किसान आंदोलन से जोड़कर मंदिर में हिंसा का पुराना वीडियो गलत दावे से वायरल
सोशल मीडिया में काली मंदिर के अंदर उपद्रव के वीडियो को किसान आंदोलन से जोड़कर वायरल किया जा रहा है. बूम की जांच में इसे गलत पाया गया.
पिछले चार दिनों से पंजाब-हरियाणा के किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं. आंदोलन से जुड़े कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं. इस दौरान कुछ पुराने और भ्रामक वीडियो को भी किसान आंदोलन से जोड़कर शेयर किया जा रहा है.
ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है जिसको लेकर दावा किया जा रहा है कि खालिस्तान समर्थक किसानों ने मंदिर में हमला कर दिया. बूम ने अपनी जांच में पाया कि वीडियो पुराना है और इसका किसान आंदोलन से कोई संबंध नहीं है.
फेसबुक पर एक यूजर ने 2 मिनट 9 सेकंड का यह वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'खालिस्तानी किसान आतंकियों ने मंदिर पर किया हमला। ये कैसे किसान हैं?'
नोट- वीडियो में अपशब्दों का इस्तेमाल हैं, कृपया इसे अपने रिस्क पर देखें
इसका आर्काइव लिंक यहां देखें
इसी तरह कुछ और यूजर्स ने भी वीडियो शेयर किया है, जिसे यहां देखें
एक्स पर भी इसी कैप्शन के साथ यूजर ने वीडियो शेयर किया है
फैक्ट चेक
सबसे पहले हमने वीडियो का स्क्रीनशॉट लेकर गूगल रिवर्स इमेज पर चेक किया. यहां हमें एक ट्वीट मिला जिसमें बताया गया था कि वायरल वीडियो पुराना है. इसी के साथ कैप्शन में एक यूट्यूब लिंक भी मौजूद था. इसे क्लिक करने पर रिपब्लिक वर्ल्ड की एक वीडियो रिपोर्ट मिली जिसमें बताया गया कि पटियाला स्थित काली मंदिर में खालिस्तानी समर्थक और शिवसैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई. इस न्यूज रिपोर्ट को 40 सेकंड के बाद से देखने पर वायरल वीडियो के फुटेज भी दिख रहे हैं.
संबंधित कीवर्ड्स लेते हुए हमने गूगल पर सर्च किया तो हमें 29 अप्रैल 2022 की एक मीडिया रिपोर्ट मिली. न्यूज 18 की इस खबर में बताया गया कि पटियाला के काली देवी मंदिर के पास खालिस्तान समर्थकों और शिवसेना कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई. रिपोर्ट में बताया गया कि शिवसेना की ओर से खालिस्तानी मुर्दाबाद मार्च निकालने पर विवाद हुआ था.
रिपोर्ट में न्यूज एजेंसी एएनआई का एक्स लिंक भी शामिल था जिसमें घटना का वीडियो और कैप्शन शामिल है. इस वीडियो का लोकेशन वायरल वीडियो से मिलता-जुलता दिखा. इसे गौर से देखने पर मालूम चला कि वायरल वीडियो में उत्पात मचा रहा एक शख्स इस वीडियो में भी शामिल है.
इसके अलावा हमें हिंदुस्तान में भी 29 अप्रैल 2022 को प्रकाशित यह खबर मिली. इस तरह यह साबित होता है कि वायरल वीडियो हालिया किसान आंदोलन से जुड़ा नहीं है, बल्कि साल 2022 का पटियाला स्थित काली मंदिर का है.