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ग्राउंड रिपोर्ट: पश्चिम यूपी में 'ड्रोन चोरों' की अफवाह से दहशत, निशाना बनते बेकसूर

पिछले एक महीने से पश्चिम यूपी के अमरोहा और आसपास के जिलों में ड्रोन से चोरों के रेकी करने की अफवाह से हड़कंप मचा है. लोग रातभर जागकर पहरेदारी कर रहे हैं और अनजान लोगों की चोर समझकर पिटाई कर रहे हैं.

By -  Arun Kumar Chahal & Shefali Srivastava |
30 July 2025 9:14 PM IST
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    Drone Thieves rumours in Amroha Western Uttar Pradesh

    अमरोहा, उत्तर प्रदेश: जुलाई महीने की एक उमस भरी रात करीब 9:30 बजे, अमरोहा के गांव फतेहपुर शुमाली में अपने घर के बाहर खड़े बलवंत सिंह आसमान में चमकती लाल और हरी लाइट को घूर रहे थे. 55 साल के ग्राम प्रधान उस वाकये को याद करते हुए बताते हैं, “वह कई बार गांव के चक्कर लगा रहा था, लोग डर के मारे टॉर्च और डंडे लेकर बाहर आ गए और कुछ तो छतों पर भी चढ़ गए.”

    सुबह तक गांव के वॉट्सऐप ग्रुप पर हलचल मच चुकी थी. ड्रोन देखने की एक साधारण सी घटना अब कुछ और ही रूप ले चुकी थी. गांव वालों को अब इस अफवाह पर यकीन हो चला था कि चोर चोरी से पहले घरों की रेकी करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं.

    पिछले कई हफ्तों से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गांवों में एक अजीब सा डर लोगों के बीच फैला हुआ है. रात में ड्रोन, हथियारबंद लुटेरे दिखने की घटनाओं से लेकर और वॉट्सऐप ग्रुप पर अलर्ट के अलावा तमाम तरह की अफवाहें और बिना जांचे-परखे वीडियो शेयर किए जा रहे हैं. कई बार यह डर और अफरा-तफरी हिंसा का रूप ले रही है और बेकसूर इसका शिकार बन रहे हैं.

    हालांकि पुलिस का कहना है कि अभी तक ड्रोन एक्टिविटी का कोई आपराधिक मामला सामने नहीं आया है जहां चोरी या किसी वारदात के लिए इसका इस्तेमाल किया गया हो. अमरोहा के पुलिस अधीक्षक अमित कुमार आनंद ने बूम को बताया, "पहला मामला करीब एक महीने पहले आया था जब तीन स्थानीय युवक रील बनाने के लिए ड्रोन से शूट कर रहे थे."

    तब से हमारे पास 250 से अधिक शिकायतें आ चुकी हैं लेकिन इनमें से कोई भी मामला चोरी से जुड़ा नहीं था.

    अमरोहा के सभी 13 थाना क्षेत्रों में पुलिस की तरफ से एडवाइजरी जारी की गई. साथ ही गांव के लोगों के साथ मीटिंग भी की गई. बावजूद इसके हड़कंप और लोगों के मन में डर बसा हुआ है. रात होते ही गांव के लोग अपने-अपने घरों और गलियों की निगरानी करने निकल पड़ते हैं. कोई अनजान दिखता है तो उसकी चोर समझकर पिटाई कर देते हैं. इस डर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम और एक्स पर मेसेज और वीडियो क्लिप के जरिए और बढ़ाया जा रहा है.



    3 जुलाई को रजबपुर के मोहम्मदपुर बाइपास के पास ड्रोन उड़ा रहे तीन युवक- मोहित, नदीम और अमान को संदिग्ध समझकर गांव वालों ने पिटाई कर दी और पुलिस के हवाले कर दिया. उनमें से दो स्टूडेंट थे जबकि एक वेडिंग फोटोग्राफर, तीनों हाइवे किनारे एक ढाबे में डिनर करने के बाद ड्रोन उड़ा रहे थे.

