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एक्सप्लेनर्स

यूट्यूब पर पत्रकारों के डीपफेक वीडियो से फैल रहा अवैध कमाई का बाजार

न्यूज एंकर्स के वॉइस क्लोनिंग वाले डीपफेक वीडियो न केवल गलत सूचनाएं फैला रहे हैं बल्कि दर्शकों को गुमराह करने के अलावा अवैध तरीके से पैसे भी कमा रहे हैं.

By -  Rohit Kumar
Published -  31 Oct 2025 3:38 PM IST
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    Deepfake videos on YouTube with voice clones of news anchors are not only spreading misinformation but also misleading the public besides making money illegally.

    यूट्यूब पर एक वीडियो में वरिष्ठ टीवी पत्रकार रजत शर्मा यह कहते दिखाई देते हैं कि 'भारत ने अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर कब्जा कर लिया है.' Bharat Decode TV नाम के चैनल पर 24 अक्टूबर 2025 को अपलोड किए गए इस वीडियो को 2 लाख से अधिक बार देखा चुका है.

    बूम की जांच में यह वीडियो पूरी तरह से गलत पाया गया. यह अवैध तरीके से रजत शर्मा की वॉइस क्लोनिंग करके बनाया गया डीपफेक वीडियो है.

    अक्टूबर के दूसरे सफ्ताह में अफगानिस्तान के विदेश मंत्री मौलवी आमिर खान मुत्ताकी भारत आए थे. इस दौरान भारत और अफगानिस्तान के रिश्तों में नई मधुरता और द्विपक्षीय सहयोग देखने को मिला. इसी पृष्ठभूमि में फर्जी तथ्यों के साथ यह फेक वीडियो बनाया गया है.

    बूम को डीपफेक वीडियो बनाने वाले 40 से अधिक चैनल मिले

    वास्तविकता में यूट्यूब पर रजत शर्मा का ऐसा केवल एक डीपफेक वीडियो नहीं है, बल्कि ढेरों वीडियो मौजूद हैं. यूट्यूब पर रजत शर्मा के अलावा देश के कई अन्य पत्रकारों जैसे- रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, शुभांकर मिश्रा और सुधीर चौधरी के भी डीपफेक वीडियो भरे पड़े हैं.

    बूम को अपनी पड़ताल में 43 यूट्यूब चैनल मिले, जिनमें रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, सुधीर चौधरी, रजत शर्मा और शुभांकर मिश्रा की वॉइस क्लोनिंग करके बनाए गए फर्जी वीडियो शेयर किए गए हैं.

    बूम ने यूट्यूब को भी ऐसे 21 चैनल की लिस्ट दी, जिसे उसने अब डिलीट कर दिया है पर बाकि 22 चैनल इस स्टोरी के पब्लिश होने तक अभी भी यूट्यूब पर मौजूद हैं.

    रवीश कुमार और अभिसार शर्मा के फेक वीडियो

    इन 43 में से 23 चैनलों में केवल रवीश कुमार के डीपफेक वीडियो हैं, जिनमें से 13 अब डिलीट हो चुके और 10 अभी भी मौजूद हैं. इसके अलावा अभिसार शर्मा के डीपफेक वाले 13, सुधीर चौधरी के डीपफेक वाले 6, रजत शर्मा के डीपफेक वीडियो वाले 3 और शुभांकर मिश्रा का डीपफेक वीडियो बनाने वाला एक चैनल भी इसमें शामिल है.

    इन चैनल पर शेयर किए गए डीपफेक वीडियो न केवल गलत जानकारी परोस रहे हैं बल्कि दर्शकों को मूल पत्रकारों के बारे में भ्रमित भी कर रहे हैं. इन वीडियो में एआई क्लोन एंकर मूल एंकर की न्यूज प्रेजेंट करने की स्टाइल, भाषा शैली, टोन और सरकार के प्रति उनके रुख को भी कॉपी करते हैं ताकि वह दर्शकों को और भी अपीलिंग लगें.

    अभिसार शर्मा बूम से कहते हैं,

    "AI से बनाए गए ऐसे चैनल हमारे नाम पर बहुत बेहूदे और झूठे बयान डाल देते हैं जिससे हमारे लिए मुश्किलें खड़ी हो जाती हैं. लोग मेरे असली चैनल पर आकर गालियां देने लगते हैं और लोग इसे सच भी मान लेते हैं कि वह फेक चैनल मैं चला रहा हूं."


    डीपफेक वीडियो गलत और भ्रामक जानकारी फैला रहे हैं

    वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के डीपफेक वीडियो बनाने वाले Mdy News join नाम के एक यूट्यूब चैनल पर शेयर किए गए अधिकतर वीडियो में इजरायल और फिलीस्तीन के मुद्दे को प्रमुखता से लिया गया. इन वीडियो में रवीश के एआई क्लोन को फिलीस्तीन का स्टैंड लेते हुए इजरायल में तबाही मच जाने, ईरान के इजरायल पर हमला कर देने और इजरायल के फिलीस्तीन से हार मान लेने जैसे फर्जी दावे करते हुए दिखाया गया है.



