ताऊते चक्रवात: क्यों बढ़ रहा है अरब सागर में चक्रवातों का ख़तरा?
पिछली शताब्दी में अरब सागर का सतही तापमान तेजी से बढ़ा है. इससे सागर में चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता भी बढ़ी हैं. ताऊते के बाद आने वाले चक्रवात का नाम क्या होगा और किस देश ने दिया होगा?
अरब सागर (Arabian Sea) में जन्मा "अत्यंत भीषण चक्रवाती तूफ़ान" श्रेणी का ताऊते (Cyclone Tauktae) कल रात गुजरात (Gujarat) तट से टकराया और अब कमज़ोर हो कर "चक्रवाती तूफ़ान" श्रेणी का बन गया है. भारत के मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की एक बजे की अपडेट के मुताबिक ताऊते फ़िलहाल गुजरात से गुज़र रहा है और उत्तर-उत्तरपूर्वी दिशा में चलते हुए अगले कुछ घंटों में उसके कमज़ोर पड़ कर ख़तम होने की संभावना है.
इस लिंक पर आप ताऊते चक्रवात को ट्रैक कर सकते हैं (Cyclone Tauktae Live Tracking)
चक्रवात एक विशाल इंजन की तरह होता है जो ईंधन के रूप में गर्म और नम हवा का उपयोग करता है. इसलिए वो भूमध्य रेखा (equator) के पास समुद्र के गर्म पानी के ऊपर ही बनता है. समुद्र की गर्मी और सतह से वाष्पित (evaporate) हो रहे पानी के कारण चक्रवात बढ़ता रहता है.
2021 लगातार तीसरा साल है जब वर्षा ऋतु से पहले (अप्रैल-जून के महीनों में) अरब सागर में चक्रवात बना है, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ ट्रॉपिकल मीटरोलॉजी के जलवायु वैज्ञानिक डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कॉल ने एक लेख में कहा है. और ये लगातार तीसरा साल है जब एक चक्रवात भारत के पश्चिमी तट के इतने करीब आया है. जून 2020 में निसर्ग चक्रवात (Cyclone Nisarg) महाराष्ट्र के तट से टकराया था और जून 2019 में वायु चक्रवात (Cyclone Vayu) महाराष्ट्र के तट के पास से गुज़र कर गुजरात की ओर चला गया था.
डॉ. रॉक्सी मैथ्यूकॉल लिखते हैं कि भूमध्य रेखा (equator) के पास बनने वाले चक्रवात गर्म पानी से अपनी ऊर्जा खींचते हैं. पिछली शताब्दी के दौरान अरब सागर की सतह के तापमान में तेजी से वृद्धि हुई है. पिछले 40 सालों की तुलना में पिछले कुछ दशकों से अरब सागर के तापमान में 1.2–1.4°C की वृद्धि हुई है. इससे अरब सागर में चक्रवातों की आवृत्ति और तीव्रता दोनों बढ़ी हैं.
गर्म समुद्र के कारण हाल में बनने वाले ओखी (Ockhi), फ़ानी (Fani) और अम्फान (Amphan) जैसे चक्रवात भी केवल 24 घंटों के भीतर कमजोर से "अत्यंत भीषण" चक्रवात में परिवर्तित हुए थे. तीव्रता की ऐसी तेज़ गति हमें ज़मीन पर तत्काल उपाय और बचाव कार्य करने के लिए कम समय देती है, डॉ. रॉक्सी मैथ्यू कॉल समझाते हैं.
आधुनिक चक्रवात मॉडल इस तेज़ तीव्रता को पहचानने में असमर्थ हैं क्योंकि वे समुद्र की गतिकी (ocean dynamics) को सटीक रूप से नहीं नापते हैं.
जलवायु अनुमान संकेत कहते हैं कि बढ़ते कार्बन उत्सर्जन (carbon emissions) के कारण अरब सागर गर्म होता रहेगा जिसके कारण भविष्य में और अधिक तीव्र चक्रवात होंगे. पश्चिमी तट पर ऐसे बढ़ते खतरों के लिए हमें तैयार रहना ज़रूरी है.