    पुलिस के मुताबिक, वो तीनों तेज स्पीड में बाइक चलाकर ड्रोन से शूटिंग कर रहे थे. इसके बाद गांववालों ने उन्हें पकड़कर पुलिस में शिकायत की. रजबपुर थाना पुलिस ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 170 (सीआरपीसी के सेक्शन 151 का अपडेटेड वर्जन) के तहत तीनों को हिरासत में लिया. बाद में कोर्ट से उन्हें जमानत मिली.

    इसके बाद जिले भर के अलग-अलग गांवों से हिंसा की घटनाएं सामने आने लगीं. गजरौला कोतवाली इलाके में मानसिक रूप से बीमार एक बुजुर्ग को भीड़ ने चोर होने के पिटाई कर दी. उनके कपड़े तक फाड़ दिए गए. बुजुर्ग के पास से 10 से भी ज्यादा एटीएम कार्ड मिले- जिनके ब्लॉक होने की पुष्टि की गई. बुजुर्ग की पहचान ओडिशा के राउरकेला निवासी सोनाथ सिंह के रूप में की जिन्हें पुलिस ने किसी तरह भीड़ के चंगुल से बचाया.

    इसी तरह बिजनौर से धर्मेंद्र और गजरौला के स्थानीय निवासी संजीव कुमार को चोर होने के शक में पीटा गया. पुलिस ने बाद में बताया कि दोनों शराबी थे लेकिन उनसे किसी तरह का खतरा नहीं था.

    हालांकि डर वास्तव में बना हुआ है. जोगीपुरा से 60 साल के किसान राजेंद्र सिंह कहते हैं, "हम थक चुके हैं. दिनभर खेतों में काम करो और रात में लाठी-डंडे के साथ अपने घर की रखवाली. कुछ लोगों तो बंदूक भी साथ में रखते हैं."

    यह डर और घबराहट सिर्फ जमीन पर नहीं बल्कि डिजिटल स्पेस में भी महसूस किया जा रहा है. ढाकिया और छीतरा के लोगों ने 'चोरों का आतंक' और Stay High alert जैसे वॉट्सऐप ग्रुप बनाए. शुरुआत में इन्हें रात में पट्रोलिंग के लिए बनाया गया था लेकिन अब ये अफवाहें फैलाने का जरिया बन गए हैं.

    एक मेसेज में चेतावनी दी गई, "सतर्क रहें सावधान! गांव में चोरों की एंट्री हो गई है. छीतरा में देखे गए हैं अभी." इसपर दूसरे यूजर ने तुरंत रिप्लाइ किया, "फर्जी खबर है ये."


    धनौरा से कॉन्ट्रैक्टर राहुल कृष्ण यादव भी ऐसे ही तमाम ग्रुप से जुड़े हुए हैं. उन्होंने बताया कि कैसे देश के दूसरे हिस्सों से जुड़े क्राइम वीडियो अमरोहा से जोड़कर गलत तरीके से वायरल हो रहे हैं.

    वह बताते हैं, "गुजरात में एक बुजुर्ग दंपति की हत्या का वीडियो वॉट्सऐप पर अमरोहा के दावे से वायरल हुआ जिस पर बाद में पुलिस ने स्पष्टीकरण जारी किया."

    बूम के अपने फैक्ट चेकिंग टिपलाइन पर भी इस तरह के कई वीडियो वेरिफाइ करने के रिक्वेस्ट से भेजे गए. एक सामूहिक हत्या का विचलित करने वाला वीडियो 16 जुलाई को एक्स पर शेयर किया गया जिसे अमरोहा से जोड़ा गया. इसके कैप्शन में लिखा गया, 'UP के अमरोहा जिले के एक गांव में घर मे चोरी करने के इरादे से घुसे चोरों को जब कुछ हाथ ना लगा तो चोरों ने पूरे परिवार की बेदर्दी से हत्या कर दी 💔 चोरों गुंडों के हौसले बहुत बुलंद हो गए हैं .'


    यह भी पढ़ें -पाकिस्तान में सामूहिक हत्या का वीडियो यूपी के अलग-अलग जिलों के दावे से वायरल

    उत्तर प्रदेश पुलिस ने दावे का खंडन करते हुए बताया कि यह पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के मुजफ्फरगढ़ जिले का है.

