Boom Live
  • फैक्ट चेक
  • एक्सप्लेनर्स
  • फास्ट चेक
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • बिहार चुनाव 2025
  • वेब स्टोरीज़
  • राजनीति
  • वीडियो
  • Home-icon
    Home
  • Authors-icon
    Authors
  • Careers-icon
    Careers
  • फैक्ट चेक-icon
    फैक्ट चेक
  • एक्सप्लेनर्स-icon
    एक्सप्लेनर्स
  • फास्ट चेक-icon
    फास्ट चेक
  • अंतर्राष्ट्रीय-icon
    अंतर्राष्ट्रीय
  • बिहार चुनाव 2025-icon
    बिहार चुनाव 2025
  • वेब स्टोरीज़-icon
    वेब स्टोरीज़
  • राजनीति-icon
    राजनीति
  • वीडियो-icon
    वीडियो
  • Home
  • रोज़मर्रा
  • 'समय से मुठभेड़' करने वाले शायर अदम...
रोज़मर्रा

'समय से मुठभेड़' करने वाले शायर अदम गोंडवी का आज जन्मदिन है

आज़ादी के बाद हिंदुस्तान की राजनीति के सच को गरीब और मज़दूर के नज़रिये से कविता में लिखने वाले कवि अदम गोंडवी का आज 74वाँ जन्मदिन है

By - Devesh Mishra |
Published -  22 Oct 2021 7:42 PM IST
  • समय से मुठभेड़ करने वाले शायर अदम गोंडवी का आज जन्मदिन है

    हिंदी भाषा में बहुत कम ऐसे कवि या शायर हुए जिनका लेखन सिस्टम और समाज की बुराइयों को सीधा-सीधा चुनौती देता हो.अदम गोंडवी एक ऐसे ही शायर हैं जो अपने समय की क्रूर सच्चाई को बेबाक़ लिखते थे.

    अदम गोंडवी का जन्म 22 अक्टूबर 1947 को उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के अट्टा, परसरपुर गाँव में हुआ था. एक गरीब किसान परिवार में जन्मे अदम गोंडवी ने हिंदी में ऐसी कवितायें लिखीं जो हाशिए की जातियों, दलितों, गरीब लोगों की दुर्दशा को उजागर करती हैं.

    अदम गोंडवी का असली नाम रामनाथ सिंह था लेकिन लोग उन्हें हमेशा साहित्यिक जगत और सामाजिक जीवन में हमेशा अदम गोंडवी के नाम से ही जानते रहे. उनकी कई रचनाएं काफ़ी लोकप्रिय हुईं और उनकी प्रमुख कृतियों में धरती की सतह पर, समय से मुठभेड़ आदि कविता संग्रह शामिल है. अदम गोंडवी की रचनाओं में राजनीति और व्यवस्था पर किए गए कटाक्ष काफ़ी तीखे हैं. उनकी शायरी में जनता की गुर्राहट और आक्रामक मुद्रा का सौंदर्य नजर आता है. साल 1998 में उन्हें मध्य प्रदेश सरकार ने दुष्यंत पुरस्कार से सम्मानित किया था.

    आइये उनकी कुछ चुनिंदा रचनाओं पर नज़र डालते हैं.

    (1) आइए महसूस करिए ज़िन्दगी के ताप को

    मैं चमारों की गली तक ले चलूँगा आपको


    (2) जिस्म क्या है रूह तक सब कुछ ख़ुलासा देखिये

    आप भी इस भीड़ में घुस कर तमाशा देखिये


    (3) वेद में जिनका हवाला हाशिये पर भी नहीं

    वे अभागे आस्‍था विश्‍वास लेकर क्‍या करें


    (4) हिन्दू या मुस्लिम के अहसासात को मत छेड़िये

    अपनी कुरसी के लिए जज़्बात को मत छेड़िये


    (5) तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है

    मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है




    Tags

    adam gondvihindi poetryhindi literaturebirthdayadam gondvi poems
    Read Full Article
    Next Story
    Our website is made possible by displaying online advertisements to our visitors.
    Please consider supporting us by disabling your ad blocker. Please reload after ad blocker is disabled.
    X
    Or, Subscribe to receive latest news via email
    Subscribed Successfully...
    Copy HTMLHTML is copied!
    There's no data to copy!