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      फैक्ट चेक

      क्या वाकई कश्मीरी पुलिसकर्मियों ने महिलाओं पर अत्याचार किया?

      बूम ने पाया कि वीडियो पाकिस्तान के सिंध प्रांत से है और मई 2019 में भी वायरल हुआ था

      By - Anmol Alphonso |
      Published -  27 Aug 2019 1:19 PM
    • Featured image for Fake claim of kashmiri police beating women

      काली टी-शर्ट और खाकी ट्राउजर में पुलिस को एक घर में घुसते और महिलाओं को पीटने का वीडियो झूठे दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि यह वीडियो कश्मीर का है।

      वीडियो सोशल मीडिया पर ग़लत शीर्षक के साथ शेयर किया जा रहा है जिसमें आरोप लगाया जा रहा है कि भारतीय पुलिस बल कश्मीरी नागरिकों के साथ क्रूरता कर रहा है।

      रैपर हार्ड कौर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टैग करते हुए फ़ेसबुक पर क्लिप शेयर की थी।

      अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें।

      इस लेख को लिखने तक पोस्ट को लगभग 11,000 बार देखा गया और 166 शेयर बार शेयर किया गया था।

      ट्विटर पर वायरल



      अर्काइव देखने के लिए यहां क्लिक करें।

      वीडियो ट्विटर पर वायरल हो रहा है जहां कई ट्विटर यूज़र इसे सच मान रहे हैं।

      फ़ैक्ट चेक

      हमने इन-विड का इस्तेमाल करते हुए वीडियो को की-फ्रेम्स में तोड़ा और रूसी खोज इंजन यैंडेक्स पर खोज की। खोज परिणामों में वीडियो का एक लंबा वर्शन प्राप्त हुआ जिसे 5 मई 2019 को 'खाबरू' नाम के यूट्यूब चैनल द्वारा अपलोड किया गया। यह वीडियो 1.59 सेकंड लंबा है।



      वीडियो कैप्शन सिंधी भाषा में था तथा कैप्शन में लिखा था कि सिंध प्रमुख मिनिस्टर मुराद अली शाह को इस्तीफा दे देना चाहिए। सिंध पाकिस्तान का एक प्रांत है।

      इसके अतिरिक्त, वीडियो में पुलिस की वर्दी जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा पहने जाने वाली वर्दी से मेल नहीं खाती जैसा कि नीचे दिए गए ट्वीट में देखा जा सकता है।



      इन संकेतों का उपयोग करते हुए कि वीडियो सिंध से हो सकता है हमने ट्विटर पर ‘सिंध ’पुलिस‘ ’वीडियो’ ‘महिला’ कीवर्ड्स के साथ खोज कि और 11 मई, 2019 को सिंध पुलिस द्वारा एक ट्वीट पाया।

      इससे पहले मई 2019 में यह वायरल हुआ था।

      हमने कई ट्वीट्स पाए जिनमें दावा किया गया कि वीडियो में दिखाई देने वाले सिंध पुलिस के कर्मी हैं।





      सिंध पुलिस ने दावा किया कि वीडियो का मंचन किया गया है।

      सिंध पुलिस ने मई 2019 में ट्वीट्स की एक श्रृंखला में दावा किया कि वीडियो सही नहीं है बल्कि इसका मंचन किया गया था। बूम स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सका कि वीडियो का मंचन किया गया था या नहीं।



      ट्वीट में लिखा था, "कुछ दिन पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें पुलिस की वर्दी में लोगों को एक घर पर छापा मारते हुए महिलाओं को प्रताड़ित करते दिखाया गया था। यह वीडियो फ़र्ज़ी साबित हुआ और इसे सामान्य रूप से सिंध पुलिस और विशेष रूप से जमशोरो पुलिस को बदनाम करने के लिए बनाया गया था।”



      इसके अलावा सिंध पुलिस ने घटना पर एक समाचार रिपोर्ट ट्वीट की।

      पाकिस्तानी अखबार डॉन ने 12 मई, 2019 को बताया कि फ़र्ज़ी वीडियो अपलोड करने के आरोप में चार पुलिसकर्मियों और एक नागरिक को गिरफ़्तार कर लिया गया था। वीडियो में जमशोरो में वर्दीधारी पुरुषों द्वारा महिलाओं को प्रताड़ित करते हुए दिखाया गया था।

      डॉन की रिपोर्ट के अनुसार जमशोरो एसएसपी तौकीर मोहम्मद नईम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया को बताया कि इस मामले की जांच में पाया गया कि वर्दीधारी संदिग्धों में से चार पुलिसकर्मी थे और अन्य चार बेहरुपीये थे।

      डॉन के लेख के अनुसार वीडियो अपलोड होने से दो दिन पहले, इलाके के व्यापारियों और एक आपराधिक गिरोह के बीच झड़प हुई जिसमें व्यापारियों द्वारा पुलिस को बुलाया गया था।

      रिपोर्ट के अनुसार, “एसएसपी ने कहा कि गिरफ़्तारियों ने मुख्य रूप से कई सालों से नवाबशाह और नौशहरो फ़िरोज़ में काम करने वाले गिरोह को उकसाया है और इसलिए उन्होंने इस वीडियो के जरिए भान सैदाबाद पुलिस को बदनाम करने के लिए जवाबी कार्रवाई की।”

      हालांकि, घटना के बारे में समाचार रिपोर्टों ने वायरल वीडियो में चार पुलिसकर्मियों की भागीदारी की व्याख्या नहीं की।

      Tags

      FAKE NEWSFeaturedHARD KAURjammu and kashmirKASHMIR POLICEKHALISTAN‎MURAD ALI SHAHNarendra ModiPakistanSINDHSINDH CHIEF MINISTER
      Read Full Article
      Claim :   भारतीय पुलिस बल कश्मीरी नागरिकों के साथ क्रूरता कर रहा है
      Claimed By :  Facebook Pages and Twitter Handles
      Fact Check :  FALSE
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