    एसपी अमित कुमार आनंद ने बूम को बताया कि पहली घटना के बाद से पुलिस के पास हर रोज इस तरह की कॉल का अंबार लग गया. उन्होंने बताया, "शुरुआत में एक दिन में 70 से अधिक कॉल आई थीं, हालांकि इनमें से किसी का भी आपराधिक घटना से कोई लिंक सामने नहीं आया."

    सोशल मीडिया पर #Amroha और #Amrohadrone के हैशटैग के साथ 100 से भी अधिक वीडियो मौजूद हैं. इनमें से कुछ वीडियो पर 2 से 5 मिलियन तक व्यू हैं. इसी तरह के एक वीडियो में 3 मिलियन तक व्यू हैं जिसमें कुछ लोग लाठी- डंडों से लैस होकर खेत में चोर ढूंढते नजर आ रहे हैं. कैप्शन में इसे डिडौली इलाके में रात ढाई बजे का बताया गया.

    इसी तरह एक और वीडियो में दो लाख 41हजार व्यू हैं जिसमें यूजर पूछता नजर आ रहा है कि क्या ये ड्रोन है या कुछ और. इस इंस्टाग्राम यूजर ने अमरोहा में रात की पहरेदारी, चोर और ड्रोन दिखने के दावे से लगातार कई वीडियो शेयर किए.

    इस चिंताजनक स्थिति को देखते हुए पुलिस ने 13 थाना क्षेत्र के निवासियों के साथ कई बैठकें कीं. अडवाइजरी जारी की गई और लोगों से बिना वेरिफाइ किए मेसेज को फॉरवर्ड न करने की अपील की गई. इसके अलावा पुलिस की ओर से गांव के वॉट्सऐप ग्रुप में जुड़कर निगरानी और रियलटाइम में जवाब दिया जा रहा है. पुलिस की ओर से एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया और ड्रोन मालिकों को बुलाकर उन्हें ब्रीफ किया गया.

    पुलिस की ओर से इन कोशिशों के बावजूद अब तक 250 से भी ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं. एसपी के मुताबिक, अधिकतर मामले शरारती तत्वों के जानबूझकर अफवाह को बल देने के लिए ड्रोन उड़ाने से जुड़े थे. कुछ मामलों में खिलौने वाले हेलिकॉप्टर या फिर हवाईजहाज की रोशनी को ड्रोन समझ लिया गया. कुछ मामलों में तो गांववालों ने बिना कुछ देखे ही डर की वजह से शोर मचा दिया.

    ऐसे मामले भी सामने आए जहां कथित ड्रोन की एक ही तस्वीर को अलग-अलग गांवों के कई लोगों ने एक साथ फॉरवर्ड किया और हर कोई दावा कर रहा था कि वह तस्वीर उनके इलाके की है.

    एसपी आनंद ने बताया," यह एक पैटर्न की तरह है. एक ही तस्वीर और वीडियो को अलग-अलग कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है. लोगों के बीच डर वास्तव में है लेकिन पुलिस को अफवाहों के समर्थन में कोई तथ्य नहीं मिले. "

    ढाकिया गांव निवासी 60 साल के ढाबा मालिक अशोक सिंह चाहल कहते हैं कि इस डर के चलते उनकी दिनचर्या में काफी बदलाव आ गया.

    वह कहते हैं, "पिछले एक महीने से, रात में कोई भी सोता नहीं है. मैं उस दिन ढाबा बंद करके घर वापस आ रहा था जब मैंने गांव के ऊपर ड्रोन उड़ता हुआ देखा. कुछ देर बाद हमने गोलियों की आवाज सुनी. चोरों के डर से आस-पास के लोगों ने बंदूक चलाई थी. "

    बच्चों पर भी इसका असर हो रहा है. राजेंद्र सिंह कहते हैं, "मेरी चार साल की पोती डर की वजह से अब जिद करती है कि रात को वह मेरे साथ सोएगी. वह कहती है कि वह पहरेदारी में मेरी मदद करेगी. "

    यहां तक कि जो लोग ड्रोन की थ्योरी में पूरी तरह से भरोसा नहीं करते, वो भी डर और दबाव महसूस कर रहे हैं.

