Sambhal: मस्जिद के सर्वे से लेकर हिंसा फैलने तक, हफ्तेभर में क्या हुआ, जानें सबकुछ
संभल में रविवार को शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में 4 की मौत हो गई. जानिए इस पूरे घटनाक्रम के बारे में-
उत्तर प्रदेश के संभल में 24 नवंबर को जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के बाद हालात तनावपूर्ण हैं. पुलिस प्रशासन ने हिंसा के चलते अब तक 4 की मौत की पुष्टि की है. वहीं जिले में एहतियात के तौर पर बुधवार को भी इंटरनेट बंद रहेगा.
इस मामले में पुलिस ने सात एफआईआर दर्ज की हैं. इसमें सपा सांसद और विधायक के बेटे समेत 6 नामजद और 2750 अज्ञात शामिल हैं. वहीं 27 लोगों अरेस्ट किया जा चुका है. इस मामले में अब तक क्या हुआ, जानिए-
ढाई घंटे में कोर्ट से सर्वे का आदेश
19 नवंबर 2024 को स्थानीय कोर्ट में दावा किया गया कि शाही जामा मस्जिद पहले श्रीहरिहर मंदिर था. कोर्ट में संभल के कैलादेवी मंदिर के महंत ऋषि राज गिरि महाराज की ओर से अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने याचिका दाखिल की. इसमें कहा गया कि मस्जिद में मंदिर के कई प्रमाण हैं और 1526 में मुगल शासकों ने मंदिर को ध्वस्त कर शाही जामा मस्जिद का निर्माण करवाया था.
इस मामले में 19 नवंबर की सुबह 11.30 वाद तैयार किया गया और दोपहर डेढ़ बजे सिविल कोर्ट में याचिका लगाई गई. सिविल जज (सीनियर डिविजन) आदित्य सिंह की कोर्ट में ढाई घंटे तक सुनवाई हुई और चार बजे सर्वे का आदेश आ गया और 29 नवंबर तक रिपोर्ट मांगी गई. इसके बाद सर्वे की टीम 5.30 तक जामा मस्जिद पहुंच गई और वीडियोग्राफी कराई गई.
संभल सांसद ने दिया 'मस्जिद की हिफाजत' वाला बयान
संभल से सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने 22 नवंबर को मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद भीड़ जुटाकर सर्वे के आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, "जामा मस्जिद अल्लाह का घर है, अब से कई सौ साल से तामीर है, यहां पर इबादत के लिए सारे मुसलमान तशरीफ लाए हैं. हमेशा से यहां नमाज अदा करते हैं."
सांसद ने आगे कहा, "मस्जिद की हिफाजत के लिए कानूनी लड़ाई लड़ेंगे. 'प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट' 1991 कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले जो धार्मिक स्थल जहां हैं वह अपनी जगह रहेंगे. इसके बावजूद कुछ लोग देश और प्रदेश का माहौल बिगड़ना चाहते हैं. सरकारों को समझना चाहिए कि यह देश किसी की भावना से नहीं बल्कि संविधान और कानून से चलेगा. ध्यान रखें ये मस्जिद थी, मस्जिद है और मस्जिद ही रहेगी. हम नहीं चाहते कि देश का माहौल खराब हो."
सर्वे के दूसरे चरण के दौरान भड़की हिंसा
24 नवंबर को दूसरे चरण के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर रमेश राघव की टीम सुबह सात बजे जामा मस्जिद पहुंची. इस दौरान वादी और प्रतिवादी पक्ष भी मौजूद था. मस्जिद की वीडियोग्राफी के दौरान ही बाहर भीड़ जुटनी शुरू हो गई और देखते ही देखते तनाव की स्थिति बन गई. उत्तेजित भीड़ ने कई वाहनों में आग लगाई.
पुलिस की ओर से रबर बुलेट और आंसू गैस के गोले छोड़ने की बात कही गई. चार घंटे बाद हालात काबू में आए और चार की मौत की पुष्टि हुई. मृतकों के नाम मोहम्मद कैफ (18 साल), बिलाल (23 साल), नईम (30 साल) और मोहम्मद रोमान (50 साल) हैं.
