31 दिसंबर की रात ठंडी पड़ती आग में जान फूँकता एक निहंग सिख प्रदर्शनकारी
सुमित उषा
नए साल का स्वागत
रात के ठीक बारह बजे प्रदर्शनस्थल 'जो बोले सो निहाल...' के नारो से गूँज उठा | प्रदर्शन नए साल में प्रवेश कर चुका था |
सुमित उषा
सर्द रात
गाड़ियों और ट्रैक्टर्स के छतों पर चढ़ कर नौजवान प्रदर्शनकारियों ने ठिठुरती रात में नए साल का स्वागत किया |
सुमित उषा
"हम किसान हैं, आतंकवादी नहीं"
जिस हाईवे पर किसानों ने नवंबर 26 को डेरा डाला था वो अब एक कैनवास में तब्दील हो चुका है | जगह जगह पोस्टर्स, ग्रैफ़िटी और पेंटिंग्स दिखाई देते हैं
सुमित उषा
नए साल की दस्तक
कोहरे में लिपटा नया साल सिंघु पर दस्तक दे चुका है | कड़कड़ाती ठंड से निपटने के लिए चाय, कॉफ़ी और दूध का इंतज़ाम भी पुरा है |
सुमित उषा
अलाव का सहारा
एक जनवरी की सुबह पारा काफ़ी नीचे लुढ़क चुका था | पूरे प्रदर्शनस्थल पर जगह जगह अलाव जल रहे थे | बुज़ुर्ग प्रदर्शनकारी अलाव के पास ही नज़र आ रहे थे |
सुमित उषा
लंगर सेवा
शीतलहर के बीच भी कई बुज़ुर्ग लंगरों पर चाय नाश्ता बांटते नज़र आये |
सुमित उषा
बुलंद हौसले
ठंड काफ़ी थी और कोहरे ने पूरे प्रदर्शनस्थल को अपनी आगोश में ले रखा था मगर सुबह सात बजते बजते प्रदर्शनकारी मंच की ओर बढ़ चले |
सुमित उषा
संघर्ष
हालांकि सरकार किसानो की दो मांगे मान चुकी है मगर प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सारी मांगे मानी जाने तक वो बॉर्डर पर ही रहेंगे | ठंड इस बीच बढ़ती चली जा रही है |
सुमित उषा
कॉल ऑफ़ ड्यूटी
जहां एक ओर किसान प्रदर्शन पर बैठे हुए हैं वहीँ दूसरी तरफ़ पुलिस और सुरक्षा बल के जवान भी अपनी पोस्ट संभाले हुए हैं | ठंड और कोहरे से दोनों ही बेख़ौफ़ हैं |
सुमित उषा
नगरकीर्तन
प्रदर्शन, कड़कड़ाती ठंड और जानलेवा शीतलहर के बीच नए साल का स्वागत सिख समुदाय ने एक जनवरी को नगर कीर्तन के साथ किया |