पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बेहद शांत, सौम्य और विनम्र शख्सियत वाला नेता माना जाता था. हालांकि कभी-कभी वह हैरान भी करते थे.
मनमोहन सिंह उर्दू शायरी के शौकीन थे, जिसकी एक बानगी संसद में दिवगंत बीजेपी नेता सुषमा स्वराज के साथ शायराना बहस के दौरान दिखी थी.
2011 में संसद में विकीलीक्स केबल को लेकर हंगामा हुआ, जिसमें तत्कालीन सत्तारूढ़ कांग्रेस पर 2008 के विश्वास मत के दौरान रिश्वत देने का आरोप लगा था.
तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने शहाब जाफरी की पंक्तियों के साथ PM पर निशाना साधा, 'तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा, हमें रहजनों से गिला नहीं, तेरी रहबरी का ख्याल है.'
इस हमले का मनमोहन सिंह ने अल्लामा इकबाल के शेर से जवाब दिया, 'माना कि तेरे दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक देख, मेरा इंतजार देख.'
मनमोहन सिंह के इस शेर को सुनकर सुषमा स्वराज के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई थी. पूरा सदन तालियों से गूंज उठा था.
साल 2013 में भी दोनों नेताओं के बीच जुगलबंदी देखने को मिली थी. तब पूर्व पीएम ने मिर्जा गालिब का शेर बढ़कर बीजेपी पर निशाना साधा था.
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