17 मई, सोमवार को करीब एक बजे ताऊते मुंबई के तट से 145 किलोमीटर दूर था और उत्तर-उत्तरपश्चिमी दिशा में गुजरात की ओर बढ़ रहा था. IMD के अनुमान के अनुसार ताऊते रात 8-11 बजे के बीच गुजरात के तट से टकराया. ये 13 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल रहा था. हवा की रफ़्तार 70-80 किलोमीटर प्रति घंटे की थी और गुजरात तट पहुँचने तक इसकी गति बढ़कर 185 किलोमीटर प्रति घंटे की हो गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक, गुजरात में 7 (यहां पढ़ें), महाराष्ट्र में 12 और कर्नाटक में 8 लोगों की मृत्यु हुई हैं.
मुंबई (Mumbai) में सोमवार सुबह से बारिश शुरू थी. शहर में उड़ानें सुबह 11 बजे से बंद कर दी गई थी और रात 10 बजे के बाद शुरू हुई. भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण लोकल ट्रेन सेवाएं भी बाधित कर दी गई थी.
इससे पहले, तूफ़ान केरला (Kerala), कर्नाटका (Karnataka) और गोवा (Goa) के तटीय क्षेत्रों में भारी बारिश, तेज हवाएं और उच्च ज्वार की लहरें लाया था. National Disaster Response Force (NDRF) की 50 से अधिक टीमें केरला, कर्नाटका, तमिलनाडु, गुजरात और महाराष्ट्र में ड्यूटी पर हैं.
रिपोर्ट्स के अनुसार, गुजरात प्रशासन ने 17 जिलों के तटीय क्षेत्रों में रहने वाले एक लाख से अधिक लोगों को रविवार देर रात तक सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया था और सोमवार सुबह ये काम फिर से शुरू हो गया था. कर्णाटक के सात ज़िले (98 गाँव और 20 तालुक) चक्रवात से प्रभावित हुए थे. गोवा के कई इलाकों में बिजली ठप हो गई थी. केरला के 9 ज़िलों में चक्रवात का प्रभाव हुआ था.
चक्रवातों के नाम कौन देता है? (Who gives names to cyclones?)
चक्रवात एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं; इसलिए एक समय में एक से अधिक चक्रवात हो सकते हैं. ऐसी उलझनों को सुलझाने के लिए मौसम का पूर्वानुमान करने वाले लोग चक्रवात को नाम देते हैं.
ताऊते चक्रवात का नाम म्यांमार के मौसम विज्ञानियों ने रखा है. म्यांमार देश की बर्मी भाषा में 'ताऊते' एक विशेष प्रकार की छिपकली को कहते हैं.
दुनिया भर में छह क्षेत्रीय विशेष मौसम विज्ञान केंद्र (RSMCs) हैं और पाँच क्षेत्रीय ट्रॉपिकल चक्रवात चेतावनी केंद्र (TCWCs) हैं, जो चक्रवातों की निगरानी, सलाह जारी करने और उनके नाम रखने के लिए हैं. IMD का नई दिल्ली स्थित RSMC केंद्र उनमें से एक है जो उत्तर हिंद महासागर बेसिन में इन 13 देशों को सलाह प्रदान करता है: बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन.
इसलिए नई दिल्ली वाला RSMC इन सभी देशों के सुझाए गए नामों के आधार पर बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) और अरब सागर में बने चक्रवातों के नामकरण के लिए ज़िम्मेदार है. देशों द्वारा सुझाये गए नाम राजनीति और सांस्कृति से जुड़े नहीं होने चाहिए, अशिष्ट और क्रूर नहीं होने चाहिए और छोटे, उच्चारण में आसान होने चाहिए. चक्रवात के नाम अंग्रेज़ी के आठ अक्षरों से अधिक लंबा नहीं होना चाहिए.
सभी 13 देश 13 नामों का सुझाव देते हैं. इनमें से एक के बाद एक नाम लिए जाते है. भारत द्वारा दिए गए 13 नाम हैं - गति, तेज, मुरासु, आग, व्योम, झार, प्रोबाहो, नीर, प्रभंजन, घुरनी, अंबुद, जलधि और वेग.
2020 में आए निसर्ग चक्रवात का नाम बांग्लादेश द्वारा सुझाया गया था और बंगाल की खाड़ी में आए निवार चक्रवात का नाम ईरान द्वारा सुझाया गया था.
ताऊते के बाद आने वाले चक्रवात का नाम 'यास' (Yaas) होगा जो ओमान द्वारा दिया गया है.