हिंसा में 24 पुलिसकर्मी भी घायल हुए. इसके बाद प्रशासन की ओर से जिले में इंटरनेट बैन कर दिया गया और निषेधाज्ञा लागू कर दी गई.
मस्जिद के सदर का सनसनीखेज दावा
इस मामले में सोमवार को मस्जिद के इंतेजामिया कमिटी के सदर जफर अली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पुलिस प्रशासन पर कई आरोप लगाए. वह कोर्ट में मस्जिद की ओर से अधिवक्ता भी हैं. उन्होंने कहा, "सर्वे के दौरान अफवाह फैलने के कारण वहां भीड़ इकट्ठा हुई थी. अफवाह इसलिए फैली कि वजूखाने से पानी निकाला गया तो लोगों में यह भ्रम फैल गया कि मस्जिद में खुदाई चल रही है इसलिए पानी निकाला जा रहा है."
इसके बाद जफर अली ने कहा, "मेरे सामने डीआईजी, एसपी और डीएम आपस में डिस्कशन कर रहे थे कि तुरंत गोली चलाने का निर्णय लिया जाए. तब मैंने पब्लिक से अपील की जिससे 75 फीसदी लोग वापस घरों को लौट गए लेकिन कुछ लोग सोचते रहे कि मस्जिद में खुदाई जारी है. मैंने घोषणा की कि गोली चलने के आदेश मिल चुके हैं, इसलिए सारे लोग अपने घर चले जाएं. शांति बनाएं रखें."
हालांकि संभल एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई और डीएम राजेंद्र पेंसिया ने जफर अली पर भ्रामक बयान देने का आरोप लगाया. डीएम ने कहा, "उन्होंने (जफर अली) अभी हमसे कहा कि लोगों ने उन पर प्रशासन और पुलिस से मिले होने के आरोप लगाए, इसलिए उन्हें यह (भ्रामक) बयान देना पड़ा."
पुलिस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाए हथियार
संभल हिंसा के दौरान पुलिस को उपद्रवियों के जूते चप्पल के साथ दोधारी खंजर जैसे हथियार भी मिले जिसे सोमवार को एसपी केके बिश्नोई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिखाया. पुलिस का मानना है कि संभल हिंसा पूर्व नियोजित थी.
हालांकि पुलिस की इस थ्योरी पर सवाल खड़े होते हैं कि अगर संभल में हुई हिंसा प्री प्लांड थी तो प्रशासन पहले से अलर्ट क्यों नहीं था और इस तरह जान-माल का नुकसान कैसे हुआ.
संभल में पुलिस की ओर से मंगलवार को हिंसा वाले दिन के कुछ वीडियो फुटेज जारी किए हैं जिसमें कुछ नकाबपोश लोगों को पथराव करते देखा गया. दरअसल, प्रशासन ने उस इलाके में लगे सारे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज अपने कब्जे में ले लिए थे जिसकी जांच की जा रही है.
सांसद पर भीड़ को भड़काने का आरोप
संभल हिंसा को लेकर पुलिस ने सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ केस दर्ज किया है. पुलिस ने उन पर लोगों को भड़काने का आरोप लगाया. पुलिस का आरोप है कि सांसद के 22 नवंबर को दिए गए भाषण का गंभीर परिणाम 24 नवंबर को हुआ.
एसपी केके बिश्नोई ने कहा, "बर्क के द्वारा दो बार ऐसे बयान दिए गए जिससे जनता में यह भाव पैदा हुई कि जामा मस्जिद पर खतरा है. लोगों में भावना पैदा की गई किसी प्रकार का खतरा है और हमें उसे प्रोटेक्ट करना है. शुक्रवार को उनके द्वारा बताया गया कि मस्जिद को प्रोटेक्ट करना सामूहिक दायित्व है. और रविवार को सर्वे के दौरान भीड़ इकट्ठा हुई. उन्हें बीएनएसएस की धारा 168 के तहत नोटिस जारी किया गया था."