    Sone Chandi Ke Bhav Live नाम के एक चैनल पर सुधीर चौधरी के एआई क्लोन को सोने-चांदी के भाव बताते हुए दिखाया गया. कई वीडियो में सोने-चांदी के भाव गलत तरीके से मार्केट से काफी कम-ज्यादा बताए गए. इसके साथ ही दर्शकों को गुमराह करते हुए इस चैनल पर शेयर किए गए पुराने वीडियो के टाइटल को बदलते हुए उनमें हालिया तारीख डाली गई.

    रजत शर्मा के डीपफेक वीडियो शेयर करने वाले चैनल JSR NEWS में भारतीय कूटनीति को सफल बताते हुए दुनिया में भारत के दबदबे की तस्वीर गढ़ी गई है. एक वीडियो में दावा किया गया कि अफगानिस्तान ने बगराम एयरबेस को भारत को सौंप दिया है और भारत ने वहां तिरंगा भी फहरा दिया है.



    एआई टूल्स से डीपफेक वीडियो की पुष्टि

    Dunia Ki Khabar नाम के चैनल पर अभिसार शर्मा के कई एआई वीडियो शेयर किए गए हैं. चैनल पर अभिसार शर्मा के एक डीपफेक वीडियो को देखिए.


    एआई डिटेक्टर टूल जैसे- DeepFake-O-Meter इन वीडियो के एआई से बने होने की पुष्टि करते हैं. DeepFake-O-Meter ने अभिसार के इस वीडियो के एआई से बने होने की 99.7 प्रतिशत संभावना व्यक्त की.



    चैनलों के सब्सक्राइबर्स और वीडियो के व्यूज लाखों में

    सुधीर चौधरी के डीपफेक वाले Sone Chandi Ke Bhav Live चैनल पर 2400 से अधिक वीडियो हैं और इसके 20 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं. सुधीर चौधरी के ही डीपफेक वीडियो वाले एक अन्य चैनल Info Gyan के कई वीडियो पर भी मिलियन में व्यूज हैं.

    रवीश कुमार के डीपफेक वीडियो वाले Mdy News नाम के चैनल पर 162 वीडियो और 6 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर थे जो अब डिलीट हो चुका है.

    रजत शर्मा के डीपफेक वीडियो वाले JSR NEWS चैनल के 83 हजार सब्सक्राइबर हैं पर चैनल पर शेयर किए गए कई वीडियोज को लाखों बार देखा गया है. इसी तरह शुभांकर मिश्रा के डीपफेक वीडियो वाले India Truth Lines नाम के इस यूट्यूब चैनल के 1 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं.

    डीपफेक वीडियो की वजह से असली चैनल के एंगेजमेंट पर असर

    इन फर्जी चैनलों के सब्सक्राइबर और वीडियो के व्यूज लाखों की संख्या में होने की वजह से इन पत्रकारों के असली चैनलों की एंगेजमेंट पर भारी असर पड़ता है. अभिसार शर्मा के मूल चैनल पर 92 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं.

    अभिसार शर्मा बूम को बताते हैं कि एआई से बनाए गए चैनलों का उन पर और रवीश कुमार पर बहुत बुरा असर पड़ा है.

    अभिसार शर्मा कहते हैं, "मैंने एआई चैनलों के बारे में यूट्यूब से शिकायत भी की थी. यूट्यूब कार्रवाई करता है लेकिन कुछ समय बाद ही कई अन्य चैनल फिर से बन जाते हैं. मैं लगातार कोशिश कर रहा हूं कि ये किसी तरह से हट जाएं लेकिन इतने सारे चैनल हैं कि समझ में ही नहीं आता कि कौन इन्हें चला रहा है."

    दिल्ली हाईकोर्ट ने सुधीर चौधरी के पर्सनैलिटी राइट की रक्षा करते हुए 10 अक्टूबर 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे - फेसबुक, एक्स और यूट्यूब पर वायरल उनके डीपफेक वीडियो को हटाने का निर्देश दिया था. इसके बावजूद यूट्यूब पर सुधीर चौधरी के कई डीपफेक वीडियो यूट्यूब अभी भी मौजूद हैं.

    एआई टूल्स से डीपफेक वीडियो बनाना बेहद आसान

    उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में रहने वाले एक शख्स ने बूम को बताया कि वह कई अलग-अलग एआई टूल्स के माध्यम से रवीश कुमार के फेक एआई वीडियो बनाते हैं और अपने चैनल पर अपलोड करते हैं.

