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डबल ड्यूटी और प्रशासन की कार्रवाई, यूपी में SIR में जुटे BLO झेल रहे मानसिक दवाब

उतर प्रदेश में एसआईआर के काम में लगे कुछ कर्मचारियों पर एफआईआर, वेतन रोकने और निलंबन जैसी कार्रवाई की जा रही है. वहीं काम पर लगे हुए बीएलओ ग्राउंड पर तमाम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं.

By -  Shivam Bhardwaj
Published -  1 Dec 2025 6:04 PM IST
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    डबल ड्यूटी और प्रशासन की कार्रवाई, यूपी में SIR में जुटे BLO झेल रहे मानसिक दवाब

    उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्धनगर के एक जूनियर हाई स्कूल में कार्यरत टीचर रुचि कुमारी (बदला हुआ नाम) को 25 नवंबर को एसडीएम ऑफिस से एक लेटर प्राप्त हुआ. रुचि को स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (एसआईआर) के लिए ब्लॉक लेवल ऑफिसर (बीएलओ) नियुक्त किया गया है. यह सुनकर वह काफी तनाव में आ गईं. उनका कहना है कि एसआईआर के पहले फेज की डेडलाइन में महज कुछ दिन बचे हैं और वह इतने कम समय में घर-घर जाकर फॉर्म भरवाने और इसकी ऑनलाइन फीडिंग कैसे पूरा कर पाएंगी.

    बूम से बातचीत में वह कहती हैं, "पहले उस बूथ पर किसी आशा वर्कर को तैनात किया गया था, काम ठीक से न होने पर मुझे तैनात किया गया है, मुझे न तो कोई ट्रेनिंग दी गई है, न ही मुझे बूथ से जुड़े क्षेत्र के बारे में कोई जानकारी है, 4 दिसंबर तक काम पूरा करके देना है, अभी सिर्फ 10 परसेंट काम ही सम्पन्न हुआ है, मुझे मजबूरन यह जिम्मेदारी लेनी पड़ी है क्योंकि मुझे एफआईआर दर्ज होने का डर था. 56 वर्ष की उम्र में एफआईआर और ये सब नहीं झेल सकती.”

    बिहार के बाद भारत निर्वाचन आयोग ने 27 अक्टूबर 2025 को देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) का दूसरा चरण शुरू करने का आदेश जारी किया था. इसके अंतर्गत उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल समेत 9 राज्यों और 3 केन्द्रशासित प्रदेशों में एसआईआर के तहत वोटर लिस्ट में सुधार किया जा रहा है. देश के 321 जिलों और 1,843 विधानसभा क्षेत्रों में फैले इस व्यापक अभियान की बागडोर 5.3 लाख बीएलओ संभाले हुए हैं. अभियान के अंतर्गत देश के 51 करोड़ मतदाताओं के मताधिकार की पुष्टि की जा रही है.

    अभियान के अंतर्गत पहले चरण की काउंटिंग के लिए 4 नवंबर 2025 से 4 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई थी हालांकि अब यह डेट बढ़ाकर 11 दिसंबर 2025 कर दी गई है. इस अवधि के अंदर बूथ लेवल अधिकारियों (बीएलओ) को घर-घर जाकर काउंटिंग फॉर्म भरने और ऑनलाइन फीडिंग का कार्य सौंपा गया है.

    बीएलओ पर दर्ज की गईं एफआईआर

    इस बीच ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जहां बीएलओ की ओर से काम के भारी दबाव के चलते मानसिक तनाव की शिकायतें आ रही हैं. वहीं दूसरी ओर इन कर्मचारियों पर लापरवाही के आरोप में एफआईआर भी दर्ज की जा रही है.

    उत्तर प्रदेश में एसआईआर के काम में लगे कर्मियों पर जगह-जगह एफआईआर दर्ज की गई हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, बरेली, सहारनपुर, बस्ती, बांदा में कर्मचारियों पर एफआईआर दर्ज किए जाने की सूचना है.

