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एक्सप्लेनर्स

दिल्ली स्थित श्रीवास्तव ग्रुप फ़र्ज़ी न्यूज़ वेबसाइटों के जाल का केंद्र है

श्रीवास्तव ग्रूप इंडियन इन्स्टिटूट ऑफ नॉन-अलाइन्ड स्टडीज का मालिक है । यह वही विशेषज्ञ समूह है जो हाल ही में 27 यूरोपीय सांसदों द्वारा कश्मीर की यात्रा से जुड़ा है

By - Archis Chowdhury |
Published -  15 Nov 2019 6:21 PM IST
  • Fake news website network

    यूरोपीय एनजीओ ईयू डिसिनफोलैब (EU Disinfolab) की एक जांच से पता चला है कि 65 से ज्यादा देशों में, 265 फ़र्ज़ी समाचार साइटों, संदिग्ध एनजीओ और विशेषज्ञ दलों का विशाल नेटवर्क, एक "भारतीय प्रभावी नेटवर्क" द्वारा प्रबंधित किया गया ।

    इस नेटवर्क ने यूरोपीय सांसदों (एमईपी) को ऐसी सामाग्री के साथ निशाना बनाया है जो साहित्यिक चोरी, सिंडीकेशन, प्रचार और संदिग्ध लेखों के माध्यम से भारतीय भूराजनीतिक हितों को बढ़ावा देता है ।

    आगे की जांच में पता चला है कि नेटवर्क का प्रबंधन दिल्ली स्थित श्रीवास्तव समूह द्वारा किया गया था, जो इंडियन इन्स्टिटूट ऑफ नॉन-अलाइन्ड स्टडीज़ भी चलाता है । इंडियन इन्टिटूट ऑफ नॉन-अलाइन्ड वही इकाई है जिसने कश्मीर में 27 एमईपी की हालिया यात्रा को प्रायोजित किया था ।

    ब्रुसेल्स से हुई शुरुआत

    अक्टूबर 2019 में, यूरोपीय संघ की लागत से बना समूह, EUvsDisnfo ने पाया कि ब्रुसेल्स-स्थित वेबसाइट, ईपी टुडे, ने एमईपी को लक्ष्य बनाने के लिए बड़ी संख्या में रूस टुडे और वॉयस ऑफ अमेरिका से लेख सिंडीकेट किया था ।



    उनके फ़ेसबुक पेज ( जो अब हटा दिया गया है ) को बारीकी से देखने पर EUvsDisinfo ने पाया कि पेज को भारत से प्रबंधित किया गया था ।

    ईयू डिसिनफोलैब के आगे की रिसर्च से पता चला कि ईपी टुडे का लिंक दिल्ली स्थित श्रीवास्तव समूह से है - जिसका ब्रुसेल्स पता वही था जो ईपी टुडे का था।

    श्रीवास्तव ग्रुप, विशेषज्ञ समूह इंडियन इन्स्टिटूट ऑफ नॉन-अलाइन्ड स्टडीज ( आईआईएनएस ) और नई दिल्ली टाइम्स का मालिक भी है । यह दिल्ली स्थित एक ऑनलाइन समाचार पत्र है जो काफी ज्यादा साहित्यिक चोरी या सिंडीकेट लेख पोस्ट करता है ।

    31 अक्टूबर, 2019 को द न्यू इंडियन एक्सप्रेस और द टेलीग्राफ ने बताया कि कश्मीर में एमईपी द्वारा हाल की यात्रा के निमंत्रण और स्पॉन्सर करने के पीछे आईआईएनएस का हाथ था ।





    “दोबारा शुरू हुए मीडिया के नेटवर्क”

    ईयू डिसिनफोलैब जांच में एक अन्य अस्पष्ट वेबसाइट, टाइम्स ऑफ़ जिनेवा सामने आई, जिसने ईपी टुडे की तरह ही लेख सिंडीकेट किए थे ।



    यह पाया गया कि टाइम्स ऑफ जिनेवा और ईपी टुडे, दोनों ही ऐसे सामाग्री पोस्ट कर रहे थे जिसका उद्देश्य पाकिस्तान पर धारणाओं को आकार देना और दक्षिण एशिया में भारत के भू-राजनीतिक हितों को बढ़ावा देना था ।

    सामग्री के आधार पर प्रभावी धारणा बनाने के लिए एक साथ काम करने वाले अस्पष्ट एनजीओ, विशेषज्ञ समूहों और ऑनलाइन "समाचार पत्र" के नेटवर्क का खुलासा करने के लिए उन्होंने आगे खुले स्रोत की ख़ुफ़िया जांच की एक श्रृंखला आयोजित की ।

    ईपी टुडे और श्रीवास्तव ग्रुप द्वारा शेयर किए गए सर्वर पर जानकारी के माध्यम से ईयू डिसिनफोलैब ने दावा किया कि ईपी टुडे और टाइम्स ऑफ जेनेवा जैसे ही “काम करने के ढंग को देखते हुए 65 से ज्यादा देशों में 265 से ज्यादा फ़र्ज़ी मीडिया आउटलेट के एक अतिरिक्त नेटवर्क" की खोज की है ।



    ईयू डिसिनफोलैब ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि आने वाले हफ्तों में अपनी जांच पर एक व्यापक रिपोर्ट पर काम कर रहे थे ।

    बूम उनकी जांच और निष्कर्षों को बेहतर ढंग से समझने के लिए ईयू डिसिनफोलैब के साथ कोर्डिनेट कर रहा है और आने वाले सप्ताह में इस मामले पर अपडेट के साथ वापसी की जाएगी ।

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