इंटरव्यू का हिस्सा है. हमने फोन पर शंकराचार्य का इंटरव्यू लिया था. इसे गलत तरीके से शेयर किया जा रहा है."
इंटरव्यू ले रही पत्रकार देवांशी जोशी ने भी एक्स पर वायरल वीडियो का खंडन किया है. उन्होंने गुजराती में लिखा, "मेरे इंटरव्यू की रिकॉर्डिंग के दौरान वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने इसे रिकॉर्ड कर लिया है और फर्जी खबर फैलाई है."