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फैक्ट चेक

आगरा के कैफे में पुलिस की रेड का पुराना वीडियो सांप्रदायिक दावे से वायरल

2022 में आगरा के तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने बूम को बताया था कि घटना में किसी तरह का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है.

By - Jagriti Trisha | 29 July 2024 12:33 PM GMT

सोशल मीडिया पर एक कैफे में पुलिस की रेड का एक वीडियो वायरल है. यूजर्स वीडियो को लखनऊ का बताते हुए इसके साथ सांप्रदायिक दावा कर रहे हैं कि रेड में 15 लड़के और 15 लड़कियां पकड़ी गईं. सभी लड़के मुस्लिम थे जबकि सभी लड़कियां हिंदू थीं.

बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि वीडियो के साथ किया जा रहा लव जिहाद का सांप्रदायिक दावा गलत है. यह उत्तर प्रदेश के लखनऊ का नहीं बल्कि आगरा का वीडियो है, जहां अगस्त 2022 में हरीपर्वत थाने के तीन पुलिसकर्मियों ने इस छापे को अंजाम दिया था. हालांकि वीडियो के वायरल होने बाद तीनों को सस्पेंड कर दिया गया था.  

लगभग दो मिनट के इस वायरल वीडियो में एक होटल के अंदर कुछ पुलिसकर्मी छापा मारते नजर आ रहे हैं. इस दौरान वे होटल में कई जोड़ों को आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ते देखे जा सकते हैं. 

यह वीडियो इससे पहले साल 2022 और 2023 में भी वायरल था. तब इसे मध्य प्रदेश का बताते हुए इसी सांप्रदायिक दावे के साथ शेयर किया गया था. बूम की इंग्लिश टीम ने उस समय भी इसका फैक्ट चेक किया था.

अब यह वीडियो लखनऊ के हुक्का बार में रेड के दावे से शेयर किया जा रहा है. फेसबुक पर पोस्ट करते हुए एक यूजर ने लिखा, '...लखनऊ के हुक्का बार में पड़ी रेड में कुल 30 पकड़ाए, 15 लड़के- 15 लड़कियां. लड़कियां अच्छे खासे ऊंचे घरों की थीं. खास बात इसमें यह कि सभी 15 लड़के मुस्लिम थे, और सभी लड़कियां हिंदू घरों से थीं. एक भी मुस्लिम लड़की नहीं थी...'


पोस्ट का आर्काइव लिंक.

यह वीडियो इसी दावे से वेरीफाई करने के रिक्वेस्ट के साथ हमें बूम की टिपलाइन नंबर- 7700906588 पर भी मिला.




फैक्ट चेक

2022 में पड़ताल के दौरान बूम को यूपी तक की वेबसाइट पर इससे संबंधित एक रिपोर्ट मिली थी. 12 अगस्त 2022 की इस रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के आगरा में हरीपर्वत थाने के तीन पुलिसकर्मियों ने एक कैफे के अंदर रेड मारकर युवक-युवतियों को आपत्तिजनक अवस्था में पकड़ा और उनका वीडियो भी शूट किया. 

युवक-युवतियों की गुहार के बाद भी वह नहीं माने. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे थे. इसके बाद तत्कालीन एसएसपी ने संज्ञान लेते हुए इसकी जांच कराई और तीनों पुलिसकर्मियों को अनुशासनहीनता और पुलिस की छवि धूमिल करने के आरोप में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया. 



संबंधित कीवर्ड्स सर्च करने पर हमें 12 अगस्त 2022 की दैनिक जागरण की भी एक रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने आगरा के संजय प्लेस में स्थित एक कॉफी कैफे हाउस और फ्रेंड्स जोन कैफे में करीब 15 दिन पहले छापेमारी की थी. हालांकि युवक-युवतियां बालिग थे इसलिए उन्हें चेतवानी देकर मौके पर ही छोड़ दिया गया था.

इस रिपोर्ट में भी बताया गया कि तत्कालीन एसएसपी प्रभाकर चौधरी ने एक हेड कॉन्स्टेबल और दो सिपाहियों को निलंबित कर दिया. उसके बाद तीनों के खिलाफ विभागीय जांच भी शुरू की गई.

क्राइम तक और अमर उजाला की वेबसाइट पर भी इससे संबंधित खबर देखी जा सकती है. 

बूम ने 2022 में पड़ताल के दौरान वायरल सांप्रदायिक दावे की सच्चाई जानने के लिए आगरा के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) प्रभाकर चौधरी से भी संपर्क किया था. बूम से बात करते हुए प्रभाकर चौधरी ने बताया कि "वायरल दावा झूठा है. इस घटना का कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है. हमने उनकी पहचान गुप्त रखी है."

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