कोविड-19 टीकाकरण: कैसा रहा देश में पहला दिन?
देश में कूल 1,65,714 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं अन्य स्वास्थकर्मियों को टीका लगाया गया.
आज भारत में कोरोनावायरस महामारी के ख़िलाफ़ टीकाकरण का पहला दिन था. देश में कूल 1, 65,714 आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं अन्य स्वास्थकर्मियों को टीका लगाया गया. हालांकि कुछ जगहों पर टीका लगने के बार हल्के विपरीत प्रभाव देखे गए परन्तु अधिकतर जगहों पर पहला दिन सामान्य था.
हमारे रिपोर्टर मोहम्मद सलमान और साकेत तिवारी, क्रमशः दिल्ली और भोपाल से टीकाकरण अभियान पर अपनी रिपोर्ट देते हैं.
दिल्ली में टीकाकरण का पहला दिन
दिल्ली में करीब 81 अस्पतालों में वैक्सीनेशन ड्राइव सेंटर बनाये गए थे, जिसमें 75 अस्पताल दिल्ली सरकार और प्राइवेट अस्पताल हैं जबकि 6 केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले अस्पतालों में वैक्सीनेशन सेंटर बनाये गए थे.
मैं सुबह करीब 8 बजे राम मनोहर लोहिया अस्पताल पहुंचा, जहां नोडल ऑफिसर नीलिमा राय की देखरेख में वैक्सीनेशन की तैयारियां चल रही थीं. इस बीच राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिकल सुपरीटेंडेंट डॉ राना ए.के सिंह मीडिया के सामने आये और उन्होंने वैक्सीनेशन के बारे में बातें रखीं.
मुझसे बात करते हुए उन्होंने इस 'वैक्सीनेशन ड्राइव' को कोरोना के अंत की शुरुआत बताया. आरएमएल अस्पताल में पहली वैक्सीन पीएम मोदी के संबोधन के बाद करीब 11 बजे के आपस लगाई गयी. सेंटर में वैक्सीनेशन के लिए अलग-अलग कंपाउंड बनाये गए थे. इसके अलावा वैक्सीन के पहले लोगों को बैठने के लिए वेटिंग रूम, फिर वैक्सीनेशन रूम और उसके बाद ऑब्ज़र्विंग रूम बनाया गया था, जहां वैक्सीन लगने के बाद उनका आधे घंटे तक निरीक्षण किया जा रहा था.
इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोएल सेंटर आये और स्वास्थ्य कर्मियों को फूल देकर सम्मानित किया. सवास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे भी अस्पताल आये और चल रहे वैक्सीनेशन ड्राइव का जायज़ा लिया.
वैक्सीनेशन सेंटर में बड़ी तादाद में पत्रकार मौजूद थे, जिन्हें हैंडल करने में अस्पताल प्रशासन नाकाम रहा, वो इसलिए कि पत्रकारों के लिए समय पर वीडियो शूट करने, पहली वैक्सीन लेने का विज़ुअल शूट करने जैसी तमाम मनाही थी. इस वजह से कई पत्रकार भड़के भी थे.
वैक्सीनेशन सेंटर के बाहर बीजेपी महिला कार्यकर्ताओं का हुजूम था, जो 'मोदी-मोदी', 'मोदी है तो मुमकिन है' जैसे नारों के साथ पीएम मोदी का धन्यवाद कर रही थीं. हालांकि, यह दृश्य किसी अस्पताल जैसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था.
शुरुआत में बताया गया था कि 100 स्वास्थ्य कर्मियों को वैक्सीन लगाई जाएगी, लेकिन शाम के 4 बजे तक महज़ 30 लोगों पर ही ही वैक्सीन लगाया जा सका था.
सामुदायिक स्वास्थ केंद्र, भोपाल से 20 किलोमीटर
भोपाल ज़िले के 12 टीकाकरण केंद्रों में से एक है गाँधी नगर सामुदायिक स्वास्थ केंद्र. यहां आज सबसे पहला टीका सुबह 11 बजे के आसपास लगाया गया था. जहाँ इस केंद्र पर 100 लोगों को टीका लगाया जाना था, केवल 25 लोग ही वहां मौजूद थे. इसका मतलब टर्नआउट केवल पच्चीस प्रतिशत.
यहां केवल कोविशील्ड वैक्सीन ही प्राप्त हुई है जिसके तुरंत कोई विपरीत असर तो नहीं दिखाई दिए परन्तु जिन्हें टीका लगाया गया है वे बताते हैं कि उनका पहले कोई चेक-अप नहीं किया गया.
इस केंद्र पर पहला टीका 36 वर्षीय हलकी कुशवाहा को लगाया गया था. उन्हें कोई विपरीत असर नहीं हुआ. "मुझे अच्छा लग रहा है. मेरी प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी है, पहले भी कोई बीमारी नहीं हुई," हलकी कुशवाहा ने मुझे बताया.
हालांकि हलकी कुशवाहा परेशान हैं क्योंकि टीका लगने के बाद भी उन्हें कोई सन्देश, प्रमाणपत्र या रसीद नहीं मिली है. "मैंने डॉक्टर से पूछा था. उन्होंने कहा कि कुछ नहीं मिलेगा, यदि कुछ होता है तो यहाँ [हॉस्पिटल] आ जाना," कुशवाहा ने मुझसे बताया.
केंद्र पर डॉक्टर्स बताते हैं कि यह कोविन एप्लीकेशन के काम न करने कि वजह से हुआ है.
"सभी लाभार्थियों को मोबाइल पर सन्देश आजाएगा कि उन्होंने टीका लगवाया है और यदि कोई गलत प्रभाव नज़र आता है तो उस सन्देश का इस्तेमाल कर रिपोर्ट कर सकते हैं," डॉ रामहित कुमार, मुख्य ब्लॉक स्वास्थ अधिकारी, मुझसे कहते हैं.
हालांकि हलकी कुशवाहा उस सन्देश से भी वंचित हैं.