दुनियाभर में एथलेटिक्स में भारत का परचम लहराने वाले धावक मिल्खा सिंह हमारे बीच नहीं रहे. महीने भर तक कोरोना से लड़ाई लड़ने के बाद ‘फ्लाइंग सिख’ ने 91 साल की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया.
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1932 को गोविंदपुरा (जो अब पाकिस्तान का हिस्सा हैं) में एक सिख परिवार में हुआ था. वह विभाजन के बाद भारत भाग आ गए और भारतीय सेना में शामिल हो गए थे.
महान एथलीट मिल्खा सिंह एशियन गेम्स में 4 बार के स्वर्ण पदक विजेता और 1958 के राष्ट्रमंडल खेलों के चैंपियन हैं, लेकिन उनका सबसे बड़ा प्रदर्शन 1960 के रोम ओलंपिक के 400 मीटर फाइनल में चौथे स्थान पर रहा.
मिल्खा सिंह ने पहली बार विश्व स्तर पर अपनी पहचान तब बनाई, जब कार्डिफ़ राष्ट्रमंडल खेलों में उन्होंने तत्कालीन विश्व रिकॉर्ड होल्डर मैल्कम स्पेंस को 440 गज की दौड़ में हराकर स्वर्ण पदक जीता.
साल 1960 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने मिल्खा सिंह को ‘फ्लाइंग सिख’ की उपाधि से नवाज़ा था, जब उन्होंने पाकिस्तानी धावक अब्दुल खालिक़ को हराया था.
मिल्खा सिंह की पत्नी और पूर्व भारतीय वॉलीबॉल टीम की कप्तान निर्मल कौर भी कोरोना संक्रमित थी और उनका निधन पांच दिन पहले हुआ है. मिल्खा सिंह के परिवार में उनके बेटे और अंतर्राष्ट्रीय गोल्फ़र जीव मिल्खा के अलावा 2 बेटियां हैं.
साल 2013 में मिल्खा सिंह पर बनी फ़िल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ से आज की युवा पीढ़ी ने भी मिल्खा सिंह के बारे में बारीकी से जाना. इस फ़िल्म में मिल्खा सिंह का किरदार फ़रहान अख्तर ने निभाया था.