मध्यप्रदेश में तेंदुए को तंग करने का वीडियो ग़लत दावे से वायरल
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो में नज़र आ रहा तेंदुआ अस्वस्थ है. उसी वक्त गांव वाले ने उसे घेर कर तंग किया और उसके साथ सेल्फी लेने की कोशिश की.
मध्य प्रदेश का एक वीडियो जिसमें एक तेंदुआ धीरे-धीरे चलते हुए दिख रहा है, खूब वायरल हो रहा है. वीडियो में देखा जा सकता है कि तेंदुए के पीछे लोगों का एक बड़ा समूह है, जो उसके साथ तस्वीरें लेना चाहते हैं और उसे दुलारना चाहते हैं. सोशल मीडिया यूज़र्स मजाक में वीडियो के साथ दावा कर रहे हैं कि जानवर नशे में था.
बूम ने पाया कि वीडियो ग़लत सन्दर्भ में शेयर किया जा रहा है. जब यह वीडियो शूट किया गया तो तेंदुआ गंभीर रूप से अस्वस्थ्य था, जिसके कारण वह धीरे-धीरे चल रहा है और वीडियो में काफ़ी कमजोर दिखाई दे रहा है.
मध्य प्रदेश के देवास जिले के एक गांव इकलेरा से शूट किए गए वीडियो में कई ग्रामीण तेंदुए के पीछे चलते हुए, उसे परेशान करने की कोशिश में उसे छूते हुए दिखाई दे रहे हैं. एक व्यक्ति को उसकी पीठ पर चढ़ने की कोशिश करते हुए भी देखा जा सकता है.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने शेयर करते हुए लिखा, "इस तेंदुए ने देसी दारू की भट्टी से देसी शराब पी ली.. गांव वालों को उसे उसके घर तक छोड़ना पड़ा.. 😃😃 शराब हर किसी को एक समान तरीके से प्रभावित करती है."
(आर्काइव लिंक)
फ़ेसबुक पर भी इसी दावे से यह वीडियो शेयर कि जा रही है. (आर्काइव लिंक)
फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि वायरल दावा झूठा है. हमने इंदौर चिड़ियाघर के क्यूरेटर से बात की, जहां फ़िलहाल तेंदुए का उपचार किया जा रहा है और पाया कि वह कैनाइन डिस्टेंपर नामक बीमारी से पीड़ित है.
गूगल पर घटना से सम्बंधित कीवर्ड से सर्च किया तो हमें 31 अगस्त, 2023 को प्रकाशित टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 29 अगस्त को इकलेरा में हुई जब एक तेंदुआ गांव में भटक गया, यह गांव इंदौर से लगभग 170 कि.मी. दूर है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि तेंदुए को देवास और उज्जैन के वन अधिकारियों ने बचाया और इंदौर चिड़ियाघर में स्थानांतरित कर दिया, जिसे कमला नेहरू चिड़ियाघर भी कहा जाता है. बूम ने इंदौर चिड़ियाघर के क्यूरेटर निहार पारुलेकर से संपर्क किया, जिन्होंने तेंदुए की स्थिति के बारे में बताया और कहा कि वह कैनाइन डिस्टेंपर बीमारी से पीड़ित है.
अमेरिकन वेटरनरी मेडिकल एसोसिएशन के अनुसार, कैनाइन डिस्टेंपर मुख्य रूप से पिल्लों और कुत्तों के श्वसन, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है. हालाँकि, मोंगाबे के अनुसार, चूंकि तेंदुए कुत्तों का शिकार करते हैं, इसलिए वायरस की संक्रामक प्रकृति उन्हें भी प्रभावित कर सकती है.
पारुलेकर ने कहा, "इसका मतलब है कि यह न्यूरोलॉजिकल दौरे, तेज बुखार से पीड़ित है और इसका अपने शरीर पर कोई नियंत्रण नहीं है. एक बार संक्रमित होने के बाद कैनाइन डिस्टेंपर को ठीक नहीं किया जा सकता है, केवल निवारक दवा ही इसका समाधान है. हम तेंदुए के शारीरिक तापमान को कम रखने की कोशिश करते हैं." उन्होंने यह भी बताया कि तेंदुए को सलाइन चढ़ाया गया है.
तेंदुए की वर्तमान स्थिति के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि तेंदुए के जीवित रहने की संभावना बहुत कम है. "देखते हैं वह कितने समय तक ठीक रहता है - तेंदुए का जीवित बचना मुश्किल है."
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