    छीतरा के किसान यूनियन संघ के सदस्य गुरविंदर सिंह (32) कहते हैं, "मुझे नहीं लगता कि इससे कोई खतरा है, शायद कोई जानबूझकर हमें डराने के लिए ऐसा कर रहा है. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि लोगों में डर नहीं है. "

    अमरोहा से वायरल हो रहे ड्रोन वीडियो को हमने ड्रोन एक्सपर्ट और रोबोटिक्स रिसर्च फर्म Roboz Dotin Tech के सीईओ मिलिंद राज को वेरिफाइ करने के लिए भेजा. उन्होंने दोनों वीडियो में ड्रोन दिखाई देने के दावे का खंडन किया.

    पहले वीडियो के बारे में मिलिंद ने बताया, "अगर एलईडी फ्लैशिंग पैटर्न को ध्यान से देखें तो यह ड्रोन की तरह नहीं लगता. इस तरह का लाइट पैटर्न अक्सर एयरक्राफ्ट में दिखाई देता है. लोग अक्सर एयरक्राफ्ट की लाइट को ड्रोन समझ लेते हैं."

    दूसरे वीडियो के लिए मिलिंद समझाते हैं, "अगर आप ध्यान से देखें तो ड्रोन और एयरक्राफ्ट के बीच फर्क साफ समझ आएगा. फ्लाइट का पैटर्न अलग है. ड्रोन की लाइट इस तरह ब्लिंक नहीं होती. इस तरह की लाइट को NLA (Navigation lights in Aircraft) बोलते हैं जो विमान में इस्तेमाल होती है."




    यह दहशत अब पास के जिलों- मुरादाबाद, संभल, हापुड़ और बिजनौर- तक फैल चुकी है, जहां ड्रोन दिखने और डकैती की अफवाहों की खबरें सामने आ रही हैं. संभल जिले के सिंहपुर सानी गांव में लोगों ने आसमान में ड्रोन देखने के बाद पूरी रात जागकर बिताई. बाद में पुलिस ने पुष्टि की कि वे केवल टॉय एयरक्राफ्ट थे. संभल के एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने अफवाह फैलाने वालों पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी.

    हापुड़ के आयदनगर और हाफिजनगर जैसे गांवों में चार से पांच ड्रोन देखे जाने की रिपोर्ट सामने आई. एएसपी विनीत भटनागर ने पुष्टि की कि जांच के लिए दो विशेष टीमें बनाई गई हैं और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की.

    वहीं अमरोहा में, पुलिस की कोशिशों और सार्वजनिक चेतावनी के बावजूद भी डर बना हुआ है और अनजान इसका शिकार बन रहे हैं. बीते 25 जुलाई की रात, अमरोहा के पतई खालसा गांव में छह युवकों- मुशाहिद, अंकित, तहजीबुल, आसिफ और दो अन्य को ग्रामीणों ने बेरहमी से पीटा. ये सभी पड़ोसी जिले संभल के मलकपुर नवादा गांव के रहने वाले थे और हरियाणा के पानीपत में एक रुई फैक्ट्री में मजदूरी करते थे.

    वे सभी शुक्रवार रात अपने घर लौट रहे थे और गूगल मैप की मदद से रास्ता खोज रहे थे. उन्होंने पतई खालसा गांव में ग्रामीणों से रास्ता पूछने के लिए गाड़ी रोकी, इतने में लोगों ने चोर समझ लाठी- डंडों से पिटाई कर दी. उनमें से दो को आईसीयू में भर्ती कराया गया. घायल अंकित के पिता रमेश ने फोन पर बताया कि उनका बेटा हरियाली तीज के मौके पर वह अपने घर लौट रहा था.

    अंकित के पिता कहते हैं, "उसकी क्या गलती थी वो तो सिर्फ रास्ता ही पूछ रहा था. अब वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है."


    सभी घायलों का अमरोहा के जीवन 24 अस्पताल में इलाज जारी है.

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