बिहार पुलिस ने युवती के साथ छेड़खानी की घटना में सांप्रदायिक एंगल से किया इंकार
बूम ने अपनी जांच में पाया कि छेड़खानी के आरोप में पकड़े गए तीनों अपराधी और चिन्हित किए गए बाक़ी अपराधियों में भी कोई मुस्लिम नहीं है.
सोशल मीडिया पर कुछ युवकों द्वारा एक युवती के साथ छेड़खानी और मारपीट किए जाने का एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा है. वीडियो को इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि “बिहार के गया में 4 मुस्लिमों ने हिंदू लड़की के साथ छेड़खानी और मारपीट की, इसमें पुलिस ने ना तो कोई केस दर्ज किया और ना ही कोई कार्रवाई की”.
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. मगध मेडिकल पुलिस स्टेशन के प्रभारी एसएचओ नरेंद्र सिन्हा ने बताया कि आरोपियों के मुस्लिम होने वाला दावा फ़र्ज़ी है और इसमें किसी भी तरह का सांप्रदायिक दृष्टिकोण नहीं हैं.
वायरल वीडियो क़रीब 50 सेकेंड का है. वीडियो में कुछ मनचले एक युवती के साथ छेड़खानी और मारपीट करते नज़र आ रहे हैं. इस दौरान एक युवक उस युवती को बचाने की भी कोशिश करता है. साथ ही युवती उन युवकों से उसे छोड़ने की गुहार भी लगाती है, लेकिन उनपर कोई असर नहीं होता है. (नोट: वीडियो में विचलित करने वाले दृश्य और अपशब्द मौजूद हैं.)
वीडियो को फ़ेसबुक पर एक लंबे कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, जिसके शुरूआती चार लाइनों में लिखा गया है “ये सीरिया नहीं है! ये पकिस्तान भी नहीं है! ये भारत देश का बिहार राज्य है! तुष्टिकरण अपरंपार है! बिहार में 4 जे HA दियों ने मिलकर हिंदू लड़की को सरेआम छेड़ा उसे घसीटा और अश्लील हरकतें करते रहे। कोई पुलिस केस नहीं, कोई कार्यवाही नहीं”.
फ़ेसबुक पर वायरल वीडियो से जुड़े अन्य पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल वीडियो और उसके साथ किए जा रहे दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले संबंधित कीवर्ड की मदद से न्यूज़ रिपोर्ट्स खंगाली तो हमें 4 दिन पहले दैनिक भास्कर द्वारा प्रकाशित की गई रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो से जुड़े दृश्य मौजूद थे.
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार, यह मामला गया जिले के गुलरियाचक गांव का है, जहां चार-पांच मनचलों ने अपनी प्रेमी के साथ बैठी एक युवती के साथ छेड़खानी की थी. साथ ही इन मनचलों ने छेड़खानी का वीडियो भी बना लिया था और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. वीडियो वायरल होने के बाद इसका संज्ञान लेते हुए 29 मई 2023 को गया के सिटी एसपी हिमांशु कुमार ने आरोपियों की गिरफ़्तारी के सख्त निर्देश दिए थे.
आगे रिपोर्ट में बताया गया था कि पुलिस ने आरोपियों की गिरफ़्तारी के लिए गुलरियाचक गांव में छापेमारी भी की थी. रिपोर्ट लिखे जाने तक चार आरोपियों की पहचान हो गई थी, जिसमें से एक आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया गया था.
चूंकि दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट में आरोपियों के नाम का जिक्र नहीं था. इसलिए हमने गया पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल को खंगाला तो हमें 30 मई को किए गए ट्वीट में दोनों आरोपियों का नाम मिला. प्रेस रिलीज के अनुसार, गिरफ़्तार के किए गए दोनों आरोपियों का नाम जितेंद्र कुमार- पिता किशोरी यादव और अभिषेक कुमार पिता संजय कुमार है. इस ट्वीट में एक वीडियो भी मौजूद था, जिसमें इस घटना को लेकर सिटी एसपी हिमांशु कुमार का बयान भी मौजूद था. अपने बयान में सिटी एसपी ने पकड़े गए दोनों आरोपियों का नाम भी बताया है.
जांच में हमें बिहार पुलिस की वेबसाइट पर इस घटना की एफ़आईआर कॉपी भी मिली. एफ़आईआर में घटना से जुड़ी सभी जानकारी और चिन्हित किए गए पांच आरोपियों के नाम भी मौजूद थे. साथ ही पीड़ित युवती के प्रेमी का नाम भी मौजूद था.
29 मई 2023 को गया के मगध मेडिकल थाने में दर्ज एफ़आईआर में मौजूद जानकारी के अनुसार पांच चिन्हित आरोपियों के नाम अभिषेक कुमार पिता संजय यादव, छोटू कुमार पिता अशोक यादव, जितेन्द्र कुमार पिता किशोरी यादव, सचिन कुमार पिता कारू यादव हैं. एक आरोपी के नाबालिंग होने के कारण हमने उनके नाम को छिपा दिया है.
इसके अलावा एफ़आईआर में यह भी बताया गया था कि वीडियो में कुछ अन्य लड़के भी मौजूद हैं, जिसकी पहचान नहीं हो सकी है.
इसलिए हमने मगध मेडिकल थाने से संपर्क किया तो प्रभारी एसएचओ नरेंद्र सिन्हा ने वायरल दावों का खंडन करते हुए साफ़ कहा कि “इसमें कोई भी सांप्रदायिक दृष्टिकोण नहीं है. पकड़े गए तीनों आरोपी और बाकी चिन्हित आरोपियों में से कोई भी मुस्लिम नहीं है”.
बाइक पर पुतला ले जा रहे व्यक्ति की तस्वीर को सांप्रदायिक रंग देकर शेयर किया गया