    गौतमबुद्ध नगर में कुल अब तक कुल 60 बीएलओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. वहीं श्रावस्ती में 50 से अधिक बीएलओ के खिलाफ कार्रवाई की गई है. 5 बीएलओ को निलंबित किया गया है और 45 बीएलओ के मानदेय भुगतान पर रोक लगा दी गई है. बहराइच में 2 बीएलओ को निलंबित किया गया है. बांदा में 67 बीएलओ का वेतन रोका गया है और 202 बीएलओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.

    सहारनपुर के थाना कुतुबशेर के अंतर्गत एक बीएलओ के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है. तो गाजियाबाद के सिहानी गेट थान में 21 बीएलओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है.

    ये एफआईआर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 के अंतर्गत दर्ज की गई हैं. कर्मियों के खिलाफ भारतीय जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 32 के तहत कार्रवाई की बात कही गई है. इन कर्मियों पर गणना प्रपत्र के वितरण में लापरवाही बरतने, गणना-प्रपत्र समय पर न भरने, ऑनलाइन फीडिंग में सहयोग न करने, समीक्षा बैठक में अनुपस्थित रहने जैसे आरोप हैं.

    इन कार्रवाइयों के चलते बीएलओ डेडलाइन से पहले काम पूरा करने की जद्दोजहद में लगे हैं और काफी दबाव महसूस कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की एक ग्राम पंचायत में बीएलओ बनाए गए शिक्षामित्र ने बूम को बताया, “सप्ताह के सातों दिन काम कर रहे हैं, दिन हो या रात हो काम कर रहे हैं, सारी छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं, संडे को भी काम करते हैं."

    वह आगे कहते हैं, "यह काम एक महीने में नहीं हो सकता, कोई मतदाता पंजाब में है, कोई हरियाणा में है, कोई दिल्ली में है, कोई गुजरात में है तो कोई महाराष्ट्र में. बाहर जाकर काम करने वाले मतदाताओं की तरफ से सहयोग नहीं मिल रहा है, उनकी तरफ से समय पर डेटा नहीं मिल रहा है. काम के दौरान स्वास्थ्य समस्या का सामना मुझे भी करना पड़ रहा है, बीते दिन मुझे भी चक्कर आ गए थे.”


    दो बीएलओ का इस्तीफा हुआ वायरल

    बीते दिनों गौतम बुद्ध नगर के हाजीपुर प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षामित्र कविता नागर और उच्च प्राथमिक विद्यालय, गेझा में तैनात सहायक अध्यापिका पिंकी द्वारा लिखे गए इस्तीफे सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.

    काम के दवाब का जिक्र करते हुए पिंकी ने लिखा, 'मेरे वार्ड में 1179 मतदाता हैं, मैंने 215 ऑनलाइन फीड कर दिए हैं, मैं अपनी जॉब से इस्तीफा दे रही हूं क्योंकि अब मुझसे यह कार्य नहीं हो पाएगा.'

    कविता नागर ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि वह पिछले 20 वर्षों से विभाग में सेवा दे रही हैं लेकिन वर्तमान में परिस्थितियां अत्यंत विषम हो गई है, बीएलओ का कार्य करते हुए वार्ड में लोगों का व्यवहार और विभाग के अधिकारियों का रवैया बहुत ही दुखद है, जिसके कारण वह मानसिक रूप से बहुत परेशान हैं और इसलिए टीचिंग और BLO दोनों के कार्य से इस्तीफा दे रही हैं.

    टीचर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मेघराज भाटी बूम से बातचीत में कहते हैं, “दो शिक्षिकाओं के इस्तीफे वाट्सएप से वायरल हुए हैं, निराश और दुखी होकर शिक्षिकाओं ने अपने इस्तीफे लिखे हैं, अधिकारियों का अभद्र व्यवहार, रात में डेढ़-दो बजे मैसेज और कॉल करके अपडेट और रिपोर्ट मांगना, अनैतिक दवाब बनाना, यह शिक्षकों का मानसिक उत्पीड़न है.”

