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कोरोना संकट: कैसे काम करेगी डी.आर.डी.ओ की दवा 2-DG

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि आदेशानुसार ड्रग को मॉडरेट से गंभीर कोविड-19 संक्रमित मरीज़ों के इलाज में 'सहायक थेरेपी' के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

By - Saket Tiwari |
Published -  10 May 2021 3:23 PM IST
  • कोरोना संकट: कैसे काम करेगी डी.आर.डी.ओ की दवा 2-DG

    डिफ़ेंस रिसर्च एंड डेवेलपमेंट आर्गेनाईजेशन (DRDO) और Dr Reddy's Laboratories, हैदराबाद, ने मिलकर एक एन्टी-कोविड-19 ड्रग 2-डिओक्सि-डी-ग्लूकोस (2-deoxy-D-glucose) तैयार किया है. इस ड्रग का नाम 2-DG दिया गया है.

    शनिवार को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ़ इंडिया (DCGI) ने इस ड्रग के आपातकाल इस्तेमाल को मान्यता प्रदान की है.

    रक्षा मंत्रालय (defence ministry) ने एक प्रेस रिलीस जारी करते हुए कहा कि आदेशानुसार ड्रग को मॉडरेट (moderate) से गंभीर (severe) कोविड-19 संक्रमित मरीज़ों के इलाज में सहायक थेरेपी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

    An anti-COVID-19 therapeutic application of the drug 2-deoxy-D-glucose (2-DG) has been developed by INMAS, a lab of DRDO, in collaboration with Dr Reddy's Laboratories, Hyderabad. The drug will help in faster recovery of Covid-19 patients. https://t.co/HBKdAnZCCP pic.twitter.com/8D6TDdcoI7

    — DRDO (@DRDO_India) May 8, 2021

    इस ड्रग के क्लीनिकल ट्रायल्स में पता चला है कि यह मॉलिक्यूल मरीज़ों की जल्द रिकवरी में मदद करने के साथ साथ सप्लिमेंट ऑक्सीजन पर निर्भरता कम करते हैं.

    क्या है खास?

    • यह ड्रग सैशे (sachets) में पॉवडर रूप में आता है जिसे पानी में घोलकर पिया जा सकेगा.
    • इस दवाई की खास बात यह है कि यह वायरस से इन्फेक्टेड कोशिकाओं पर जम जाता है और वायरस को बढ़ने या मल्टीप्लाई होने से रोकता है.
    • केवल इन्फेक्टेड कोशिकाओं को निशाना बनाना इस ड्रग को यूनिक या अद्वितीय बनाता है.
    • इस ड्रग के फ़ेज़ थ्री ट्रायल दिसम्बर 2020 से मार्च 2021 के बीच दिल्ली, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, कर्नाटक जैसे कई राज्यों के कुल 27 कोविड-19 अस्पतालों में हुए.

    कब हुआ था ट्रायल शुरू?

    महामारी की पहली लहर के दौरान अप्रैल 2020 में Institute of Nuclear Medicine and Allied Sciences (INMAS)-DRDO के वैज्ञानिकों ने Centre for Cellular and Molecular Biology (CCMB), हैदराबाद, के साथ शोध किया था और पाया कि यह मॉलिक्यूल SARS-CoV-2 के ख़िलाफ़ काम करता है.

    मई 2020 में इस ड्रग के दूसरे ट्रायल की परमिशन मिली और नवंबर 2020 में तीसरा ट्रायल हुआ.

    दूसरा ट्रायल 110 मरीज़ों पर हुआ और तीसरा ट्रायल 220 मरीज़ों पर किया गया था.

    कोशिकाओं पर ऐसे काम करती है दवाई. क्रेडिट: ट्विटर @DRDO_India


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