आज ही के दिन 23 साल पहले 13 दिसंबर 2001 को आतंकी हमले से संसद भवन थर्रा गया था. इस हमले में 8 सुरक्षाकर्मी और एक माली ने जान गंवाई थी.
लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद की ओर से इस हमले को अंजाम दिया गया था. जवाबी कार्रवाई में पांचों आतंकी ढेर किए गए थे.
संसद परिसर में हमले के वक्त 100 से अधिक मंत्री और सांसद अंदर मौजूद थे. इस हमले के बाद संसद की सुरक्षा व्यवस्था में कुछ सुधार किए गए.
संसद की ओर जाने वाली सभी मुख्य सड़कों पर वेज बैरिकेड्स लगाए गए. कारों के लिए आरएफ टैग, प्रमुख रास्तों में भीड़ कंट्रोल करने वाले बैरिकेड्स, विजिटर्स के लिए फोटो पहचान पास और सीसीटीवी लगाए गए.
बाहरी गाड़ियों को संसद मार्ग के आखिरी हिस्से तक जाने की इजाजत नहीं है. पुराने संसद भवन में आरएफ टैग रीडर लगाए गए थे, जो टैग धारकों की गतिविधि भी रिकॉर्ड कर सकते हैं.
विजय चौक से बाहर निकलने का रास्ता विशेष रूप से सांसदों के लिए रिजर्व किया गया. सभी गेट्स पर हैंडहेल्ड विस्फोटक वाष्प डिटेक्टर समेत लेटेस्ट गैजेट रखे गए.
संसद की बाहरी परिधि पर बिजली की बाड़ लगाई गई और रेड क्रॉस रोड और रायसीना रोड पर सीआरपीएफ वॉच टावर बनाए गए. नए संसद भवन की सुरक्षा भी ऐसे ही की जाती है.
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