उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में प्रयागराज और बनारस के पास स्थित मिर्ज़ापुर 17वीं सदी में वजूद में आया. 1800s के करीब जब इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में उत्तर-पश्चिम रेलवे लाइन शुरू हुई तो यह उत्तरी भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक केंद्र बना
प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक वातावरण के कारण यह शहर आगंतुकों से भरा रहता है. मिर्जापुर स्थित विन्ध्याचल धाम भारत के प्रमुख हिन्दू तीर्थ स्थलों में से एक है. इसके अलावा सीता कुण्ड, लाल भैरव मंदिर, मोती तालाब, तारकेश्‍वर महादेव श्रद्धालु बड़ी तादाद में आते हैं
यूपी का यह ठेठ छोटा सा शहर कालीन बुनाई, कॉटन और सिल्क उद्योग, सैंडस्टोन ड्रेसिंग, पीतल-बर्तन उत्पादन और ब्रासवेयर उद्योगों के लिए जाना जाता है
एक बड़ा व्यापारिक केंद्र होने के नाते ब्रिटिश काल से ही मिर्ज़ापुर में कई घाट मौजूद हैं, इनमें बरिया घाट, पक्का घाट और नर घाट शामिल हैं. कई धार्मिक गतिविधियों में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिलती है
शहर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आकर्षक पिकनिक स्पॉट के लिए लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है. टांडा फाल्स, विन्धाम झरना, ओझला पुल और पक्की सराय जैसे स्थान पर्यटकों को अपनी ओर खींचते हैं
ये कहना गलत ना होगा कि मिर्ज़ापुर पूरे देश का समय तय करता है. इस शहर से होकर वो रेखा - 82.5° पूर्व - गयी है जिससे आईएसटी (IST) यानी इंडियन स्टैण्डर्ड टाइम को तय किया जाता है.
हाल के दिनों में शहर के नाम को लेकर विवाद गहरा गया है. रेलवे स्टेशन पर ‘मिर्ज़ापुर’ लिखा है जबकि डीएम ऑफिस में आते-आते ज़िले का नाम ‘मीरजापुर’ हो जाता है. ‘मिर्ज़ा’ फ़ारसी शब्द ‘अमीरज़ादा’ (धनी पुत्र) से लिया गया है, लेकिन स्थानीय स्तर पर शहर का नाम ‘मीरजा देवी’ से जोड़कर ‘मीरजापुर’ कहा जाता है.
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