Boom Live
  • फैक्ट चेक
  • एक्सप्लेनर्स
  • फास्ट चेक
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • बिहार चुनाव 2025
  • वेब स्टोरीज़
  • राजनीति
  • वीडियो
  • Home-icon
    Home
  • Authors-icon
    Authors
  • Careers-icon
    Careers
  • फैक्ट चेक-icon
    फैक्ट चेक
  • एक्सप्लेनर्स-icon
    एक्सप्लेनर्स
  • फास्ट चेक-icon
    फास्ट चेक
  • अंतर्राष्ट्रीय-icon
    अंतर्राष्ट्रीय
  • बिहार चुनाव 2025-icon
    बिहार चुनाव 2025
  • वेब स्टोरीज़-icon
    वेब स्टोरीज़
  • राजनीति-icon
    राजनीति
  • वीडियो-icon
    वीडियो
  • Home
  • रोज़मर्रा
  • भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है:...
रोज़मर्रा

भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है: नीति आयोग चीफ़ अमिताभ कांत

कांत ने मंगलवार को कहा कि भारत में सुधारों को अंजाम देना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह "कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र" है |

By - Dilip Unnikrishnan |
Published -  10 Dec 2020 10:17 AM IST
  • भारत में कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है: नीति आयोग चीफ़ अमिताभ कांत

    नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मंगलवार को कहा कि भारत में सुधारों को अंजाम देना बहुत मुश्किल है क्योंकि यह "कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र" है (too much of a democracy) और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने "बेहद मुश्किल" सुधारों को करने का साहस दिखाया है ।

    कांत स्वराज्य पत्रिका द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में बोल रहे थे। उनकी टिप्पणी के कारण सोशल मीडिया पर कई लोगों ने उनकी गहरी आलोचना की है | कांत ने ट्विटर पर दावा किया कि उन्होंने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है और वह "विनिर्माण क्षेत्र में ग्लोबल चैंपियन बनाने" की आवश्यकता के बारे में बोल रहे हैं। हालांकि, कांत ने वेबिनार के दौरान दो बार 'ऑन रिकॉर्ड' ये बयान दिया है।

    This is definitely not what I said. I was speaking about MEIS scheme & resources being spread thin & need for creating global champions in manufacturing sector. https://t.co/6eugmtoinB

    — Amitabh Kant (@amitabhk87) December 8, 2020

    समय बिंदु 25 मिनट पर, कांत से पूछा गया है कि कुछ लोग वैश्विक विनिर्माण आधार बनने के भारत के प्रयासों का विरोध क्यों कर रहे हैं।

    जवाब में उन्होंने कहा, "भारत को सभी यंत्रों में ऊर्जा भरना होगा । भारत केवल सेवाओं के बल पर आगे नहीं बढ़ सकता। कम से कम आप नौकरियां पैदा नहीं कर सकते। भारत केवल विनिर्माण क्षेत्र के कारण विकसित नहीं हो सकता है। भारत को कृषि, विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में ऊर्जा भरना चाहिए... इन तीनों क्षेत्रो में..एक निरंतर तरीके से अगले तीन दशकों तक साल दर साल... ताकि एक बेहद नौजवान जनसँख्या को गरीबी रेखा से ऊपर लाया जा सके । यदि आपको लगता है कि आप इसे सेवाओं के बल पर कर सकते हैं, तो जो भी ऐसा सोचता है उसे ग़लतफहमी है। आपको विनिर्माण का समर्थन करने की आवश्यकता है। भारत में, हम कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र है इसलिए हर किसी का समर्थन करते रहते हैं |"

    यह पूछे जाने पर कि क्या भारत एक विनिर्माण राष्ट्र के रूप में चीन से आगे निकल सकता है, उन्होंने 32.25 समय बिंदु पर कहा, "भारतीय संदर्भ में कठोर सुधार बहुत कठिन हैं। हम कुछ ज़्यादा ही लोकतंत्र हैं। पहली बार सरकार ने सभी क्षेत्रों में बेहद मुश्किल सुधारों को करने का साहस और दृढ़ संकल्प किया है। खनन, कोयला, श्रम, कृषि ... ये बहुत कठोर सुधार हैं |"

    उन्होंने कठोर सुधारों को पारित करने के लिए मोदी सरकार के दृढ़ संकल्प की प्रशंसा की और कहा कि भारत को एक विनिर्माण राष्ट्र बनने के लिए और सुधारों की आवश्यकता है।

    "आपको इन सुधारों को पूरा करने के लिए प्रचुर मात्रा में राजनैतिक दृढ़ संकल्प और प्रशासनिक इच्छाशक्ति की आवश्यकता थी जो कि किए गए हैं और ऐसे कई और सुधारों की ज़रूरत है | कम से कम इस सरकार ने सुधारों के लिए अपनी राजनैतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है और हमें एक प्रमुख विनिर्माण राष्ट्र बनने के लिए उन्हें पूरा होते हुए देखने की जरूरत है," कांत ने कहा |

    वेबिनार नीचे देखें |


    Tags

    NITI Aayog CEOAmitabh KantNITI AayogIndiaReformsNarendra ModiBJPToo Much DemocracyTooMuchDemocracyIndia GDPIndia employment growth
    Read Full Article
    Next Story
    Our website is made possible by displaying online advertisements to our visitors.
    Please consider supporting us by disabling your ad blocker. Please reload after ad blocker is disabled.
    X
    Or, Subscribe to receive latest news via email
    Subscribed Successfully...
    Copy HTMLHTML is copied!
    There's no data to copy!