क्या मोदी ने हर खाते में 15 लाख रुपये जमा करने का वादा किया था ?: फैक्ट चेक
प्रधानमंत्री ने इस विषय पर दोबारा गौर नहीं किया और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एक इंटरव्यू में इसे 'जुमला' कहा; विपक्ष ने दावे को हथियार बनाया है
इस बयान ने वर्ष 2013 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को परेशान किया है।
एक सामान्य भारतीय के लिए किसी भी अन्य चुनावी वादे की तुलना में हर खाते में 15 लाख रुपये जमा करने जैसे वादे का प्रत्याह्वान मान ज्यादा है।
जबकि प्रधानमंत्री ने इस विषय पर दोबारा गौर नहीं किया और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने एक इंटरव्यू में इसे 'जुमला' कहा, वहीं विपक्ष ने दावे को हथियार बना लिया है ।
इंडियन नेशनल कांग्रेस के ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट से किए गए इस पोस्ट का उदहारण ले लें |
क्या मोदी ने कभी ऐसा वादा किया था?
संक्षिप्त जवाब है, नहीं।
छत्तीसगढ़ के कांकेर में 7 नवंबर, 2013, को नरेंद्र मोदी की सार्वजनिक रैली में '15 लाख' का सबसे पहला उल्लेख मिलता है।
उस वक्त प्रधानमंत्री के रेस के प्रबल दावेदार मोदी अपने भाषण में भ्रष्टाचार और काले धन से लड़ने की बीजेपी की चुनावी पिच पर पर अड़े रहें ।
नरेन्द्र मोदी ने मंच से बोलते हुए कहा, “पूरी दुनिया कहती है कि भारत में सभी चोर-लुटेरे अपना पैसा विदेशों में बैंकों में जमा करते हैं। विदेशों के बैंकों में काला धन जमा है। कांकेर के मेरे भाईयों और बहनों, मुझे बताओ, यह चोरी का पैसा वापस आना चाहिए या नहीं? यह काला धन वापस आना चाहिए या नहीं? क्या हम इन बदमाशों द्वारा जमा किए गए हर पैसे को वापस लेना चाहिए या नहीं? क्या इस धन पर जनता का अधिकार नहीं है? क्या इस धन का उपयोग जनता के लाभ के लिए नहीं किया जाना चाहिए? ”
“अगर एक बार भी, विदेशों में बैंकों में इन चोर-लुटेरों द्वारा जमा किया गया धन, भले ही हम केवल वही वापस लाते हैं, तो हर गरीब भारतीय को 15 से 20 लाख रुपये तक मुफ्त मिलेगा। वहां इतना पैसा है।”
उनके भाषण में उक्त राशि विदेशों में जमा काले धन की मात्रा का संदर्भ है ना की 15 लाख रुपये हर खाते में जमा करवाने का चुनावी वादा है । यह काले धन पर अपनी बात रखने के लिए एक चुनावी रैली बयानबाज़ी है और यह बताने की कोशिश है कि सत्ता पर आने पर वह क्या करने का इरादा रखते हैं ।
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें इस राशि का अनुमान कहां से मिला था ।
बीजेपी की ऑफिशियल वेबसाइट पर 2014 के चुनावी घोषणा पत्र में भी 15-15 लाख रुपये प्रत्येक भारतीय के खाते में डलवाने के वादे का कोई उल्लेख नहीं है।
इस सिलसिले में एक आर टी आई भी दायर की गयी थी जिसके तहत ये जानने की कोशिश की गयी थी की प्रत्येक भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये कब जमा होंगे। इस पर पीएमओ के कार्यालय से जवाब मिला, जिसमें कहा गया था कि यह आरटीआई अधिनियम 2005 के तहत 'सूचना' के रूप में नहीं गिना गया है। यह जानकारी नवंबर 2016 में नोटबंदी की घोषणा के 18 दिन बाद मांगी गई थी। विस्तार से यहां पढ़ें।
भाजपा की बचाव नीति उलटी पड़ी
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने 2015 में एबीपी न्यूज़ के साथ एक इंटरव्यू के दौरान यह बताने की कोशिश की कि मोदी के कहने का क्या मतलब था।
हालांकि, शाह का स्पष्टीकरण इस तथ्य से ज्यादा प्रभावित हुआ कि उन्होंने इसे 'जुमला' कहा।
शाह ने कहा: “देखो, यह एक जुमला है। किसी के खाते में 15 लाख जमा नहीं किए जाएंगे। वे (विपक्ष) इसे जानते हैं, आप इसे जानते हैं और देश भी इसे जानता है। गरीब लोगों की बेहतरी के लिए काले धन को वापस लाने और उसका उपयोग करने पर विचार चल रहा है। आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए योजनाएं बनाई जाएंगी। किसी को भी कभी भी नकदी नहीं मिलेगी और वे सभी इसे जानते हैं। यह एक भाषण देने का एक तरीका है … एक रूपक। जो भी काला धन वापस आएगा, उसका इस्तेमाल गरीबों के लिए योजनाएं बनाने के लिए किया जाएगा और यही वह (मोदी) कहना चाहते थे।"
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री, रामदास अठावले ने भी दावा किया था कि लोगों को 15 लाख रुपये “धीरे-धीरे” मिलेंगे और एक बार में नहीं मिलेंगे। अठावले ने कहा कि सरकार के पास इतना पैसा नहीं है और उसने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से पूछा है, लेकिन उसने उपकृत नहीं किया। केंद्रीय मंत्री ने 18 दिसंबर, 2018 को महाराष्ट्र के सांगली में संवाददाताओं से ये कहा।
सिर्फ पार्टी के नेता ही नहीं बल्कि उनके समर्थक भी इस दावे को एक कहानी बनाने और भ्रम बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।
2017 में भाजपा और प्रधानमंत्री के मुखर समर्थक फ़ेक न्यूज वेबसाइट पोस्टकार्ड न्यूज ने अपने हेडलाइन में दावा किया कि पीएम मोदी ने प्रत्येक भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये जमा किए हैं।