    भाटी कहते हैं, “गौतमबुद्ध नगर में 35 शिक्षकों की संविदा समाप्ति से जुड़ा नोटिस जारी कर दिया गया है. हमारे शिक्षण कार्य में कोई कमी हो, शिक्षा की गुणवत्ता में कोई कमी हो तब निश्चित रूप से कार्रवाई की जानी चाहिए, एक तो गैर शैक्षणिक कार्य कराया जा रहा है और ऊपर से एफआईआर की जा रही है. शिक्षकों को दंडात्मक कार्रवाई नहीं सुविधा और सहयोग की जरूरत है.”



    एफआईआर दर्ज किए जाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोरा बूम से बातचीत में कहती हैं,

    “भारतीय जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 32 के तहत मतदाता सूची के काम में लापरवाही जैसा आरोप अपने-आप में कोई अपराध नहीं है. धारा के अंतर्गत अपराध तभी बनता है जब कोई जानबूझकर जिम्मेदारी निभाने में चूक करे. अगर किसी बीएलओ से गणना फॉर्म बांटने का लक्ष्य पूरा नहीं हो पाया या अपेक्षा के अनुरूप काम नहीं हो पाया तो यह अपराध नहीं है, जब तक यह साबित न हो कि उसने अपना काम जानबूझकर रोका था. प्रशासन की कार्रवाई से ऐसा लगता है कि दबाव डालने के लिए एफआईआर दर्ज की गई हैं. सिर्फ काम जल्दी पूरा न कर पाना अपराध नहीं माना जा सकता.”


    यूपी में अब तक सात बीएलओ की मौत

    मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उतर प्रदेश में एसआईआर के काम में लगे हुए 7 कर्मचारियों की मौत के मामले सामने आए हैं जिनमें से तीन आत्महत्या के हैं. प्रदेश के गोंडा जिले में 25 नवंबर की सुबह एसआईआर के काम में लगे हुए शिक्षक विपिन यादव ने जहर खा लिया था जिनकी लखनऊ में इलाज के दौरान मौत हो गई. विपिन यादव की पत्नी सीमा यादव ने एक वीडियो जारी किया जिसमें विपिन यादव जहर खाने की वजह काम का दवाब बता रहे हैं. हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने आरोप का खंडन किया.

    इसी तरह लखनऊ के मलिहाबाद में तैनात शिक्षामित्र और बीएलओ विजय कुमार वर्मा की 21 नवंबर को ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई थी. मृतक की पत्नी संगीता ने मीडिया को बताया कि जब से बीएलओ का काम मिला था तब से बहुत परेशान रहते थे. इसी वजह से अटैक पड़ा, अस्पताल लेकर गए तो डॉक्टर ने बताया कि ब्रेन हैमरेज हुआ है.

    फतेहपुर में 25 नवंबर को लेखपाल सुधीर कुमार कोरी ने आत्महत्या कर ली थी. रिपोर्ट के अनुसार, सुधीर की ड्यूटी एसआईआर अभियान में लगी थी, उन्हें जहानाबाद विधानसभा का सुपरवाइजर बनाया गया था. एक दिन बाद ही सुधीर की शादी थी.

    परिजनों ने कानूनगो और ईआरओ पर मृतक को सस्पेंड और बर्खास्त करने की धमकी देने का आरोप लगाया था. इस मामले में लेखपाल संघ की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया था. मामला बढ़ता देख डीएम ने एक्शन लेते हुए ईआरओ को पद से हटाने का आदेश जारी किया.

    बरेली में 26 नवंबर को परधौली प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक सर्वेश गंगवार एसआईआर सर्वे का काम कर रहे थे, इस दौरान उनकी अचानक तबीयत बिगड़ी और मौत हो गई. उन्हें बीएलओ की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. सर्वेश के भाई योगेश गंगवार ने मीडिया को बताया है, “रात में 11-12 बजे तक काम करते थे, काम का लोड ज्यादा था, सोने का समय नहीं मिल पा रहा था, अधिकारियों द्वारा डांट लगाई जाती थी, पारिवारिक जिम्मेदारियां भी थीं, दवाब बहुत ज्यादा था.”

