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फैक्ट चेक

भारतीय रिज़र्व बैंक की मुद्रा प्रिंटिंग इकाई के डिप्टी डायरेक्टर ने 10 हज़ार करोड़ रूपए चुराए? नहीं, दावे झूठ हैं

बूम ने पाया की जो शख़्स देवास में गिरफ़्तार किया गया था उसका भारतीय रिज़र्व बैंक से कोई नाता नहीं है और वायरल हो रहे दावे तथ्य विहीन और मनगढंत हैं

By - Saket Tiwari |
Published -  7 Oct 2019 5:26 PM IST
  • RBI-Dewas-Bonk Note Press

    भारतीय रिज़र्व बैंक को निशाना बनाते हुए सोशल मीडिया पर कुछ दावे वायरल हैं | एक मुख्य वीडियो के साथ जोड़कर ट्विटर और फ़ेसबुक पर कई वीडिओज़ यह दावा करते हैं की भारतीय रिज़र्व बैंक की मुद्रा प्रिंटिंग इकाई के डिप्टी डायरेक्टर जूतों में चोरी कर के नोट ले जाते केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सी.आई.एस.एफ) द्वारा पकड़े गए और उनके घर से दस हज़ार करोड़ (10,000 करोड़) रूपए बरामद हुए |

    इस दावे को वीडियो के साथ कैप्शन में लिखा है जो असल में अंग्रेजी में है | इसके अलावा एक दूसरा दावा जो पिछले साल से वायरल है उसमें इस घटना को कानपूर का बताया गया है | हालांकि दोनों दावे समान सूचनाएं देते हैं |

    दूसरे दावे में लिखा है: "कानपुर उत्तर प्रदेश (रिज़र्व बैंक ओफ इंडिया) भारतीय मुद्रा प्रिंटिंग प्रेस में डेपुटी कन्टृॏल ऑफिसर , प्रतिदिन अपने जूतों में छुपाकर नोटों की गड्डियों को चुराकर ले जाता था। CISF वालों ने पकड़ लिया और उसके घर से दस हजार करोड़ रुपए बरामद किया। (डिस्क्लेमर-वीडियो व्हाट्सएप पे आया)" (Sic)

    आपको बता दें की यह दावे फ़र्ज़ी हैं | गिरफ़्तार हुए शख़्स का भारतीय रिज़र्व बैंक से कोई नाता नहीं है और ना ही इस शख़्स ने 10 हज़ार करोड़ रूपए चुराए | शख़्स देवास नोट प्रेस का एक अधिकारी मनोहर वर्मा था जिसे जनवरी 2018 में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल ने गिरफ़्तार किया था और 90 लाख रूपए ज़ब्त किये थे | इसके चलते वायरल हुए फ़र्ज़ी दावों को ख़ारिज करते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक प्रेस रिलीज़ जाती की थी जिसमें कहा गया था की यह सूचनाएं तथ्यों पर आधारित नहीं हैं |

    आप ऐसे कुछ पोस्ट्स नीचे देख सकते हैं |



    FB viral post - 1
    FB viral post - 2
    फ़ेसबुक पर यह वीडियो और इसके कई अलग अलग कोण से वीडियो समान दावों के साथ वायरल हो रहे हैं

    फ़ैक्ट चेक

    बूम ने इस वीडियो को कीफ्रेम्स में तोड़कर रिवर्स इमेज सर्च किया और पाया की वीडियो 21 जनवरी 2018 से यूट्यूब पर उपलब्ध है | हमें यह भी मालुम हुआ की यह घटना देवास की थी | बूम ने देवास पुलिस से संपर्क कर इस घटना की पुष्टि की जिन्होंने बताया की घटना डेढ़ साल पुरानी है | हमनें इस घटना की अधिक जानकारी मांगी है, क्योंकि यह घटना पुरानी है जानकारी उपलब्ध होने पर लेख अपडेट किया जाएगा |

    हमनें कीवर्ड्स खोज की जिसमें मध्य प्रदेश के देवास जिले में मौजूद भारत प्रतिभूति मुद्रण तथा मुद्रा निमार्ण निगम लिमिटेड की एक यूनिट के बारे में लेख मिले | बिज़नेस स्टैण्डर्ड के एक लेख अनूसार सी.आई.एस.एफ ने मनोहर वर्मा को गिरफ़्तार किया जो देवास में नोट वेरिफिकेशन सेक्शन (एन.वी.एफ सेक्शन) के डिप्टी कण्ट्रोल अफसर थे | एक कार्यवाही के दौरान सी.आई.एस.एफ ने मनोहर के ऑफिस से करीब 26 लाख रूपए और घर से 64.50 की मुद्रा 200 एवं 500 के नोटों के रूप में बरामद की | यह मामला तब सामने आया जब फाॅर्स के जवानों ने मनोहर की तलाशी ली और जूते में भारतीय मुद्रा के नोट मिले | इस घटना में कूल 90 लाख रूपए ज़ब्त किए |





    भारतीय रिज़र्व बैंक का स्पष्टीकरण

    डेढ़ साल पहले इस घटना के बाद भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक प्रेस रिलीज़ जारी की थी और लिखा था की कुछ मीडिया संस्थानों ने एक न्यूज़ रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें लिखा है की एक आर.बी.आई का अधिकारी सी.आई.एस.एफ द्वारा छपी हुई मुद्रा चोरी करते भारतीय रिज़र्व बैंक की प्रिंटिंग इकाई देवास में गिरफ़्तार किया गया |

    यह स्पष्टीकरण इस बात का है की बैंक नोट प्रेस, देवास सिक्योरिटी प्रिंटिंग एंड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एसपीएमसीआईएल) की इकाई है जो भारतीय रिज़र्व बैंक के नियंत्रण में नहीं है | इसके अलावा भारतीय रिज़र्व बैंक का कोई भी अधिकारी बैंक नोट प्रेस देवास में पदस्थ नहीं है | इस प्रकार यह रिपोर्ट्स तथ्यों पर आधारित नहीं है |

    तथ्यों को न्यूज़ रिपोर्ट प्रकाशित करने के पूर्व जांचा नहीं गया इस बात का आर.बी.आई को ख़ेद है |

    RBI press release on Dewas bank note press case

    Tags

    CISFCurrencyCurrency note printingCurrency notesDewasFeaturedMadhya PradeshRBIReserve Bank of IndiaSPMCIL
    Read Full Article
    Claim :   भारतीय रिज़र्व बैंक के अफसर ने नोट प्रिंटिंग इकाई से चुराए 10,000 करोड़ रूपए
    Claimed By :  Social media
    Fact Check :  FALSE
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