चीनी पटाखों को लेकर गृह मंत्रालय के हवाले से वायरल मैसेज फर्जी है
बूम ने पाया कि गृह मंत्रालय की तरफ से ऐसी कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है. वायरल मैसेज फर्जी है जो दिवाली के मद्देनजर फिर से वायरल हो रहा है.
सोशल मीडिया पर दिवाली के मद्देनजर चीनी पटाखों के संदर्भ में गृह मंत्रालय के नाम से एक फर्जी मैसेज फिर से वायरल हो रहा है. इस मैसेज में खुफिया सूत्रों के हवाले से दावा किया गया है कि चूंकि पाकिस्तान सीधे भारत से बदल नहीं ले सकता इसलिए उसने चीन की मदद से ऐसी जहरीले पटाखें विकसित किए हैं जिनसे भारत में अस्थमा फैल सकता है.
साथ ही चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने की अपील के साथ इसमें यह भी दावा किया गया है कि चीन ने ऐसे डेकोरेटिव लैंप भी बनाए हैं जिससे आंखों की बीमारी फैल सकती है. मैसेज के अंत में गृह मंत्रालय के कथित अधिकारी विश्वजीत मुखर्जी का नाम है.
यह मैसेज वॉट्सऐप पर खूब फॉरवर्ड किया जा रहा है. इस क्रम में यह बूम के हेल्पलाइन नंबर भी प्राप्त हुआ.
फेसबुक पर भी यह मैसेज बड़े पैमाने पर वायरल है.
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक: वायरल मैसेज पुराना है
फेसबुक पर संबंधित कीवर्ड्स सर्च करने पर हमने पाया कि यहां साल 2019 से ही यह मैसेज इन्हीं समान दावों के साथ वायरल हो रहा है. एक्स पर हमें साल 2018 का भी एक पोस्ट मिला, जिसमें लगभग यही बातें लिखी हुई थीं.
असल में बूम की इंग्लिश टीम ने साल 2019 में भी इसका फैक्ट चेक किया था. उस समय यह इंग्लिश में वायरल था. बूम ने तब गृह मंत्रालय के मीडिया एंड कम्युनिकेशन डिपार्टमेंट से बात की थी, लेकिन उन्हें इस तरह के मैसेज के बारे में कोई जानकारी नहीं थी.
हमने फिलहाल इस संदर्भ में खबरों की तलाश की पर हमें कोई विश्वसनीय न्यूज रिपोर्ट नहीं मिली, जो वायरल दावे की पुष्टि करती हो.
हमें गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर भी इससे जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली और न ही इसके अधिकारियों की सूची में विश्वजीत मुखर्जी का नाम दिखा जो वायरल मैसेज में मौजूद है.
बूम को 2019 में फैक्ट चेक के दौरान संबंधित कीवर्ड्स की मदद से विश्वजीत मुखर्जी नामक एक व्यक्ति के कई लेख मिले, जिसमें उन्होंने पटाखों और उसके कारण होने वाले प्रदूषण पर टिप्पणी की थी. रिपोर्ट यहां और यहां देखी जा सकती है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक विश्वजीत मुखर्जी असल में पश्चिम बंगाल के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व कानून अधिकारी रहे हैं. बूम ने तब विश्वजीत मुखर्जी से भी संपर्क किया था. उन्होंने इस तरह के किसी मैसेज से इंकार करते हुए बताया कि उन्होंने पटाखों से होने वाले प्रदूषण के संबंध में लिखा है लेकिन इस मैसेज में दिखाए गए तरीके से नहीं.
उन्होंने बूम को बताया था, "मैंने पटाखों पर कई मैसेज और पत्र भेजे हैं, लेकिन यह उनमें से एक नहीं है."
बूम ने गूगल पर उपलब्ध टाइम फिल्टर के साथ इसके अंग्रेजी मैसेज के हिस्सों को सर्च किया तो पाया कि इसे चलनचित्रम नाम की चैट साइट पर 9 अक्टूबर 2017 को शेयर किया गया था. इसके बाद इस मैसेज का वॉट्सऐप स्क्रीनशॉट उस समय सोशल मीडिया वेबसाइट रेडिट पर भी शेयर किया गया था.
2020 में भारत सरकार के प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (PIB) ने भी अपने एक्स पर वायरल मैसेज का खंडन करते हुए एक पोस्ट किया था और बताया था कि गृह मंत्रालय की तरफ से ऐसी कोई सूचना नहीं दी गई है.