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      फैक्ट चेक

      सरकारी विभाग को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति के कोरोना से जुड़े संदेश शेयर करने पर दंडात्मक कार्यवाही: फ़ैक्ट चेक

      सोशल मीडिया पर वायरल सन्देश का सच जानिए बूम के इस फ़ैक्ट चेक में...

      By - Saket Tiwari |
      Published -  18 April 2021 2:17 PM
    • सरकारी विभाग को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति के कोरोना से जुड़े संदेश शेयर करने पर दंडात्मक कार्यवाही: फ़ैक्ट चेक

      सोशल मीडिया पर वायरल सन्देश कि, "आज रात्रि 12 बजे से सम्पूर्ण भारत में आपदा प्रबधन ऐक्ट लागू किया जाता है। इसके अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति को कोरोना से जुड़े संदेश या पोस्ट करने पर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी" (Sic) फ़र्ज़ी है.

      व्हाट्सएप्प पर वायरल कुछ सन्देश लाइवलॉ नामक वेबसाइट की एक पुरानी रिपोर्ट का भी सहारा लेकर यह फ़र्ज़ी दावा कर रहे हैं.

      बूम ने पाया कि वायरल हो रहे यह दावे गलत हैं. लाइवलॉ की रिपोर्ट - जो 31 मार्च 2020 को प्रकाशित हुई थी - में कहीं भी डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट के लागू होने पर न्यूज़ प्रसारण या सूचना प्रकाशन पर रोक का उल्लेख नहीं है. इसके अलावा सरकार ने भी साफ़ किया है कि ऐसा कोई कानून लागु नहीं है जो कोविड-19 के सम्बन्ध में सोशल मीडिया पोस्ट या न्यूज़ पर रोक लगाता हो.

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      वायरल दावा कुछ यूँ है: "आज रात्रि 12 बजे से सम्पूर्ण भारत में आपदा प्रबधन ऐक्ट लागू किया जाता है. इसके अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति को कोरोना से जुड़े संदेश या पोस्ट करने पर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी. To aisi koi b post na kare isse related fun post b na kare please. Aisi koi b post Bina bataye delete kar di jayegi. With __All Admin Team Thanks."

      यह व्हाट्सएप्प और फ़ेसबुक पर वायरल है. वायरल हो रहा यह सन्देश पिछले साल लॉकडाउन लगने के वक़्त से ही सोशल मीडिया पर घूम रहा है.

      नीचे कुछ पोस्ट्स देखें और इनके आर्काइव्ड वर्शन यहां और यहां देखें.




      यह मैसेज ट्विटर पर भी वायरल है.

      Big Breaking :
      आज रात्रि 12 बजे से सम्पूर्ण भारत में आपदा प्रबधन ऐक्ट लागू किया जाता है। इसके अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति को कोरोना से जुड़े संदेश या पोस्ट करने पर दंडात्मक कार्यवाही की जायेगी
      सभी ग्रुप ऐड्मिन अपने ग्रुप में बतायें 🙏🏻🙏🏻

      — Aashish Soni/आशीष सोनी (@aashishsoni01) April 16, 2021

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      फ़ैक्ट चेक

      बूम ने पाया कि यह सन्देश गलत है. इसका डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट से कोई सम्बन्ध नहीं है.

      डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट यानी आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, पिछले साल लॉकडाउन होने के साथ लागू हुआ था. लेकिन इस अधिनियम का कोविड-19 सम्बंधित सोशल मीडिया पोस्ट या न्यूज़ साझा करने से कोई लेना देना नहीं है. यह केवल लॉकडाउन में सरकार को ताक़त देता है कि नीतियां और रणनीति प्रभावी रूप से लागू की जा सकें.

      बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ लॉकडाउन लगाने पर 24 मार्च 2020, को भारत सरकार ने अपने नोटिफिकेशन में कहा, "सेक्शन 6 (2)(I) के तहत मिली शक्ति का इस्तेमाल करते हुए आपदा प्रबंधन एक्ट 2005 लगाया जा रहा है. अब भारत सरकार के मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों और अथॉरिटीज़ को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के आदेश का पालन करना होगा ताकि सोशल डिस्टेंसिंग को प्रभावी बना कर कोविड-19 के संक्रमण को रोका जा सके."

      बीबीसी की 1 अप्रैल 2020 को प्रकाशित इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, "ज़ाहिर है कि देश में केंद्र सरकार ने आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 लागू तो किया है लेकिन मैसेज में किए जा रहे दावे से अलग ये एक अप्रैल से नहीं बल्कि 25 मार्च [2020] से लागू है. और इस कानून का कोई संबंध आम नागरिक के सोशल मीडिया पोस्ट या कोरोना से जुड़े मैसेज फॉर्वर्ड करने से बिलकुल भी नहीं है."

      इसके अलावा वायरल हो रहे मैसेज को प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो ने भी खारिज किया. हालांकि ध्यान रहे फ़र्ज़ी अफ़वाह/फ़र्ज़ी ख़बर फ़ैलाना अब भी दंडनीय है.

      Msgs circulating on social media claiming-apart from Govt no citizen is allowed to post/forward update on #COVID19- is MISLEADING&FALSE#PIBFACTCHECK: Circulating unverified/false news leading to panic is prohibited. As responsible Citizens let's not circulate fake forwards (1/3) pic.twitter.com/JvPPzd25DR

      — PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 2, 2020

      लाइवलॉ की सफ़ाई

      वायरल मेसैज जिनमें लाइवलॉ की एक रिपोर्ट का लिंक साझा किया जा रहा है, वह रिपोर्ट का गलत मतलब निकालता है. इस बात को लाइवलॉ ने साफ़ भी किया था.

      लाइवलॉ ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गयी एक याचिका पर केवल रिपोर्ट लिखी थी. केंद्र सरकार की याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया था कि 'गलत सूचना' कोरोनावायरस महामारी के वक़्त घबड़ाहट पैदा कर सकती है. सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की मांग की थी कि प्रिंट, ऑनलाइन और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को आदेश हों कि बिना सरकार से पुष्टि किए कोई सूचना प्रकाशित या प्रसारित न करें.

      हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका यह कहते हुए खारिज की कि कोर्ट महामारी के सिलसिले में आज़ादी से बातचीत पर रोक नहीं लगा सकती. हालाँकि कोर्ट ने मीडिया को सरकारी आंकड़ों का उल्लेख करने के निर्देश दिए.

      लाइवलॉ ने एक अन्य आर्टिकल लिख कर बताया कि वायरल हो रहे मैसेज और उनकी रिपोर्ट में कोई सम्बन्ध नहीं है. रिपोर्ट में लिखा, "रिपोर्ट का नकली संदेश से कोई संबंध नहीं है. रिपोर्ट को केवल एक नज़र देखने से यह स्पष्ट है कि यह खबर को व्यक्त नहीं करता है."

      यहां पढ़ें.

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      COVID-19covid newsViral newsWhatsApptwitterFacebookCoronavirus newsFAKE NEWSFact Check
      Read Full Article
      Claim :   आज रात्रि 12 बजे से सम्पूर्ण भारत में आपदा प्रबधन ऐक्ट लागू किया जाता है। इसके अंतर्गत सरकारी विभाग को छोड़कर अन्य किसी भी व्यक्ति को कोरोना से जुड़े संदेश या पोस्ट करने पर दंडात्मक कार्यवाही की जाएगी
      Claimed By :  Social media
      Fact Check :  False
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