    रवीश कुमार के मुख्य चैनल पर अभी 1 करोड़ 40 लाख से अधिक सब्सक्राइबर हैं. रवीश कुमार बूम से कहते हैं,

    "मेरी फोटो और आवाज का इस्तेमाल करके मेरे नाम पर हर दिन कोई नया चैनल बन जाता है. हालांकि मुझे देखने वाले लोग पहले कंफ्यूज होते थे लेकिन अब वो जानने लगे हैं कि मेरा असली चैनल कौन सा है."

    बूम की पड़ताल में सामने आए इन 43 चैनल में से कुछ चैनल YouTube Partner Program के तहत वीडियो पर व्यूज के अनुसार गूगल एडसेंस से होने वाली कमाई के अलावा इन वीडियो को 'Members Only' कंटेंट में शेयर करके भी कमाई करते हैं.

    मेंबर्स ओनली कंटेंट वो एक्सक्लूसिव वीडियो, पोस्ट या लाइवस्ट्रीम होती हैं जिन्हें सिर्फ चैनल के पेड मेंबर्स ही देख सकते हैं. इसके लिए यूजर्स को चैनल की मासिक सदस्यता के तौर पर कुछ राशि प्रदान करनी पड़ती है.

    यूट्यूब के नियम- कानून क्या कहते हैं

    यूट्यूब जैसी कंपनियां भारतीय कानून के अनुसार, इंटरमीडियरी संस्थान के रूप में दर्ज हैं. इसका मतलब है कि प्लेटफॉर्म पर यूजर द्वारा डाली गई ऐसी डीपफेक साम्रगी के लिए यूट्यूब सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं है.

    यूट्यूब अपने यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम में शामिल होने वाले चैनलों से कम्युनिटी गाइडलाइंस और एडवर्टाइजर-फ्रेंडली गाइडलाइंस को फॉलो करने और सिंथेटिक कंटेंट (एआई जनरेटेड) के लिए एक लेबल लगाए जाने की अपेक्षा करता है.

    बूम द्वारा 21 चैनल्स को फ्लैग किए जाने पर यूट्यूब इंडिया की प्रवक्ता ने बूम से प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “सावधानीपूर्वक समीक्षा के बाद हमने उन चैनल को डिलीट कर दिया है, जिन्हें स्पैम, धोखाधड़ी और घोटालों की नीतियों का उल्लंघन करने के कारण चिह्नित किया गया था.”

    यूट्यूब ने 21 अक्टूबर 2025 को प्लेटफॉर्म पर मौजूद डीपफेक वीडियो की पहचान करने के लिए 'Likeness Detection Tool' लांच किया है. टैक क्रंच की रिपोर्ट के मुताबिक मूल क्रिएटर्स इस टूल से अपने सभी पहचाने गए डीपफेक वीडियो देख सकते हैं और यूट्यूब के गोपनीयता दिशानिर्देशों के अनुसार उन्हें हटाने या कॉपीराइट का अनुरोध कर सकते हैं. हालांकि अभी इस टूल का एक्सेस केवल यूट्यूब पार्टनर प्रोग्राम के कुछ चुनिंदा वेरिफाइड क्रिएटर्स को ही दिया गया है.

    डीपफेक से निपटने के लिए सरकार की क्या है तैयारी

    डीपफेक और फेक न्यूज से निपटने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने दिसंबर 2023 में सभी इंटरमीडियरी को आईटी रूल्स 2021 के नियमों का पालन सुनिश्चित कराने के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी. इसके अनुसार इंटरमीडियरी को अपने यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंधित सामग्री के बारे में स्पष्ट और सटीक भाषा में बताना जरूरी है.

    मंत्रालय ने 22 अक्टूबर 2025 को आईटी रूल्स 2021 में संशोधन का एक नया ड्राफ्ट जारी किया है. अगर यह लागू होते हैं तो सभी इंटरमीडियरीज अपने प्लेटफॉर्म पर अपलोड होने वाले एआई से बने 'सिंथेटिक' कंटेंट के लिए अनिवार्य तौर पर एक लेबल लगवाना होगा, जो कंटेंट के कम से कम 10% हिस्से को कवर करेगा.

    लॉ फर्म Cyril Amarchand Mangaldas में पार्टनर आर्या त्रिपाठी का कहना है कि कलात्मक या मनोरंजन उद्देश्य से सिंथेटिक कंटेंट का उपयोग हानिकारक नहीं है लेकिन अन्य संदर्भों में इसके प्रयोग खतरनाक हो सकते हैं. सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि डीपफेक की पहचान और नियंत्रण के लिए तकनीकी क्षमताएं और बढ़ाई जाएं क्योंकि डीपफेक पब्लिक डेटा के दुरुपयोग पर आधारित होते हैं.

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