प्रथम विश्व युद्ध ने दिया मैसूर सैंडल साबुन, धोनी भी रह चुके हैं ब्रांड एंबेसडर
मैसूर सैंडल सोप का नाम आपने सुना होगा, करीब 108 साल पहले 1916 में यह साबुन अस्तित्व में आया था. इस साबुन के बनने की कहानी काफी दिलचस्प है.
प्रथम विश्व युद्ध ने दिया मैसूर सैंडल साबुन, धोनी भी रह चुके हैं ब्रांड एंबेसडर
प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) के दौरान फ्रांस और जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों के साथ भारत की बिजनेस डीलिंग्स रुक गईं, जहां मैसूर का चंदन एक्सपोर्ट किया जाता है. इससे मैसूर में चंदन की लकड़ी का ढेर लगने लगा.
प्रथम विश्व युद्ध ने दिया मैसूर सैंडल साबुन, धोनी भी रह चुके हैं ब्रांड एंबेसडर
तब मैसूर के तत्कालीन महाराजा नलवाडी कृष्णराज वाडियार चतुर्थ ने भारत के अंदर ही चंदन का तेल निकालने का फैसला किया. दरअसल राजा से मिलने फ्रांस से दो लोग आए, वे अपने साथ चंदन के तेल से बने साबुन लाए थे.
प्रथम विश्व युद्ध ने दिया मैसूर सैंडल साबुन, धोनी भी रह चुके हैं ब्रांड एंबेसडर
इसे देखकर राजा को चंदन के तेल से साबुन बनाने का विचार आया जिसे उन्होंने अपने दीवान मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया से साझा किया. इसके बाद इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISC) के परिसर में साबुन के निर्माण के लिए प्रयोगों की व्यवस्था की गई.
जाने-माने इंडस्ट्रियल केमिस्ट एसजी शास्त्री ने लंदन से लौटकर सैंडलवुड परफ्यूम विकसित किया. यही परफ्यूम मैसूर सैंडल सोप का बेस बना और साल 1918 में मैसूर सैंडल सोप को पहली बार तैयार किया गया.
वर्तमान में यह कर्नाटक सरकार का ब्रांड है. इसे कर्नाटक सरकार की कंपनी Karnataka Soaps and Detergents Limited (KSDL) के बैनर तले बनाया जाता है.
साल 2006 में भारतीय क्रिकेट के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को ‘मैसूर सैंडल सोप’ का पहला ब्रांड एंबेसडर नियुक्त किया गया. KSDL के पास मैसूर सैंडल सोप को लेकर ​प्रोपराइटरी जियोग्राफिकल इंडीकेशन (GI) टैग है.
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