    मुरादाबाद में भी 30 नवंबर की सुबह शिक्षक और बीएलओ सर्वेश सिंह ने फासी लगाकर जान दे दी. सर्वेश की जेब से सुसाइड लेटर भी बरामद हुआ है. सुसाइड नोट में उन्होंने आत्महत्या का कारण टारगेट की चिंता और अधिकारियों द्वारा बनाए जा रहे दवाब को बताया है.

    इसके अलावा 29 नवंबर को बिजनौर में शोभारानी और देवरिया में आशीष मौर्या की तबीयत बिगड़ने के बाद मौत हो गई.


    तकनीकी समस्याएं और काम का दबाव

    मृत्यु की इन घटनाओं पर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय बूम से बातचीत में कहते हैं, “शिक्षकों की मौत के मामले भी सामने आ रहे हैं यह बहुत दुखद और चिंताजनक है."

    वह आगे कहते हैं, "यह अनुचित दबाव बनाया जाता रहा तो हम विरोध करेंगे. शिक्षकों के खिलाफ जो निलंबन की कार्रवाई की जा रही हैं हम उसका विरोध करते हैं अगर जरूरत पड़ी तो आंदोलन और बहिष्कार भी करेंगे.”

    इसी बीच भारत निर्वाचन आयोग ने 30 नवंबर 2025 को काम के बीच में ब्रेक लेकर डांस करते और तनाव को भगाते हुए बीएलओ समेत अन्य कर्मियों का वीडियो शेयर किया है. यह वीडियो केरल का है.

    बरेली के एक शिक्षामित्र कहते हैं, “ऑनलाइन फीडिंग के लिए हमें बीएलओ ऐप दी गई है. कई बार यह ऐप काम ही नहीं करती, सर्वर डाउन रहता है. कई बार ऐसा होता है कि हमने फीडिंग कर दी है लेकिन वो फीडिंग अपडेट नहीं हुई होती है, अधिकारी हमसे सवाल-जवाब करते हैं जबकि हम अपनी तरफ से काम कर चुके होते हैं.”

    "अधिकारियों के फोन कॉल मानसिक दवाब बढ़ाते हैं"

    बरेली के ही एक अन्य बीएलओ ने बताया, “मतदाताओं की तरफ से डेटा मिलने में देरी हो रही है और इसके लिए जवाबददेही हमारी तय की जा रही है. जो काम तीन महीने का है वह एक महीने में कराने का प्रयास किया जा रहा है, एक महीना भी पूरा नहीं दिया गया, 7-8 नबंवर को हमें काउंटिंग फॉर्म और संबंधित सामग्री मिली है और 30 नवंबर तक पूरा करने का दबाव बनाया जा रहा है. मैंने अधिकारियों के फोन उठाने बंद कर दिए हैं, मैं अपने काम में पूरी तरह से लगा हुआ हूं, अधिकतम जितना काम संभव है उतना कर रहा हूं.”

    बीएलओ की ड्यूटी की वजह से पढ़ाई पर भी असर हो रहा है और स्कूलों का सिलेबस अधरे में लटका है. मेघराज भाटी कहते हैं, “गौतमबुद्ध नगर में 2,500 शिक्षक हैं जिनमें से 1,700 को बीएलओ बना दिया गया है, 10 फरवरी से अर्द्धवार्षिक परीक्षा है, पाठ्यक्रम पूरा नहीं हुआ है, पहली बार हुआ है कि परीक्षा से पहले शिक्षकों को स्कूल से बाहर कर दिया गया है और बीएलओ का काम कराया जा रहा है.” समाधान पर बात करते हुए भाटी कहते हैं, “ समयावधि को बढ़ाया जाए, अन्य विभागीय कर्मचारियों को शामिल किया जाए और काम का बंटवारा किया जाए.”

    प्रशासनिक पक्ष जानने के लिए हमने गौतमबुद्ध नगर जिलाधिकारी रूपा मेधम और राज्य निर्वाचन आयोग, उत्तर प्रदेश के कार्यालय में भी संपर्क किया लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला. जवाब मिलने पर हम यहां अपडेट करेंगे.

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