फैक्ट चेक
क्या भाजपा ने कश्मीर लोकल बॉडी इलेक्शन में एक आतंकवादी को टिकट दिया है ?
हाल ही में वायरल हुए एक पोस्ट में भाजपा के जम्मू-कश्मीर के स्थानीय निकाय चुनाव के उम्मीदवार मोहम्मद फ़ारूक़ खान को आतंवादी बताया जा रहा है जबकि खान ने २०११ में हथियार डाल दिए थे और साढ़े सात साल की सजा भी काटी थी
दावा: भारतीय जनता पार्टी एक आतंकवादी को कश्मीर के स्थानीय निकाय चुनावों में खड़ा कर रही है रेटिंग: भ्रामक वायरल इन इंडिया नामक फेसबुक पेज ने अक्टूबर ३ को एक पोस्ट के ज़रिये ये दावा किया है की भारतीय जनता पार्टी ने कश्मीर में स्थानीय निकाय चुनावों में एक आतंकवादी को बतौर उम्मीदवार खड़ा किया है | यह पोस्ट, जिसमें कथित आतंकवादी की तस्वीर भी है, लगभग ९२३ बार शेयर हो चूका है | यही पोस्ट कई और सोशल मीडिया साइट्स पर भी शेयर किया जा रहे है | पोस्ट में जिस व्यक्ति की तस्वीर शेयर की गयी है वो मोहम्मद फ़ारूक़ खान उर्फ़ सफीउल्लाह खान हैं | खान टंकिपोरा के वार्ड नंबर ३३ से भाजपा के टिकट पर खड़े हो रहे हैं | जबकि पोस्ट में इन्हे आतंकवादी कह कर सम्बोद्धित किया गया है, हम आपको बताते चले की खान एक रिफॉर्म्ड-मिलिटेंट या सुधरे-हुए आतंकवादी हैं और साढ़े सात की सज़ा भी काट चुके हैं | कहानी का दूसरा पहलु अस्सी की दशक में जब घाटी में अलगाववाद अपने चरम पर था, खान कई और युवाओं के साथ लाइन ऑफ़ कण्ट्रोल की दूसरी ओर पाकिस्तान भाग निकले थे | यहीं पी.ओ.के और पाकिस्तान के आतंकी शिविरों में इन्होने हथियार चलाने में महारत हासिल की | शिविर से १९९० में कश्मीर लौट कर खान जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जे.के.एल.ऍफ़) में शामिल हो गए | और आज अट्ठाइस साल बाद ये भाजपा की टिकट पर स्थानीय निकाय चुनावों में खड़े हो रहे हैं | गौरतलब बात ये है की इस पोस्ट में कहीं भी खान को पूर्व-आतंकवादी कह कर सम्बोद्धित नहीं किया गया है और यही इस पोस्ट को भ्रामक बनता है | यहां पर ये भी उल्लेखनीय है की १९९० में कश्मीर लौटने के बाद खान सितम्बर ७, १९९१, को घाटी के मुन्न्वराबाद में पुलिस के हत्ते चढ़ गए | “मुझे जेल भेजा गया | कुल साढ़े सात की सज़ा का कुछ वक्त मैंने जम्मू के कोट बलवल जेल में काटाऔर कुछ तिहाड़ में," खान ने द वायर को दिए एक इंटरव्यू में कहा | तिहाड़ में ही खान की मुलाकात जैश-ऐ-मुहम्मद के संस्थापक मौलाना मसूद अज़हर तथा अन्य प्रमुख आतंकवादियों से हुई | फर्स्टपोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में खान ने कहा था : "जेल में मैने तकरीबन २०० किताबें पढ़ी | इनमें से ज़्यादातर इस्लाम से ताल्लुक रखती थी | इस अनुभूति ने मुझे बदल के रख दिया और वैश्विक राजनीति की ओर मेरा रुझान काफी बढ़ गया |" सज़ा पूरी करने के बाद मुख्यधारा से जुड़ने में खान को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा | द वायर से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा की ऑटो-रिक्शा चलाने से लेकर आइस-क्रीम बेचना और दिहाड़ी मज़दूरी तक, उन्होंने सब कुछ किया है | मीडिया से हुई बातचीत के दौरान कई दफा खान ने यह भी कहा की भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने के उनके फैसले से घाटी के लोगों में काफी नाराज़गी है | हालाँकि अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने द वायर को दिए इंटरव्यू में कहा था: "क़ुरान में लिखा है की अगर इस दुनिया में तुम मेरा काम नहीं करते हो तो मैं तुम्हारी जगह उन लोगो से बदल दूंगा जो मेरा काम करेंगे | मुझे लगता है की अल्लाह ने मुझे मौका दिया है कश्मीर के लोगो की सेवा करने का |" फ़ारूक़ खान (फ़ोटो: फर्स्टपोस्ट) मुख्यधारा से जुड़ने के बाद खान ने जम्मू एंड कश्मीर ह्यूमन वेलफेयर एसोसिएशन नामक एक गैर-सरकारी संस्था का संचालन भी किया | ये संस्था हथियार डाल के मुख्यधारा से जुड़े पूर्व-आतंकवादियों के लिए एक समान्नित ज़िन्दगी की मांग करता है | काबिल-ऐ-गौर है की संस्था की स्थापना करने की सलाह खान को जम्मू-कश्मीर के पूर्व इंस्पेक्टर जनरल एस.एम् सहाय ने दी थी |
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